ट्रंप पर गंभीर आरोप, भारत-अमेरिका रिश्तों में सवाल
ट्रंप पाकिस्तान डील और भारत से दोस्ती को लेकर अमेरिका में नया विवाद खड़ा हो गया है। अमेरिका के पूर्व NSA (नेशनल सिक्योरिटी एडवाइज़र) जैक सुलिवन ने आरोप लगाया है कि डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान में अपने फैमिली बिज़नेस को बढ़ाने के लिए भारत के साथ बने रिश्तों की बलि चढ़ा दी। यह बयान ऐसे समय आया है जब भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की चर्चा जोरों पर है।
पाकिस्तान में फैमिली डील्स पर सवाल
सुलिवन ने कहा कि ट्रंप प्रशासन के दौरान कई ऐसे फैसले लिए गए जिनसे यह आभास हुआ कि राष्ट्रपति अपने निजी कारोबारी हितों को प्राथमिकता दे रहे थे। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान में ट्रंप परिवार की कुछ बिज़नेस डील्स चल रही थीं और उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए विदेश नीति को मोड़ा गया।
“यह स्पष्ट था कि ट्रंप अपने परिवार की आर्थिक महत्वाकांक्षाओं को साधने के लिए भारत से दोस्ती को कमजोर करने से भी पीछे नहीं हटे,” — जैक सुलिवन।
भारत-अमेरिका संबंधों पर असर
भारत और अमेरिका ने पिछले कुछ दशकों में रक्षा, तकनीकी सहयोग, और आर्थिक साझेदारी को मजबूत किया है। लेकिन ट्रंप की नीतियों ने कई बार इन रिश्तों में अनिश्चितता पैदा की। विशेषकर पाकिस्तान को लेकर उनके नरम रुख पर भारत ने आपत्ति जताई थी।
सुलिवन के अनुसार, अगर ट्रंप दोबारा सत्ता में आते हैं तो भारत-अमेरिका रिश्तों में पारदर्शिता पर और सवाल खड़े हो सकते हैं।
पाकिस्तान को क्यों मिली अहमियत?
विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान के साथ अमेरिका के रिश्तों में उतार-चढ़ाव आता रहा है। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद पाकिस्तान को क्षेत्रीय रणनीतिक साझेदार की तरह देखा गया। ट्रंप परिवार की कारोबारी डील्स ने इस साझेदारी को और प्रोत्साहन दिया, जिससे भारत के साथ भरोसे में कमी आई।
भारत की रणनीतिक स्थिति
भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र का एक प्रमुख साझेदार है। अमेरिका सहित कई पश्चिमी देश भारत को चीन की बढ़ती ताकत के संतुलन के रूप में देखते हैं। लेकिन ट्रंप के फैसले इस धारणा के उलट दिखे। सुलिवन ने कहा कि यह केवल “पर्सनल बिज़नेस गेन” की वजह से हुआ।
अमेरिकी राजनीति में नया विवाद
अमेरिकी मीडिया ने सुलिवन के बयान को बड़े स्तर पर कवर किया है। विपक्षी डेमोक्रेट्स का कहना है कि यह ट्रंप के खिलाफ एक और प्रमाण है कि वे पद पर रहते हुए निजी हितों को प्राथमिकता देते रहे। वहीं रिपब्लिकन खेमे ने इस आरोप को “राजनीतिक प्रोपेगेंडा” बताया है।
भारत की प्रतिक्रिया
भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से इस पर सीधा बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक भारत इस तरह की अंतरराष्ट्रीय टिप्पणियों पर ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं देता। भारत अपने रिश्तों को दीर्घकालिक रणनीतिक दृष्टि से देखता है।
आगे की राह
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ट्रंप पर लगे ये आरोप अमेरिका के चुनावी माहौल में बड़ा मुद्दा बन सकते हैं।
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भारत को इस घटनाक्रम से यह सबक मिलता है कि अमेरिका के साथ रिश्तों में स्थिरता और संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
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पाकिस्तान को लेकर अमेरिकी रुख भारत की विदेश नीति के लिए हमेशा एक चुनौती रहेगा।
निष्कर्ष
ट्रंप पाकिस्तान डील और भारत से दोस्ती को लेकर उठे सवाल सिर्फ एक नेता पर नहीं, बल्कि वैश्विक राजनीति की जटिलताओं पर भी रोशनी डालते हैं। अगर निजी कारोबारी हित विदेशी नीतियों को प्रभावित करते हैं, तो इससे देशों के बीच भरोसे की नींव हिल सकती है। भारत और अमेरिका दोनों ही लोकतंत्र हैं और इन रिश्तों की मजबूती पारदर्शिता और आपसी विश्वास पर ही निर्भर करेगी।