भारतीय राजनीति में जब भी अंग्रेज़ी भाषा की बात होती है, तो सबसे पहले नाम आता है कांग्रेस सांसद शशि थरूर का। उनकी अंग्रेजी शब्दावली न केवल आम जनता बल्कि विद्वानों को भी चौंका देती है। थरूर का अंदाज़, उनकी लेखन शैली और इंटरव्यूज़ में शब्दों का चुनाव इतना अलग होता है कि लोग अक्सर डिक्शनरी खोजने पर मजबूर हो जाते हैं। लेकिन क्या सिर्फ अंग्रेजी ही उनकी पहचान है? या उनके राजनीतिक रुख और पार्टी के भीतर की स्थिति भी उतनी ही दिलचस्प है?
शशि थरूर का राजनीतिक सफर एक डिप्लोमैट के रूप में शुरू हुआ। संयुक्त राष्ट्र में अपनी सेवाओं के बाद वे भारतीय राजनीति में आए और कांग्रेस पार्टी से जुड़े। लोकसभा में उनका भाषण हो या सोशल मीडिया पर उनके ट्वीट्स, हर जगह उनकी शब्दावली और विचारों का अलग ही रंग देखने को मिलता है।
लेकिन शशि थरूर सिर्फ अंग्रेजी शब्दों के लिए नहीं जाने जाते, वे कांग्रेस पार्टी के भीतर अपनी बेबाक राय रखने के लिए भी मशहूर हैं। कई बार उन्होंने सार्वजनिक मंचों पर पार्टी नेतृत्व के फैसलों पर सवाल उठाए हैं। चाहे राहुल गांधी के नेतृत्व पर चर्चा हो या कांग्रेस के संगठनात्मक बदलाव का मुद्दा, थरूर ने हमेशा अपने विचार खुलकर रखे हैं। यही कारण है कि कुछ लोग उन्हें ‘थिंक टैंक’ मानते हैं, तो कुछ उन्हें पार्टी के लिए असहज करने वाला चेहरा बताते हैं।
उनका यह बिंदास अंदाज कई बार विवादों का कारण भी बनता है। पार्टी में एक ओर जहां वे युवाओं और बुद्धिजीवियों के बीच लोकप्रिय हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ वरिष्ठ नेताओं को उनकी स्पष्टवादिता नागवार गुजरती है। हालांकि थरूर का मानना है कि पार्टी में स्वस्थ चर्चा और विचारों का आदान-प्रदान जरूरी है।
थरूर का एक और दिलचस्प पहलू उनकी सोशल मीडिया उपस्थिति है। वे अक्सर नए-नए अंग्रेजी शब्दों के साथ ट्वीट करते हैं, जिससे वे ट्रेंड में आ जाते हैं। लोग उन्हें ‘वर्ड किंग’ कहते हैं और उनकी अंग्रेजी पर मीम्स बनाते हैं। लेकिन उनके लिए यह महज भाषा की बात नहीं है, बल्कि वे इसे एक अभिव्यक्ति का माध्यम मानते हैं।
आज के दौर में जब नेता अक्सर सादगी और सरल भाषा पर जोर देते हैं, थरूर का यह स्टाइल उन्हें अलग खड़ा करता है। उनकी लोकप्रियता का यही राज़ है—ज्ञान, करिश्मा और साहस के साथ बेबाकी।