शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच हुई अहम बैठक ने भारत-चीन संबंधों में नई ऊर्जा भर दी है। रविवार को विदेश मंत्रालय (MEA) ने जानकारी दी कि बैठक में दोनों नेताओं ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत और चीन प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि विकास सहयोगी हैं और मतभेदों को विवाद का रूप नहीं लेने देना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर राष्ट्रपति शी को 2026 में BRICS समिट के लिए भारत आने का न्योता दिया, जिसे शी जिनपिंग ने धन्यवाद के साथ स्वीकार किया और भारत की अध्यक्षता के लिए पूरा समर्थन देने का आश्वासन भी दिया।
सीमा पर शांति और विकास पर जोर
MEA के मुताबिक, पीएम मोदी और शी ने इस बात पर जोर दिया कि भारत-चीन संबंधों में स्थिरता दोनों देशों के विकास के लिए अनिवार्य है।
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प्रधानमंत्री मोदी ने बैठक में सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को रेखांकित किया।
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दोनों नेताओं ने पिछले वर्ष पूर्वी लद्दाख से सैनिकों की सफल वापसी पर संतोष जताया।
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सीमा विवाद के “न्यायसंगत, उचित और परस्पर स्वीकार्य समाधान” पर सहमति बनी।
MEA के बयान में कहा गया:
“दोनों नेताओं ने यह माना कि सीमा प्रश्न का समाधान दोनों देशों के दीर्घकालिक हित में है और इसके लिए विशेष प्रतिनिधियों की हालिया वार्ता के महत्वपूर्ण निर्णयों को आगे बढ़ाया जाएगा।”
कैलाश मानसरोवर यात्रा और सीधी उड़ानों पर चर्चा
बैठक में धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने पर भी चर्चा हुई।
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कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने की आवश्यकता पर दोनों नेता सहमत हुए।
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भारत और चीन के बीच सीधी उड़ानों को पुनः चालू करने पर भी जोर दिया गया।
दोनों नेताओं ने कहा कि ये कदम आपसी विश्वास और लोगों के बीच संपर्क को मजबूत करेंगे।
“तीसरे देश के नजरिये से न देखें संबंध”
पीएम मोदी ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत-चीन रिश्तों को किसी तीसरे देश के नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। उनका इशारा स्पष्ट था कि दोनों देशों को अपने आपसी संबंधों को स्वतंत्र रूप से देखना चाहिए, किसी बाहरी प्रभाव से नहीं।
बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग
दोनों नेताओं ने इस बात पर भी सहमति जताई कि भारत और चीन को बहुपक्षीय मंचों पर एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए।
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आतंकवाद से लड़ाई
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निष्पक्ष व्यापार
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बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था
इन मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित किया गया।
पीएम मोदी की मुलाकात CCP के कै ची से
PM मोदी ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) के पोलित ब्यूरो की स्थायी समिति के सदस्य कै ची (Cai Qi) से भी मुलाकात की।
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पीएम मोदी ने उन्हें भारत-चीन संबंधों के लिए अपनी दृष्टि बताई।
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कै ची ने कहा कि चीन भारत के साथ आदान-प्रदान बढ़ाना चाहता है और दोनों नेताओं के बीच बनी सहमति के अनुरूप रिश्ते और बेहतर करना चाहता है।
भारत-चीन रिश्तों की अहमियत
विशेषज्ञों के अनुसार, यह बैठक इस बात का संकेत है कि भारत और चीन दोनों ही रिश्तों को स्थिर दिशा में ले जाना चाहते हैं। सीमा विवाद, व्यापार असंतुलन और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के बावजूद, दोनों देशों ने यह स्वीकार किया कि उनकी साझेदारी एशिया और दुनिया की शांति व विकास के लिए जरूरी है।
निष्कर्ष
SCO समिट में मोदी-शी मुलाकात ने भारत-चीन रिश्तों में नई उम्मीदें जगा दी हैं। सीमा पर शांति, व्यापार में सहयोग, धार्मिक यात्रा और सांस्कृतिक संपर्क जैसे मुद्दों पर प्रगति दोनों देशों को और करीब ला सकती है। अब सबकी निगाहें 2026 के BRICS समिट पर होंगी, जब शी जिनपिंग भारत का दौरा करेंगे।