Thursday, October 16, 2025
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अहंकार और PAK के पैसों के लालच में भारत से बिगाड़े रिश्ते – US के पूर्व राजदूत का ट्रंप पर हमला

अहंकार और PAK के पैसों के लालच में भारत से बिगाड़े रिश्ते — अमेरिका के पूर्व राजदूत ने डोनाल्ड ट्रंप पर भारत-विरोधी नीति अपनाने का आरोप लगाया।

अहंकार और PAK के पैसों के लालच में भारत से बिगाड़े रिश्ते – US के पूर्व राजदूत का ट्रंप पर हमला

अहंकार और PAK के पैसों के लालच में भारत से बिगाड़े रिश्ते — अमेरिका के पूर्व राजदूत ने हाल ही में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन ने व्यक्तिगत स्वार्थ और पाकिस्तान के आर्थिक लालच में आकर भारत के साथ दशकों पुराने सामरिक रिश्तों को नुकसान पहुंचाया। इस बयान ने अमेरिका-भारत संबंधों पर एक बार फिर बहस छेड़ दी है।

ट्रंप पर पूर्व राजदूत का आरोप: ‘भारत के भरोसे को तोड़ा’

अहंकार और PAK के पैसों के लालच में भारत से बिगाड़े रिश्ते — इस आरोप के पीछे अमेरिका के दक्षिण एशिया मामलों के पूर्व राजदूत जॉर्ज डब्ल्यू टेलर का बयान है। उन्होंने एक अमेरिकी थिंक-टैंक के कार्यक्रम में कहा कि ट्रंप ने पाकिस्तान से मिलने वाली आर्थिक और रणनीतिक मदद के लालच में भारत को नजरअंदाज किया।

टेलर ने कहा, “ट्रंप का अहंकार इतना बढ़ गया था कि वे किसी भी देश की राय सुनना नहीं चाहते थे। पाकिस्तान ने जब उन्हें ‘मध्यस्थ’ बनने का प्रस्ताव दिया, तो उन्होंने बिना किसी रणनीतिक सोच के भारत के खिलाफ बयानबाजी शुरू कर दी।”

भारत-अमेरिका रिश्तों पर ट्रंप की नीतियों का असर

अहंकार और PAK के पैसों के लालच में भारत से बिगाड़े रिश्ते – इस दौर में दोनों देशों के बीच कई संवेदनशील मुद्दों पर मतभेद उभरे।

  • ट्रंप प्रशासन ने भारत के जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रेफरेंस (GSP) के तहत मिलने वाले व्यापारिक लाभ वापस ले लिए।

  • H-1B वीज़ा नीति को सख्त कर भारतीय आईटी कंपनियों को झटका दिया।

  • कश्मीर पर पाकिस्तान के समर्थन में दिए बयानों से भारत की नाराज़गी बढ़ी।

इन कदमों को भारत में ट्रंप की “प्रो-पाकिस्तान नीति” के तौर पर देखा गया।

राजदूत का बयान क्यों है महत्वपूर्ण?

पूर्व राजदूत का बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका में 2024 के चुनाव के बाद ट्रंप फिर से राजनीतिक चर्चा में हैं। अहंकार और PAK के पैसों के लालच में भारत से बिगाड़े रिश्ते – यह टिप्पणी भारत-अमेरिका संबंधों पर ट्रंप की नीतियों के पुनर्मूल्यांकन को सामने ला रही है।

अमेरिकी मीडिया में भी यह चर्चा है कि ट्रंप ने पाकिस्तान को “सस्ता सौदा” समझते हुए उससे सामरिक फायदे लेने की कोशिश की थी, जबकि भारत को एक “गर्वीले साझेदार” के रूप में नहीं समझा।

‘डील मेकर’ ट्रंप की गलत गणना

अहंकार और PAK के पैसों के लालच में भारत से बिगाड़े रिश्ते — इस दौरान ट्रंप खुद को ‘डील मेकर’ कहने लगे थे। लेकिन विदेश नीति में यह रवैया उल्टा पड़ा।
उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ झूठे वादों के बावजूद मदद दी, जबकि भारत को चेतावनी दी कि “अगर जरूरत पड़ी तो अमेरिका कश्मीर पर हस्तक्षेप करेगा।”

