“RSS और BJP में मतभेद की अफवाहों पर विराम : मोहन भागवत बोले – कहीं कोई झगड़ा नहीं है”
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने आज एक महत्वपूर्ण बयान देकर उन सभी अटकलों को खारिज कर दिया, जिनमें कहा जा रहा था कि संघ और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के बीच मतभेद गहराते जा रहे हैं। भागवत ने स्पष्ट किया कि संघ और भाजपा के बीच किसी प्रकार का टकराव या मतभेद नहीं है। उन्होंने कहा कि “संघ का काम समाज में संगठन, जागरूकता और संस्कार निर्माण का है। राजनीति उसका हिस्सा नहीं है। भाजपा और अन्य राजनीतिक दल अपने-अपने हिसाब से निर्णय लेते हैं, संघ का काम समाज को दिशा देना है।”
मतभेद की अटकलों का पृष्ठभूमि
पिछले कुछ समय से राजनीतिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर थी कि RSS और BJP के बीच कई मुद्दों को लेकर मतभेद बढ़ रहे हैं। विशेष रूप से शिक्षा नीति, सांस्कृतिक मूल्यों की व्याख्या और तकनीकी बदलावों को लेकर दोनों संगठनों में अलग-अलग दृष्टिकोण सामने आने की बात कही जा रही थी। विपक्षी दल भी बार-बार यह आरोप लगाते रहे हैं कि भाजपा संघ की विचारधारा को लागू करने में असफल हो रही है, जिससे रिश्तों में खटास आई है।
हालांकि, भागवत ने अपने बयान से यह स्पष्ट कर दिया कि ऐसे सभी दावे निराधार हैं और इन्हें केवल राजनीतिक लाभ के लिए उछाला जा रहा है।
मोहन भागवत का दृष्टिकोण
भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि “संघ राजनीति नहीं करता। हम समाज को जोड़ने और देश को सशक्त बनाने का कार्य करते हैं। भाजपा या कोई भी राजनीतिक दल अपने हिसाब से फैसले लेते हैं। यदि कुछ विषयों पर अलग दृष्टिकोण होता भी है, तो इसका अर्थ यह नहीं कि कोई झगड़ा है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि संघ और भाजपा का रिश्ता विचारधारा और मूल्यों पर आधारित है, न कि सत्ता या पदों पर। उन्होंने कहा कि “हम सबका लक्ष्य एक ही है – राष्ट्र का कल्याण और समाज का उत्थान।”
शिक्षा और समाज पर विचार
भागवत ने अपने भाषण में शिक्षा व्यवस्था पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा प्रणाली में केवल रोजगार ही नहीं, बल्कि संस्कार और समाज सेवा की भावना को भी जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षा केवल डिग्री लेने का माध्यम न होकर चरित्र निर्माण और राष्ट्र निर्माण का आधार होना चाहिए।
तकनीक और संस्कृति पर टिप्पणी
संघ प्रमुख ने तकनीक के बढ़ते प्रभाव पर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि तकनीक का उपयोग समाज कल्याण और संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिए होना चाहिए। अगर तकनीक से समाज टूटेगा या परंपराओं का ह्रास होगा तो उसका कोई लाभ नहीं है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे आधुनिकता और परंपरा का संतुलन बनाए रखें।
विपक्षी दलों की प्रतिक्रिया
भागवत के इस बयान पर विपक्षी दलों ने भी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस ने कहा कि यदि वास्तव में कोई मतभेद नहीं है तो भाजपा को संघ के हस्तक्षेप से पूरी तरह मुक्त होकर काम करना चाहिए। वहीं समाजवादी पार्टी और राजद ने इसे “पॉलिटिकल डैमेज कंट्रोल” बताया। उनका कहना है कि लोकसभा चुनावों से पहले संघ और भाजपा के बीच रिश्तों पर उठ रहे सवालों को शांत करने के लिए यह बयान दिया गया है।
भाजपा की ओर से स्वागत
भाजपा नेताओं ने भागवत के बयान का स्वागत किया और कहा कि संघ और भाजपा का रिश्ता अटूट है। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि “संघ हमारी प्रेरणा है। उनके मार्गदर्शन से ही हम देश में राष्ट्रवादी नीतियों को आगे बढ़ा रहे हैं। विपक्ष केवल भ्रम फैलाने की कोशिश करता है।”
जनता की नजर में संदेश
मोहन भागवत का यह बयान ऐसे समय आया है जब देश में शिक्षा, समाज और राजनीति से जुड़े मुद्दों पर बड़े विमर्श चल रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस बयान का उद्देश्य जनता के बीच यह संदेश देना है कि भाजपा और संघ के बीच कोई दरार नहीं है और दोनों का लक्ष्य राष्ट्रहित है।
निष्कर्ष
मोहन भागवत ने अपने बयान से यह साफ कर दिया है कि संघ और भाजपा के रिश्ते विचारधारा और मूल्यों पर आधारित हैं, न कि सत्ता की राजनीति पर। हालांकि, राजनीति में ऐसे बयानों की व्याख्या अलग-अलग तरीके से की जाती है और आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष इसे किस तरह भुनाता है।
लेकिन फिलहाल, संघ प्रमुख के इस बयान से भाजपा को राहत मिली है और गठबंधन सहयोगियों के बीच भी यह संदेश गया है कि भाजपा और संघ साथ-साथ हैं।