Sunday, October 19, 2025
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पीएम मोदी ने SCO समिट में उठाई सीमा-पार आतंक की समस्या और पहलगाम हमले का मुद्दा — पाक पीएम नज़रों के सामने कसी सियासत

तियानजिन में सम्पन्न SCO शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीमा-पार से हो रहे आतंक और चार अप्रैल को हुए पहलगाम हमले को एक ‘चुनौती’ बताते हुए, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के सामने दृढ़ता से दुनिया से आतंक के खिलाफ एकजुटता की अपील की। चीन समेत अन्य SCO सदस्य देशों से उन्होंने प्रतिबद्धता जताने की उम्मीद जताई।

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के 25वें शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर सीमा-पार से हो रहे आतंकवाद और विशेषकर अप्रिल के पहलगाम हमले का मुद्दा उठाते हुए इसे एक गंभीर “चुनौती (challenge)” कहा। इस दौरान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शेहबाज़ शरीफ़ भी सभा में उपस्थित थे, जिससे शिखर सम्मेलन की कूटनीतिक पृष्ठभूमि और भी अधिक हल्की-फुल्की नहीं रही।

1. सीमा-पार आतंकवाद पर मोदी की मुखर अपील

मोदी ने मंच से स्पष्ट किया कि SCO को आतंकवाद के विरोध में दोहरे मानदंड स्वीकार नहीं हैं, और सभी सदस्य देशों को मिलकर इस समस्या से निपटना चाहिए। उन्होंने “पहलगाम के सबसे काले पहलुओं” का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने दशकों से आतंकवाद का सामना कर रहा है और हाल में जो घटना हुई, वह इसका दर्दनाक उदाहरण है।

विदेश सचिव विक्रम मिश्र ने स्पष्ट किया कि यह विषय प्रधानमंत्री ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से चर्चा करते हुए प्राथमिकता के रूप में उठाया। उन्होंने बताया कि चीन ने इस पर समझ और सहयोग की भावना जताई है। इससे एससीओ के साझा बयान (Tianjin Declaration) में आतंकवाद के खिलाफ कड़ी भाषा शामिल होने की उम्मीद बढ़ गई है।

2. पाकिस्तान पीएम की उपस्थिति और दृश्य अपूर्णता

जब मोदी ने यह बयान दिया, तब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शेहबाज़ शरीफ़ भी वहां मौजूद थे। इस दृश्य ने दोनों देशों की अंतरराष्ट्रीय रिश्तों में गहराई और तनाव को उजागर किया। दोनो नेता एक ही पैनल में उपस्थित थे, मगर बातचीत और पहलुओं में स्पष्ट दूरी बनी रही।

यह स्थिति उस सीमा पार संकट की गूंज बनी, जिसकी बात मोदी ने की। आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा के सवाल पर दोनों देशों की भिन्न दृष्टियाँ इस मंच पर नज़र आईं।

3. SCO मंच से वैश्विक सुरक्षा का सन्देश

मोदी ने SCO को “Security, Connectivity and Opportunity” का मंच बताया और स्पष्ट किया कि आतंकवाद के खिलाफ किसी भी तरह के दोहरे मानदंड अस्वीकार्य हैं। यह बयान SCO को सिर्फ एक आर्थिक या क्षेत्रीय मंच नहीं, बल्कि सुरक्षा और सामरिक सहयोग का साझा केंद्र बनाता दिखाता है।

ऐसी अपील से यह संकेत जाता है कि वैश्विक दक्षिण के नेता अब आतंकवाद के खिलाफ एक मजबूत और स्पष्ट संयुक्त प्रतिक्रिया की माँग कर रहे हैं, जो पश्चिमी प्रभुत्व के अनुपालन से दूर एक स्वायत्त सुरक्षा दृष्टिकोण का हिस्सा है।

4. पहलगाम हमले का संदर्भ और उसका प्रभाव

22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए सड़क किनारे हुए इस आतंकी तमाशे में 26 नागरिकों की हत्या की गई थी—जो भारतीय नागरिक समेत एक स्थानीय pony ऑपरेटर भी था। यह हमला अपनी बर्बरता और लक्षित धार्मिक आधारों के कारण देशभर में चिंता का विषय बन गया।

मोदी ने इस घटना को SCO में उठाकर यह स्पष्ट संदेश भेजा कि आतंकवाद सिर्फ एक आंतरिक सुरक्षा समस्या नहीं, बल्कि यह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को भी हिला सकता है। सीमा पार से ऐसी घटनाओं का प्रभाव क्षेत्रीय साझेदारों के प्रति भरोसे को कमजोर कर सकता है।

5. क्या होगा Tianjin Declaration में?

SCO शिखर सम्मेलन के अंतर्गत रिलीज होने वाला Tianjin Declaration अब और अधिक प्रतीक्षित हो गया है क्योंकि मोदी की पहल और चीन का उत्तर—दोनों ने सीमा-पार आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की उम्मीद जगाई है।

यदि यह अंतिम रूप में आतंकवाद के खिलाफ कड़ी भाषा और साझी कार्रवाई का स्वरूप प्रस्तुत करता है, तो यह SCO की भूमिका को रक्षा और सामरिक सहक्रियता के क्षेत्र में नई दिशा देगा।

निष्कर्ष

तियानजिन SCO सम्मेलन एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक बना—जहां पीएम मोदी ने सीमा-पार आतंकवाद और पहलगाम हमले के संदर्भ में कड़ी आवाज़ उठाकर, पाकिस्तान के सामने एक मजबूत और स्पष्ट रुख प्रस्तुत किया।

इस कदम ने SCO को केवल आर्थिक या कूटनीतिक सहयोग का मंच नहीं, बल्कि आतंकवाद, सुरक्षा, और विश्वास की बहुपक्षीय साझेदारी का केंद्र बना दिया। यह संकेत है कि क्षेत्रीय शक्तियाँ अब आतंकवाद और सुरक्षा के क्षेत्र में साझा जिम्मेदारी और सहयोग की और बढ़ रही हैं।

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