शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट का मंच इस बार केवल बहुपक्षीय वार्ताओं का ही नहीं बल्कि गहरी दोस्ती और रणनीतिक रिश्तों का भी साक्षी बना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई मुलाकात ने इस सम्मेलन की सुर्खियों को पूरी तरह से अपनी ओर खींच लिया।
कार डिप्लोमेसी बनी चर्चा का केंद्र
मीटिंग से पहले दोनों नेता एक ही कार में बैठकर वार्ता स्थल तक पहुँचे। इस दृश्य ने सोशल मीडिया पर हलचल मचा दी और इसे “कार डिप्लोमेसी” का नाम दिया जाने लगा। प्रधानमंत्री मोदी ने इस लम्हे को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा:
“SCO समिट की कार्यवाही के बाद राष्ट्रपति पुतिन और मैं साथ में हमारी द्विपक्षीय मीटिंग के स्थल तक गए। उनके साथ हुई बातचीत हमेशा प्रेरणादायक और सार्थक होती है।”
यह तस्वीर और वीडियो इस बात का संकेत थे कि भारत-रूस संबंध केवल कूटनीतिक नहीं बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी गहरे और भरोसेमंद हैं।
ऊर्जा सुरक्षा और व्यापार पर जोर
वार्ता का प्रमुख विषय ऊर्जा सुरक्षा रहा। भारत की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए रूस ने दीर्घकालिक आपूर्ति सुनिश्चित करने का भरोसा दिलाया। इसके साथ ही दोनों नेताओं ने व्यापार में नई संभावनाओं की तलाश पर भी जोर दिया।
भारत और रूस के बीच गैर-तेल व्यापार को 100 बिलियन डॉलर तक पहुँचाने की साझा रणनीति पर चर्चा हुई। दोनों देशों ने सहमति जताई कि भुगतान तंत्र, लॉजिस्टिक सप्लाई और नई तकनीकों के आदान-प्रदान पर और अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।
रक्षा और तकनीकी सहयोग
भारत-रूस संबंधों की नींव हमेशा से रक्षा सहयोग पर टिकी रही है। इस बैठक में भी रक्षा क्षेत्र की साझेदारी को और मजबूत करने पर बल दिया गया। खासकर मेक इन इंडिया और को-प्रोडक्शन मॉडल के तहत नई परियोजनाओं पर विचार किया गया।
साथ ही, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने की भी रूपरेखा बनी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा और अंतरिक्ष अनुसंधान को लेकर संयुक्त कार्ययोजना पर सहमति बनी।
जन-जन के रिश्तों की अहमियत
दोनों नेताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि रिश्ते केवल सरकारों तक सीमित नहीं होने चाहिए। शिक्षा, संस्कृति और पर्यटन जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाकर लोगों से लोगों को जोड़ने वाले रिश्तों को और गहराई दी जाएगी।
पुतिन का भारत दौरा तय
इस मुलाकात के दौरान यह भी तय हुआ कि राष्ट्रपति पुतिन दिसंबर 2025 में भारत का दौरा करेंगे। यह दौरा दोनों देशों के रिश्तों में नई ऊर्जा लाने वाला साबित होगा। उम्मीद है कि इस दौरान कई अहम समझौते होंगे, जिनमें रक्षा सौदे, ऊर्जा परियोजनाएँ और टेक्नोलॉजी ट्रांसफर शामिल होंगे।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में संदेश
यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब दुनिया में शक्ति संतुलन तेजी से बदल रहा है। अमेरिका और पश्चिमी देशों की नीतियों के बीच भारत और रूस की यह दोस्ती दुनिया को एक नया संदेश देती है — स्वतंत्र और संतुलित कूटनीति का।
विशेषज्ञों का मानना है कि मोदी-पुतिन मुलाकात ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि भारत और रूस आने वाले दशकों में भी एक-दूसरे के रणनीतिक साझेदार बने रहेंगे।
निष्कर्ष
तियानजिन में हुई यह मुलाकात सिर्फ औपचारिक कूटनीति तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसमें व्यक्तिगत रिश्तों की गर्माहट और भरोसा साफ झलक रहा था। कार से लेकर कॉन्फ्रेंस हॉल तक की यह “डिप्लोमेसी” दुनिया को यह बताने के लिए काफी थी कि भारत-रूस की दोस्ती अटूट है और वैश्विक मंच पर इसका महत्व और भी बढ़ने वाला है।