राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में यमुना नदी एक बार फिर खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। लगातार हो रही भारी बारिश और हरियाणा के हथिनी कुंड बैराज से छोड़े गए पानी के कारण नदी का जलस्तर बढ़ गया है। निचले इलाकों में पानी भरने लगा है, जिससे स्थानीय लोगों को एक बार फिर विस्थापन और परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
🌊 क्यों बार-बार आती है यमुना में बाढ़?
विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली में यमुना के बार-बार खतरे के निशान से ऊपर जाने के पीछे कई कारण हैं:
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अनियंत्रित शहरीकरण – यमुना के बाढ़ क्षेत्र (Floodplain) पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण।
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हथिनी कुंड बैराज पर निर्भरता – हरियाणा से अचानक छोड़े गए पानी के कारण जलस्तर तेज़ी से बढ़ जाता है।
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भारी मानसूनी वर्षा – अगस्त–सितंबर के दौरान उत्तर भारत में लगातार और भारी बारिश।
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नदी की सफाई और गाद निकासी का अभाव – गाद जमने से नदी की गहराई कम हो गई है, जिससे पानी बाहर फैलने लगता है।
🚨 मौजूदा हालात
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यमुना का जलस्तर मंगलवार सुबह खतरे के निशान 205.33 मीटर से ऊपर पहुँच गया।
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दिल्ली के निचले इलाकों जैसे यमुना बाजार, मजनू का टीला, लोहे का पुल और आईटीओ क्षेत्र में पानी भरने लगा है।
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प्रशासन ने राहत शिविर और अस्थायी आवास की व्यवस्था शुरू कर दी है।
🏛 सरकार की प्रतिक्रिया
दिल्ली सरकार ने बाढ़ नियंत्रण विभाग और आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को अलर्ट पर रखा है। मुख्यमंत्री ने अपील की है कि लोग अफवाहों पर ध्यान न दें और प्रशासन के निर्देशों का पालन करें।
📌 हर साल क्यों दोहराती है यह स्थिति?
हर मानसून के दौरान यह संकट लगभग दोहराया जाता है। कारण यह है कि:
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यमुना के किनारे बनाए गए बंध और संरचनाएँ अक्सर पर्याप्त मजबूत नहीं होतीं।
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पानी छोड़ने की पूर्व सूचना पर राज्यों के बीच समन्वय की कमी रहती है।
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नदी संरक्षण और लॉन्ग-टर्म बाढ़ प्रबंधन की योजनाएँ अधूरी हैं।
निष्कर्ष
यमुना का खतरे के निशान से ऊपर जाना अब दिल्ली के लिए हर साल की स्थायी समस्या बन चुका है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि तुरंत ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो आने वाले वर्षों में यह स्थिति और गंभीर हो सकती है।