ऑपरेशन सिंदूर मां कामाख्या पीएम मोदी — यह वाक्य इन दिनों राजनीतिक और सामाजिक चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने असम दौरे पर कहा कि मां कामाख्या के आशीर्वाद से उन्हें विकास परियोजनाओं को जनता को समर्पित करने का अवसर मिला। इसके साथ ही उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता को भी धार्मिक शक्ति, राष्ट्रीय संकल्प और भारतीय सेना की बहादुरी से जोड़ा।
ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि
22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की जान चली गई थी। इस घटना के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ऐलान किया कि “हम अपनी बेटियों के सिंदूर का बदला लेंगे।” इसी संकल्प के तहत भारतीय सेना ने सीमा पार आतंकी ठिकानों पर करारा प्रहार किया। इस सैन्य कार्रवाई को ही ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम दिया गया।
ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने कई आतंकी कैंप तबाह किए और कई दुश्मन आतंकियों का सफाया किया। इस सफलता को पूरे देश ने सलाम किया।
असम में पीएम मोदी का बयान
असम में पीएम मोदी ने जब कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया, तो उन्होंने कहा कि “मां कामाख्या के आशीर्वाद से ही मुझे असम की जनता को ये योजनाएं समर्पित करने का अवसर मिला।” उन्होंने आगे कहा कि भारत की शक्ति केवल सैन्य बल से नहीं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक आस्थाओं से भी आती है।
यहां उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर का सीधा उल्लेख करते हुए कहा कि भारत हर युद्ध और चुनौती में विजयी होता है क्योंकि मां कामाख्या और भगवान महादेव का आशीर्वाद इस देश के साथ है।
स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया
असम में पीएम मोदी के इस बयान के बाद लोगों में उत्साह देखने को मिला।
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लेडो (असम) में नागरिकों ने तिरंगा रैली निकालकर भारतीय सेना और पीएम मोदी का आभार व्यक्त किया।
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कई युवाओं ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने पूरे उत्तर-पूर्व को गर्व से भर दिया है।
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असम के मंत्री पियुष हजारीका ने पीएम मोदी की “मन की बात” और उनके बयान का समर्थन करते हुए कहा कि इस तरह के संदेश राष्ट्रीय एकता और जन-भावनाओं को मजबूत करते हैं।
धार्मिक-सांस्कृतिक महत्व
ऑपरेशन सिंदूर मां कामाख्या पीएम मोदी का यह उल्लेख केवल एक बयान नहीं बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है।
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धार्मिक जुड़ाव: असम और पूरे उत्तर-पूर्व में मां कामाख्या की गहरी आस्था है। पीएम मोदी का यह बयान सीधे जनता की भावनाओं से जुड़ता है।
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नैतिक वैधता: ऑपरेशन सिंदूर को धार्मिक आशीर्वाद से जोड़ना इसे और भी वैध और नैतिक ठहराता है।
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क्षेत्रीय पहचान: इससे स्थानीय संस्कृति और आस्था को सम्मान मिलता है, जिससे असम और केंद्र सरकार के बीच भरोसे का रिश्ता और मजबूत होता है।
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राजनीतिक संदेश: यह स्पष्ट करता है कि भारत की सैन्य शक्ति केवल हथियारों तक सीमित नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक शक्ति से भी प्रेरित है।
विपक्ष की संभावित प्रतिक्रिया
हालांकि, विपक्ष इसे राजनीति और धर्म के मिलावटी प्रयोग के तौर पर देख सकता है। कई दल यह सवाल उठा सकते हैं कि क्या सैन्य अभियानों को धार्मिक आस्था से जोड़ना सही है। लेकिन यह भी सच है कि जनता के बीच ऐसे बयानों का असर गहरा होता है और यह राष्ट्रीय गर्व को और भी मजबूत करता है।
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर मां कामाख्या पीएम मोदी — यह संदेश देशभर में तेजी से फैल रहा है। असम में पीएम मोदी ने मां कामाख्या के आशीर्वाद का जिक्र कर स्थानीय आस्था का सम्मान किया और पूरे देश को यह संदेश दिया कि भारत की शक्ति केवल सैन्य ताकत से नहीं, बल्कि धर्म, संस्कृति और एकता से आती है।
ऑपरेशन सिंदूर की सफलता इस बात का प्रतीक है कि भारत अपने नागरिकों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। और जब इस राष्ट्रीय संकल्प को धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था से जोड़ा जाता है, तो यह जनता के बीच और भी शक्तिशाली संदेश बनकर उभरता है।