Wednesday, August 27, 2025
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आरएसएस का पंच परिवर्तन: समरसता से नागरिक कर्तव्य तक, समाज निर्माण की नई दिशा

आरएसएस का पंच परिवर्तन अभियान – समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण, स्वयं और नागरिक कर्तव्य – समाज और राष्ट्र निर्माण की दिशा में पाँच अहम स्तंभ हैं। जानिए विस्तार से इन परिवर्तनों का महत्व और उनका उद्देश्य।

प्रस्तावना

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) हमेशा से भारतीय समाज को मजबूत, संगठित और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम करता आया है। इसी सोच को आगे बढ़ाने के लिए संघ ने एक विशेष पहल शुरू की है, जिसे “पंच परिवर्तन” कहा जाता है। यह पांच स्तंभ – समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण, स्वयं और नागरिक कर्तव्य – भारतीय समाज को नई ऊर्जा और दिशा देने के उद्देश्य से सामने रखे गए हैं। इनका लक्ष्य केवल सामाजिक सुधार नहीं बल्कि एक समग्र राष्ट्र निर्माण है। आइए विस्तार से समझते हैं इन पाँचों आयामों को।

1. समरसता (Samarasta) – सामाजिक समानता की ओर

समरसता का अर्थ है – समाज में मौजूद हर तरह के भेदभाव को खत्म करना। चाहे वह जातिगत हो, आर्थिक हो या सामाजिक, समरसता सभी को बराबरी का दर्जा दिलाने का प्रयास है।

  • समाज का सशक्तीकरण: आरएसएस मानता है कि भारत तभी मजबूत होगा जब समाज का हर वर्ग बराबरी के अवसरों का हकदार बने।

  • व्यावहारिक कदम: संघ के कार्यकर्ता अक्सर सहभोज, सामूहिक पूजन और उत्सवों का आयोजन करते हैं, जिसमें सभी जातियों और वर्गों के लोग बराबर शामिल होते हैं।

  • लक्ष्य: सामाजिक दूरी और असमानता को मिटाकर समाज में विश्वास और भाईचारे की भावना को जगाना।

2. परिवार प्रबोधन (Parivar Prabodhan) – मजबूत परिवार, मजबूत समाज

भारतीय संस्कृति में परिवार को समाज की सबसे महत्वपूर्ण इकाई माना गया है। परिवार प्रबोधन का उद्देश्य है कि हर परिवार में संस्कार, संवाद और सकारात्मक माहौल बना रहे।

  • संस्कारों का संरक्षण: माता-पिता और बुजुर्गों के प्रति सम्मान, बच्चों को अच्छे संस्कार देना और परिवार में अनुशासन बनाए रखना।

  • संयुक्त परिवार की परंपरा: आधुनिक जीवनशैली के बावजूद परिवारों को आपस में जोड़े रखना।

  • महिला सशक्तिकरण: परिवार में महिलाओं को बराबरी का दर्जा देना और निर्णयों में उनकी भागीदारी बढ़ाना।

  • लक्ष्य: एक ऐसा समाज, जिसकी जड़ें मजबूत हों और जहां नैतिक मूल्यों की नींव परिवार से ही डाली जाए।

3. पर्यावरण (Paryavaran) – प्रकृति का संरक्षण

आरएसएस के पंच परिवर्तन का तीसरा स्तंभ है पर्यावरण। संघ मानता है कि प्रकृति के बिना मानव जीवन अधूरा है, और पर्यावरण की रक्षा हर नागरिक का कर्तव्य है।

  • व्यावहारिक पहल: संघ के स्वयंसेवक समय-समय पर वृक्षारोपण, जल-संरक्षण और प्लास्टिक मुक्त भारत जैसे अभियानों में शामिल होते हैं।

  • जिम्मेदारी का संदेश: यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं बल्कि हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह प्रकृति को बचाए।

  • लक्ष्य: जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों से निपटना और आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित वातावरण छोड़ना।

4. स्वयं (Swayam) – आत्मनिर्भरता और स्वदेशी

“स्वयं” का मतलब है खुद पर निर्भर रहना। आरएसएस का मानना है कि जब तक व्यक्ति और समाज आत्मनिर्भर नहीं होंगे, राष्ट्र की मजबूती अधूरी रहेगी।

  • आर्थिक आत्मनिर्भरता: स्थानीय उद्योगों, स्वरोजगार और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देना।

  • स्वदेशी पर बल: “वोकल फॉर लोकल” जैसे अभियानों से प्रेरित होकर देशी उत्पादों का प्रयोग और उत्पादन।

  • व्यक्तिगत स्तर पर आत्मनिर्भरता: हर नागरिक को इतना सक्षम बनाना कि वह अपने परिवार और समाज का सहारा बन सके।

  • लक्ष्य: एक ऐसा भारत जो विदेशी निर्भरता से मुक्त होकर अपनी क्षमताओं पर खड़ा हो।

 5. नागरिक कर्तव्य (Nagrik Kartavya) – जिम्मेदार नागरिक का निर्माण

अक्सर लोग अपने अधिकारों पर तो जोर देते हैं, लेकिन कर्तव्यों को भूल जाते हैं। आरएसएस का पाँचवाँ परिवर्तन नागरिकों को उनके कर्तव्यों की याद दिलाता है।

  • मतदान का महत्व: हर नागरिक को लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए मतदान में भाग लेना चाहिए।

  • सामाजिक जिम्मेदारी: करों का ईमानदारी से भुगतान, ट्रैफिक नियमों का पालन और सार्वजनिक संपत्ति की रक्षा करना।

  • स्वच्छता और सेवा: अपने आस-पास सफाई रखना और जरूरतमंदों की मदद करना।

  • लक्ष्य: ऐसे नागरिक तैयार करना जो अधिकारों के साथ-साथ जिम्मेदारियों को भी निभाएं।

निष्कर्ष

आरएसएस का पंच परिवर्तन अभियान केवल एक विचार नहीं बल्कि एक आंदोलन है, जो समाज को बदलने और राष्ट्र को सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रहा है। समरसता से लेकर नागरिक कर्तव्य तक, ये पाँच स्तंभ भारत को न केवल आत्मनिर्भर बल्कि नैतिक और पर्यावरणीय रूप से भी सशक्त बनाने की ओर ले जाते हैं।

यह अभियान हमें याद दिलाता है कि परिवर्तन की शुरुआत घर से, समाज से और व्यक्ति से ही होती है। अगर हर नागरिक इन पाँच परिवर्तनों को अपनाए, तो “नया भारत” केवल एक सपना नहीं बल्कि एक हकीकत बन जाएगा।

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