प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जापान का दो दिवसीय दौरा (29–30 अगस्त 2025) भारत-जापान संबंधों को नई ऊँचाइयों तक ले जाने वाला साबित हो रहा है। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिका ने भारत के निर्यात पर 50% तक का टैरिफ लगा दिया है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ा है। ऐसे में मोदी का यह दौरा एशिया में रणनीतिक और आर्थिक साझेदारियों को मजबूत करने की दिशा में एक निर्णायक कदम माना जा रहा है।
अमेरिकी टैरिफ की पृष्ठभूमि
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय स्टील, फार्मा और टेक्नोलॉजी उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाते हुए आर्थिक दबाव बढ़ा दिया। विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम भारत के लिए निर्यात के मोर्चे पर चुनौतीपूर्ण है। यही वजह है कि भारत अब जापान जैसे एशियाई साझेदारों के साथ तकनीक, व्यापार और निवेश के नए रास्ते तलाश रहा है।
जापान में भव्य स्वागत
टोक्यो पहुंचने पर प्रधानमंत्री मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। भारतीय समुदाय ने पारंपरिक लोकगीतों और गायत्री मंत्र के साथ उनका अभिनंदन किया। जापानी नागरिकों ने भी मोदी का स्वागत सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से किया, जिससे दोनों देशों के बीच गहरे सांस्कृतिक संबंधों की झलक दिखाई दी।
वार्ता का एजेंडा: तकनीक और सुरक्षा
प्रधानमंत्री मोदी और जापानी प्रधानमंत्री फुमियो इशिबा के बीच हुई शिखर वार्ता में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।
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सेमीकंडक्टर और एआई सहयोग: दोनों देशों ने एक संयुक्त “एआई कोऑपरेशन इनिशिएटिव” लॉन्च किया। इसका उद्देश्य है कि भारत की युवा प्रतिभा और जापान की उन्नत तकनीक को मिलाकर एआई और चिप मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में नई संभावनाएँ खोली जाएं।
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आर्थिक सुरक्षा पहल: सप्लाई चेन को मजबूत बनाने और एशियाई क्षेत्र को वैश्विक अस्थिरता से सुरक्षित रखने के लिए “इकोनॉमिक सिक्योरिटी इनिशिएटिव” शुरू किया गया।
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रक्षा सहयोग: 2008 के सुरक्षा समझौते को नए सिरे से अपडेट किया गया ताकि दोनों देश रक्षा और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में मिलकर काम कर सकें। इसके ज़रिए क्वाड गठबंधन को भी मज़बूती मिलेगी।
बुलेट ट्रेन परियोजना
जापान की विश्व-प्रसिद्ध शिंकानसेन तकनीक अब भारत में और तेजी से विस्तार करेगी। मोदी ने तोहोकू शिंकानसेन मैन्युफैक्चरिंग प्लांट का दौरा किया और जापान के साथ मिलकर अगली पीढ़ी की E10 बुलेट ट्रेन को भारत में लाने पर सहमति जताई। यह समझौता भारत में हाई-स्पीड रेल नेटवर्क को गति देगा और “मेक इन इंडिया” अभियान को भी नई दिशा प्रदान करेगा।
निवेश का बड़ा वादा
इस दौरे का सबसे बड़ा आर्थिक पहलू जापान का निवेश वादा रहा। जापान ने भारत में अगले दस वर्षों में 68 अरब डॉलर (करीब 10 ट्रिलियन येन) निवेश करने की घोषणा की। यह निवेश ऊर्जा, बुनियादी ढांचा, टेक्नोलॉजी, मोबिलिटी और रक्षा क्षेत्र में होगा। इसके अलावा, दोनों देशों के बीच 100 से अधिक एमओयू साइन किए गए, जिनमें स्वच्छ ऊर्जा, डिजिटल सहयोग और स्टार्टअप इकोसिस्टम को बढ़ावा देने वाले समझौते भी शामिल हैं।
क्वाड और इंडो-पैसिफिक रणनीति
भारत और जापान दोनों ही क्वाड के सदस्य हैं और इस क्षेत्र को स्थिर बनाने में इनकी भूमिका अहम है। मोदी और इशिबा ने इस बात पर ज़ोर दिया कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा, स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए दोनों देशों का सहयोग आवश्यक है। चीन के बढ़ते दबदबे को देखते हुए यह पहल और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
सांस्कृतिक और जन-जन का जुड़ाव
इस यात्रा की एक और खासियत रही पीपल-टू-पीपल कनेक्ट। भारतीय समुदाय और जापानी नागरिकों के बीच जो आत्मीयता दिखाई दी, उसने रिश्तों को और गहराई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने भी अपने संबोधन में कहा कि भारत और जापान केवल रणनीतिक साझेदार नहीं बल्कि “आध्यात्मिक और सांस्कृतिक साझेदार” भी हैं।
निष्कर्ष
पीएम मोदी का यह जापान दौरा न केवल आर्थिक और तकनीकी साझेदारी को मजबूत करने वाला है, बल्कि यह भारत की विदेश नीति की नई दिशा भी दिखाता है। अमेरिकी टैरिफ के दबाव के बीच भारत का झुकाव एशियाई सहयोगियों की ओर और तेज़ हुआ है। जापान के साथ बुलेट ट्रेन, एआई, सेमीकंडक्टर और रक्षा सहयोग जैसी परियोजनाएँ भविष्य के भारत-जापान संबंधों को नई ऊँचाइयों तक ले जाने वाली हैं।