विशेषज्ञों का मानना है कि इस बयान ने भारत के विश्वास को गहरा झटका दिया। इससे दोनों देशों के बीच सैन्य और खुफिया सहयोग पर भी असर पड़ा।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि: भारत-अमेरिका साझेदारी

भारत और अमेरिका के बीच पिछले दो दशकों में मजबूत सामरिक साझेदारी बनी थी — न्यूक्लियर डील, क्वाड गठबंधन, रक्षा सहयोग, और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर जैसे समझौतों ने दोनों देशों को करीब लाया था।

लेकिन अहंकार और PAK के पैसों के लालच में भारत से बिगाड़े रिश्ते – ट्रंप के कार्यकाल में इस रिश्ते पर अविश्वास की परत चढ़ गई। राजदूत टेलर का मानना है कि “ट्रंप ने शॉर्ट-टर्म फायदे के लिए लॉन्ग-टर्म रिलेशन को दांव पर लगा दिया।”

पाकिस्तान की भूमिका और लालच की राजनीति

टेलर ने कहा कि पाकिस्तान ने अमेरिका के साथ अपने संबंधों में ‘लॉबिंग’ और ‘फाइनेंशियल इन्फ्लुएंस’ का इस्तेमाल किया।
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान ने ट्रंप प्रशासन को यह विश्वास दिलाया कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी में वह एकमात्र सहयोगी देश है। इस वजह से ट्रंप ने उसे आर्थिक और कूटनीतिक छूट दी।”

यह सब उसी समय हुआ जब भारत ने आतंकवाद पर सख्त रुख अपनाया हुआ था।
अहंकार और PAK के पैसों के लालच में भारत से बिगाड़े रिश्ते – यह नीति भारत के लिए अस्वीकार्य थी।

भारत की प्रतिक्रिया: ‘संतुलित लेकिन सख्त’

भारत ने उस समय ट्रंप के विवादित बयानों का सीधा जवाब नहीं दिया, लेकिन राजनयिक स्तर पर यह स्पष्ट कर दिया कि कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है।
टेलर के मुताबिक, “भारत ने संयम दिखाया, लेकिन वह यह भी जानता था कि ट्रंप की नीति अस्थिर थी। इसलिए भारत ने अपनी विदेश नीति को ‘मल्टी-अलाइनमेंट’ की दिशा में मोड़ा।”

विशेषज्ञों का विश्लेषण

अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक कहते हैं कि ट्रंप का दृष्टिकोण ‘ट्रांजैक्शनल डिप्लोमेसी’ था — जिसमें हर रिश्ते की कीमत डॉलर में आंकी जाती थी।
अहंकार और PAK के पैसों के लालच में भारत से बिगाड़े रिश्ते – यह उसी नीति का नतीजा था।

डॉ. सुमित गांगुली, इंडियाना यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर, कहते हैं, “ट्रंप की विदेश नीति में रणनीति की कमी थी। वे यह नहीं समझ पाए कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश के साथ भरोसे पर आधारित रिश्ता पैसा देकर नहीं खरीदा जा सकता।”

भविष्य की राह

अब जब बाइडेन प्रशासन भारत के साथ साझेदारी को फिर मजबूत करने में जुटा है, ट्रंप पर आए इस तरह के आरोप अमेरिकी राजनीति में भारत के महत्व को और रेखांकित करते हैं।
राजदूत टेलर का बयान भारत-अमेरिका रिश्तों के भविष्य के लिए एक चेतावनी है कि व्यक्तिगत अहंकार और लालच कभी भी राष्ट्रीय हित से ऊपर नहीं होना चाहिए।

निष्कर्ष

अहंकार और PAK के पैसों के लालच में भारत से बिगाड़े रिश्ते — यह सिर्फ ट्रंप के कार्यकाल की आलोचना नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति में नैतिकता की कमी की ओर भी इशारा है।
भारत और अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देशों के रिश्ते आपसी विश्वास, समान हितों और साझी जिम्मेदारियों पर टिका है — न कि किसी एक नेता के व्यक्तिगत स्वार्थ पर।

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