Saturday, October 18, 2025
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उपराष्ट्रपति चुनाव BJD और BRS का ऐलान: मतदान से दूरी बनाकर बदले राजनीतिक समीकरण

उपराष्ट्रपति चुनाव BJD और BRS का ऐलान—दोनों क्षेत्रीय दलों ने वोटिंग से दूरी बनाने का फैसला कर लिया है। चुनाव से एक दिन पहले लिया गया यह कदम राजनीतिक हलचल तेज कर रहा है।

उपराष्ट्रपति चुनाव: वोटिंग से दूर रहेंगे BJD और BRS, एक दिन पहले बड़ा ऐलान

उपराष्ट्रपति चुनाव BJD और BRS का ऐलान ने संसद से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हलचल मचा दी है। चुनाव से महज एक दिन पहले बीजू जनता दल (BJD) और भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने यह बड़ा ऐलान किया है कि वे मतदान से दूरी बनाए रखेंगे। इस फैसले ने चुनावी तस्वीर को नया मोड़ दे दिया है और विपक्षी दलों की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

BJD और BRS का फैसला क्यों अहम?

बीजू जनता दल (BJD) और भारत राष्ट्र समिति (BRS) दोनों ही दल संसद में संख्या बल के लिहाज से बेहद अहम माने जाते हैं। भले ही इनकी संख्या राष्ट्रीय स्तर पर बहुत बड़ी न हो, लेकिन कई बार ऐसे दल सत्ता और विपक्ष के बीच संतुलन साधने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। उपराष्ट्रपति चुनाव से ठीक पहले इनका मतदान से अलग रहना राजनीतिक संकेतों से भरा हुआ है।

राजनीतिक समीकरणों पर असर

उपराष्ट्रपति चुनाव में सत्तारूढ़ गठबंधन NDA और विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक के बीच सीधी टक्कर मानी जा रही थी। लेकिन BJD और BRS के दूर रहने से गणित कुछ हद तक बदल सकता है।

  • BJD—ओडिशा में मजबूत जड़ें रखने वाला यह दल कई बार NDA को समर्थन देता रहा है।

  • BRS—तेलंगाना में प्रभावशाली यह पार्टी अक्सर केंद्र की राजनीति में अहम भूमिका निभाती रही है।

दोनों के abstain करने का मतलब है कि विपक्ष को उम्मीद के मुताबिक समर्थन नहीं मिलेगा और NDA के उम्मीदवार की राह आसान हो सकती है।

विपक्षी एकजुटता पर सवाल

INDIA गठबंधन विपक्ष को मजबूत दिखाने की कोशिश कर रहा था। राहुल गांधी, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव और अन्य नेताओं ने दावा किया था कि विपक्ष एकजुट होकर उपराष्ट्रपति चुनाव में चुनौती देगा। लेकिन अब BJD और BRS का बाहर रहना विपक्षी एकजुटता की कमजोरी उजागर करता है।

यह स्थिति साफ करती है कि क्षेत्रीय दल राष्ट्रीय राजनीति में अपने हितों को सर्वोपरि रखते हैं। जहां एक ओर विपक्ष बड़े गठबंधन का दावा करता है, वहीं दूसरी ओर उसके सहयोगी दल अंतिम समय में अलग राह पकड़ लेते हैं।

सत्तारूढ़ दल के लिए राहत

NDA के उम्मीदवार के लिए यह फैसला राहत की खबर है। संसद में पहले से ही NDA का आंकड़ा विपक्ष से बेहतर है, और अब दो बड़े दलों के abstain करने से उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है।

दलों की दलील

  • BJD का बयान: ओडिशा की जनता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए हमने यह फैसला लिया है।

  • BRS का बयान: हमने तटस्थ रहने का निर्णय किया है क्योंकि मौजूदा हालात में किसी पक्ष के साथ खड़ा होना सही नहीं लगता।

दोनों ही दलों ने साफ किया कि उनका फैसला किसी दल विशेष के समर्थन या विरोध में नहीं है, बल्कि यह स्वतंत्र राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है।

विशेषज्ञों की राय

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि BJD और BRS के abstain करने के पीछे गहरे राजनीतिक संदेश छिपे हैं।

  1. दोनों दल केंद्र सरकार से टकराव नहीं चाहते।

  2. क्षेत्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने तटस्थ रुख अपनाया।

  3. भविष्य में सत्ता पक्ष से बेहतर तालमेल की संभावनाओं को खुला रखा।

जनता की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर भी इस फैसले की चर्चा जोरों पर है। विपक्ष समर्थकों ने इसे लोकतांत्रिक जिम्मेदारी से भागना बताया, जबकि NDA समर्थकों ने इसे जनभावनाओं के अनुरूप करार दिया।

निष्कर्ष

उपराष्ट्रपति चुनाव BJD और BRS का ऐलान यह दिखाता है कि भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय दल किस तरह राष्ट्रीय चुनावों में भी बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। एक दिन पहले लिया गया यह फैसला विपक्ष की एकजुटता पर गहरे सवाल खड़ा करता है और सत्तारूढ़ NDA के उम्मीदवार की जीत की संभावना को और मजबूत करता है।

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