बिहार की राजनीति में इस समय सबसे बड़ा सवाल यह है कि 2025 विधानसभा चुनाव में विपक्ष का चेहरा कौन होगा। आरा में आयोजित वोटर अधिकार यात्रा के समापन कार्यक्रम ने इस सवाल का जवाब काफी हद तक साफ कर दिया है। मंच पर जब राहुल गांधी और अखिलेश यादव मौजूद थे, तभी राजद नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपने राजनीतिक तेवर दिखाते हुए खुद को “ओरिजिनल मुख्यमंत्री” घोषित कर दिया।
महागठबंधन की रैली में शक्ति प्रदर्शन
शनिवार को आयोजित इस जनसभा में महागठबंधन ने एकजुटता का प्रदर्शन किया। कांग्रेस के राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव ने तेजस्वी यादव के साथ मंच साझा किया। यह दृश्य साफ संकेत दे रहा था कि विपक्ष ने एकजुट होकर नीतीश कुमार और भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए को कड़ी चुनौती देने की ठान ली है।
सभा में उमड़ी भीड़ और जनता के नारों ने महागठबंधन नेताओं के आत्मविश्वास को और बढ़ा दिया। राहुल गांधी ने कहा कि बिहार की जनता बदलाव चाहती है और इस बार बदलाव की धुरी तेजस्वी यादव होंगे। अखिलेश यादव ने भी तेजस्वी को भविष्य का नेता बताते हुए उनकी दावेदारी को मजबूती दी।
“डुप्लीकेट नहीं, ओरिजिनल सीएम चाहिए”
तेजस्वी यादव ने अपने भाषण में कहा,
“बिहार की जनता अब थक चुकी है डुप्लीकेट राजनीति से। हमें विकास चाहिए, रोजगार चाहिए और असली काम करने वाला ओरिजिनल मुख्यमंत्री चाहिए। मैं वादा करता हूँ कि अगर महागठबंधन की सरकार बनी तो बिहार को ओरिजिनल मुख्यमंत्री मिलेगा, जो जनता के लिए खड़ा होगा।”
तेजस्वी का यह बयान सीधे तौर पर नीतीश कुमार पर निशाना माना जा रहा है, जिन्हें विपक्ष लगातार “कुर्सी के लिए पाला बदलने वाला नेता” बताता रहा है।
राहुल और अखिलेश का समर्थन
राहुल गांधी ने मंच से कहा कि बिहार में तेजस्वी यादव ने विपक्ष की राजनीति को नई ऊर्जा दी है। उन्होंने तेजस्वी को महागठबंधन का चेहरा मानते हुए जनता से अपील की कि वे इस बार उन्हें अवसर दें।
अखिलेश यादव ने भी कहा कि जिस तरह यूपी में सपा-राजद का गठजोड़ मजबूत हुआ है, उसी तरह बिहार में भी महागठबंधन जीत की नई पटकथा लिखेगा।
राजनीतिक संदेश और समीकरण
तेजस्वी यादव का यह ऐलान केवल व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं बल्कि महागठबंधन की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। महागठबंधन यह संदेश देना चाहता है कि अब समय आ गया है जब बिहार की सत्ता में युवाओं का नेतृत्व होना चाहिए।
एनडीए की ओर से अभी तक मुख्यमंत्री पद का चेहरा आधिकारिक रूप से घोषित नहीं किया गया है। ऐसे में तेजस्वी का यह कदम चुनावी माहौल को और गरमा देगा।
जनता की उम्मीदें और चुनौतियाँ
बिहार की जनता लंबे समय से बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी समस्याओं से जूझ रही है। महागठबंधन की कोशिश है कि तेजस्वी यादव को इन मुद्दों पर एक मजबूत विकल्प के रूप में पेश किया जाए।
हालांकि, राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि एनडीए की मजबूत संगठनात्मक पकड़ और नीतीश कुमार का अनुभव महागठबंधन के लिए बड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं।
निष्कर्ष
आरा की रैली ने यह स्पष्ट कर दिया है कि 2025 विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का चेहरा तेजस्वी यादव ही होंगे। “ओरिजिनल मुख्यमंत्री” का नारा चुनावी विमर्श को नया मोड़ देगा और बिहार की राजनीति को दिलचस्प बना देगा। अब देखना यह होगा कि जनता तेजस्वी के इस दावे पर कितनी मुहर लगाती है।