स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐतिहासिक घोषणा की। उन्होंने कहा कि भारत का दशकों पुराना सपना — देश में सेमीकंडक्टर निर्माण — अब साकार होने जा रहा है। इस साल के अंत तक “मेड इन इंडिया” चिप्स बाजार में उपलब्ध होंगी, जिससे भारत तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम उठाएगा।
भूले-बिसरे सपने की वापसी
पीएम मोदी ने भाषण में अफसोस जताया कि 50-60 साल पहले ही भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण की दिशा में कदम उठाने की संभावना थी, लेकिन उस समय “विचार की भ्रूण हत्या” कर दी गई। उन्होंने कहा,
“अगर उस समय हम साहस दिखाते, तो आज भारत इस क्षेत्र में अग्रणी होता। लेकिन अब यह गलती दोहराई नहीं जाएगी।”
सेमीकंडक्टर मिशन का रोडमैप
सरकार ने 2023 में सेमीकंडक्टर मिशन की नींव रखी थी, जिसका उद्देश्य देश में चिप डिजाइन, फैब्रिकेशन और पैकेजिंग का संपूर्ण इकोसिस्टम तैयार करना है। प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले दो सालों में इस दिशा में तेज़ी से निवेश आया है और कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने का समझौता किया है।
इसके तहत, गुजरात, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में अत्याधुनिक सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। ये प्लांट 28nm से लेकर 7nm तक के चिप्स बनाने में सक्षम होंगे, जो मोबाइल फोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और रक्षा उपकरणों में इस्तेमाल होंगे।
तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में क्रांति
भारत फिलहाल सेमीकंडक्टर की 90% से ज्यादा जरूरत विदेशों से पूरी करता है, जिससे हर साल अरबों डॉलर का आयात बिल बनता है। पीएम मोदी का मानना है कि घरेलू उत्पादन शुरू होने से यह निर्भरता कम होगी और भारतीय उद्योग को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलेगी।
उन्होंने कहा,
“जब हमारे मोबाइल, लैपटॉप, ईवी बैट्री और मिसाइल सिस्टम में मेड इन इंडिया चिप्स लगेंगी, तब हम सिर्फ आत्मनिर्भर नहीं होंगे, बल्कि तकनीक के निर्यातक भी बनेंगे।”
नौकरियों और स्टार्टअप्स के लिए सुनहरा मौका
इस मिशन से न केवल बड़े उद्योगों को फायदा होगा, बल्कि युवाओं के लिए भी लाखों रोजगार अवसर पैदा होंगे। पीएम मोदी ने युवाओं से अपील की कि वे चिप डिजाइन, रिसर्च और फैब्रिकेशन टेक्नोलॉजी में कौशल विकसित करें।
सरकार ने इस क्षेत्र में स्टार्टअप इनोवेशन फंड और विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने की भी घोषणा की है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक्स और चिप डिजाइन सेक्टर में नए उद्यमी तैयार हो सकें।
वैश्विक दृष्टिकोण और भारत की भूमिका
कोविड महामारी और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला संकट ने दुनिया को यह सिखाया कि सेमीकंडक्टर किसी भी आधुनिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। चीन, ताइवान, अमेरिका और दक्षिण कोरिया पहले से इस दौड़ में आगे हैं, लेकिन अब भारत भी इस क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने को तैयार है।
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के पास बड़ी उपभोक्ता मांग, सस्ता श्रम बल, और सरकारी प्रोत्साहन योजनाएं — ये तीनों ऐसे कारक हैं जो इसे वैश्विक सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग हब में बदल सकते हैं।
2025 का ऐतिहासिक मील का पत्थर
प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि दिसंबर 2025 तक भारत में निर्मित पहली चिप्स बाजार में उतरेंगी और 2030 तक भारत दुनिया के टॉप 5 सेमीकंडक्टर निर्माताओं में शामिल हो सकता है।
उन्होंने अंत में कहा,
“यह केवल तकनीक की कहानी नहीं है, यह भारत के आत्मनिर्भर होने और दुनिया में नेतृत्व करने का सपना है। आज हम वह बीज बो रहे हैं, जिसकी फसल आने वाली पीढ़ियां काटेंगी।”