प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार को चीन के तिआनजिन पहुंचे, जहां उनका रेड कारपेट पर भव्य स्वागत किया गया। एयरपोर्ट पर चीनी अधिकारियों और विशेष गार्ड ऑफ ऑनर के साथ पीएम मोदी का अभिनंदन किया गया। प्रधानमंत्री का यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था कई चुनौतियों से गुजर रही है।
तिआनजिन में मोदी का स्वागत
तिआनजिन शहर, जो चीन का एक प्रमुख औद्योगिक और आर्थिक केंद्र है, प्रधानमंत्री मोदी के आगमन से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गया। चीनी परंपरागत संगीत, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और रेड कारपेट से प्रधानमंत्री का स्वागत यह संदेश देता है कि चीन इस मुलाकात को काफी अहम मान रहा है।
जिनपिंग और पुतिन संग वार्ता की तैयारी
पीएम मोदी की मुलाकात सबसे पहले चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से होगी। दोनों नेताओं के बीच सीमा मुद्दों, व्यापारिक सहयोग और वैश्विक आर्थिक अस्थिरता पर बातचीत होने की उम्मीद है। भारत और चीन दोनों ही दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ हैं और स्थिर आर्थिक व्यवस्था के लिए सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया जा सकता है।
इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी मिलेंगे। भारत-रूस रिश्तों का आधार दशकों पुराना है और दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा और तकनीकी सहयोग के नए आयाम खुलने की संभावना है। माना जा रहा है कि यूक्रेन संकट, ऊर्जा आपूर्ति और एशियाई क्षेत्रीय स्थिरता पर भी चर्चा हो सकती है।
वैश्विक अर्थव्यवस्था और निवेश पर फोकस
मुलाकात का एक बड़ा एजेंडा वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर है। हाल के दिनों में अमेरिका और यूरोप में बढ़ते आर्थिक दबावों के बीच एशियाई देशों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। भारत, चीन और रूस के बीच यदि कोई ठोस आर्थिक सहयोग समझौता होता है, तो यह न केवल तीनों देशों बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा दे सकता है।
सुरक्षा और बहुपक्षीय सहयोग
तीनों नेताओं के बीच सुरक्षा सहयोग पर भी अहम चर्चा हो सकती है। आतंकवाद, साइबर सुरक्षा और समुद्री सुरक्षा जैसे मुद्दों पर साझा रणनीति बनाने की कोशिश होगी। भारत का मानना है कि एशिया में स्थिरता तभी संभव है जब बड़े देश मिलकर शांति और विकास का माहौल तैयार करें।
भारत के लिए महत्व
यह दौरा भारत के लिए कई मायनों में महत्वपूर्ण है। एक ओर भारत अपने पड़ोसियों के साथ संबंधों को बेहतर करने की कोशिश कर रहा है, वहीं दूसरी ओर वैश्विक स्तर पर नई आर्थिक और राजनीतिक धुरी बनाने की तैयारी भी कर रहा है। चीन और रूस के साथ गहरे रिश्ते भारत को न केवल एशिया में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी एक सशक्त स्थिति दिला सकते हैं।
📰 राजनीतिक और कूटनीतिक संदेश
विशेषज्ञों का मानना है कि तिआनजिन में मोदी-जिनपिंग-पुतिन की मुलाकात पश्चिमी देशों को एक कूटनीतिक संदेश भी है। यह मुलाकात यह दर्शाती है कि भारत, चीन और रूस वैश्विक मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण अपनाने की कोशिश कर रहे हैं।
आगे की रणनीति
पीएम मोदी का यह दौरा केवल कूटनीतिक शिष्टाचार भर नहीं है, बल्कि इसके जरिए भारत अपनी विदेश नीति के बहुपक्षीय दृष्टिकोण को और मजबूत कर रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि मुलाकात के बाद क्या कोई साझा बयान या समझौता सामने आता है, जो वैश्विक समीकरणों को प्रभावित कर सके।