उत्तर प्रदेश की राजनीति इन दिनों एक नए मोड़ पर पहुंच गई है। समाजवादी पार्टी (SP) की बागी विधायक Pooja Pal को पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है, जिसके बाद उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि उन्हें न सिर्फ पार्टी से अपमानित करके निकाला गया, बल्कि अब उनकी जान को भी खतरा है।
क्यों हुआ निष्कासन?
पिछले हफ्ते विधानसभा सत्र के दौरान पूनम पाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कार्यप्रणाली की प्रशंसा की थी। उन्होंने कहा था कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था को लेकर योगी सरकार ने कई सख्त कदम उठाए हैं। यह बयान समाजवादी पार्टी की नीति के खिलाफ माना गया और तुरंत प्रभाव से उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया गया।
SP का कहना है कि पूनम पाल का यह रवैया “एंटी-पार्टी एक्टिविटी” की श्रेणी में आता है, इसलिए कार्रवाई करनी पड़ी।
अखिलेश यादव पर तीखा हमला
निष्कासन के बाद पूनम पाल ने सीधे-सीधे अखिलेश यादव पर निशाना साधा। उन्होंने कहा—
“मुझे बिना वजह अपमानित किया गया। पार्टी में अपराधियों और बाहुबलियों को संरक्षण दिया जाता है, जबकि मेरे जैसे नेताओं को किनारे कर दिया जाता है। अगर मुझे या मेरे परिवार को कुछ होता है, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी की होगी।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पार्टी से निष्कासन का फैसला सिर्फ इसलिए लिया गया क्योंकि उन्होंने सच्चाई बोलने की हिम्मत दिखाई।
सुरक्षा को लेकर आशंका
पूनम पाल ने अखिलेश यादव को लिखे एक पत्र में यह तक कहा है कि उन्हें अपने जीवन को लेकर गंभीर खतरा है। उन्होंने कहा—
“मुझे डर है कि मेरे पति की तरह ही मुझे भी साजिशन मौत के घाट उतारा जा सकता है। मैं केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार से सुरक्षा की मांग करती हूं।”
याद दिला दें कि पूनम पाल के पति राजू पाल की 2005 में हत्या कर दी गई थी, जिसका आरोप माफिया से जुड़े लोगों पर लगा था।🔹 योगी आदित्यनाथ से मुलाकात
योगी आदित्यनाथ से मुलाकात
निष्कासन के बाद पूनम पाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात भी की। इस मुलाकात ने यूपी की राजनीति में नए समीकरणों की चर्चा को हवा दे दी है। राजनीतिक गलियारों में यह अटकलें लगाई जा रही हैं कि जल्द ही पूनम पाल भाजपा (BJP) में शामिल हो सकती हैं।
हालांकि उन्होंने अभी तक औपचारिक तौर पर इसका ऐलान नहीं किया है। लेकिन उनका कहना है कि वह “जनता के हित में काम करना चाहती हैं और जहां उन्हें सम्मान मिलेगा, वहीं राजनीति करेंगी।”
सपा की सफाई
SP नेताओं का कहना है कि पूनम पाल लगातार पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी कर रही थीं। पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा—
“योगी आदित्यनाथ की तारीफ करना उनकी व्यक्तिगत सोच हो सकती है, लेकिन विधायक रहते हुए उन्हें पार्टी की मर्यादा का पालन करना चाहिए था। उनके बयान से पार्टी की छवि को नुकसान पहुंचा है।”
राजनीतिक भविष्य पर नजर
विशेषज्ञों का मानना है कि पूनम पाल का BJP में जाना लगभग तय है। उनके निष्कासन से न सिर्फ कौशांबी और प्रयागराज क्षेत्र की राजनीति पर असर पड़ेगा, बल्कि समाजवादी पार्टी की दलित और पिछड़े वर्ग में पकड़ भी कमजोर हो सकती है।
अगर वह भाजपा में शामिल होती हैं, तो पार्टी को महिला और सहानुभूति वोटरों का बड़ा लाभ मिल सकता है।
निष्कर्ष
पूनम पाल का निष्कासन और उनके आरोपों ने उत्तर प्रदेश की राजनीति को हिला दिया है। एक ओर SP अपनी छवि बचाने की कोशिश कर रही है, तो दूसरी ओर BJP इस पूरे घटनाक्रम को अपने पक्ष में करने की तैयारी में है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि पूनम पाल औपचारिक तौर पर भाजपा में जाती हैं या एक स्वतंत्र राजनीतिक राह चुनती हैं।