मनोज जरांगे मराठा आरक्षण आंदोलन की जीत
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर चल रहा संघर्ष अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। मनोज जरांगे मराठा आरक्षण आंदोलन को बड़ी सफलता मिली है। महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समाज को आरक्षण देने पर सहमति जताई है। इसके साथ ही राज्य सरकार ने यह भी घोषणा की है कि कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने के लिए एक विशेष कमेटी का गठन किया जाएगा।
मराठा समाज की पुरानी मांग
मराठा समाज लंबे समय से शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की मांग कर रहा है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा 50% आरक्षण की सीमा तय करने के बाद यह मसला और जटिल हो गया। पिछले कई सालों से मराठा समाज को न्याय दिलाने के लिए अलग-अलग आंदोलन होते रहे, लेकिन मनोज जरांगे ने इसे एक बड़े जनांदोलन में बदल दिया।
उनके नेतृत्व में हजारों लोग सड़कों पर उतरे और शांतिपूर्ण तरीके से आरक्षण की मांग की। उनका आमरण अनशन महाराष्ट्र की राजनीति और समाज पर गहरा असर डाल गया।
कुनबी प्रमाण पत्र की भूमिका
महाराष्ट्र सरकार ने अब यह फैसला किया है कि मराठा समाज के लिए कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया तेज की जाएगी। दरअसल, कुनबी समुदाय को ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) में आरक्षण प्राप्त है। यदि मराठा समाज को कुनबी प्रमाण पत्र मिलता है तो उन्हें भी ओबीसी वर्ग में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।
इसके लिए सरकार एक विशेष कमेटी बनाएगी, जो दस्तावेजों की जांच करेगी और नियम तय करेगी। इससे लाखों मराठा युवाओं के लिए शिक्षा और नौकरियों में नए अवसर खुलेंगे।
सरकार और जरांगे के बीच सहमति
राज्य सरकार और मनोज जरांगे मराठा आरक्षण आंदोलन के प्रतिनिधियों के बीच कई दौर की बातचीत हुई। सरकार ने आश्वासन दिया कि मराठा समाज की मांगों को गंभीरता से पूरा किया जाएगा।
जरांगे ने कहा—“यह मराठा समाज की सामूहिक जीत है। हमने सरकार को मजबूर किया कि वह हमारी बात सुने और ठोस कदम उठाए। अब तक जिन वादों को अनदेखा किया जा रहा था, उन्हें लागू करने की प्रक्रिया शुरू हुई है।”
आजाद मैदान में जश्न
मुंबई के आजाद मैदान में मराठा समाज के हजारों लोग इकट्ठा हुए और इस जीत का जश्न मनाया। समर्थकों ने ढोल-ताशों के साथ नारे लगाए और मिठाइयां बांटीं। वहां मौजूद लोगों ने कहा कि यह जीत सिर्फ एक आंदोलन की नहीं बल्कि पूरे समाज की है।
महिलाओं और युवाओं की बड़ी संख्या इस उत्सव में शामिल रही। लोगों ने कहा कि अब उन्हें अपने बच्चों के भविष्य की नई उम्मीद दिख रही है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
इस फैसले से महाराष्ट्र की राजनीति भी गरमा गई है। विपक्षी दलों ने कहा कि यह जीत जनता की एकजुटता की वजह से संभव हो पाई है। उन्होंने सरकार पर सवाल उठाया कि अगर समय रहते कदम उठाए जाते तो समाज को इतना संघर्ष नहीं करना पड़ता।
वहीं, सत्ताधारी नेताओं ने कहा कि यह लोकतंत्र और संवाद की जीत है। उन्होंने माना कि जरांगे के शांतिपूर्ण आंदोलन ने सरकार को सही रास्ता दिखाया।
आंदोलन का असर
मनोज जरांगे मराठा आरक्षण आंदोलन न सिर्फ महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। आरक्षण और सामाजिक न्याय को लेकर यह आंदोलन नए मानक तय कर रहा है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा अहम भूमिका निभा सकता है।
आगे की राह
जरांगे ने स्पष्ट किया कि आंदोलन खत्म नहीं हुआ है। उन्होंने कहा—“जब तक सरकार अपने वादों को लागू नहीं करती और मराठा समाज को स्थायी आरक्षण नहीं मिलता, तब तक यह संघर्ष जारी रहेगा।”
सरकार द्वारा गठित कमेटी अब तय करेगी कि कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया कैसे और किस समयसीमा में पूरी होगी। जरांगे और उनके समर्थकों की निगाहें इस पर टिकी हुई हैं।
समाज का संदेश
यह आंदोलन मराठा समाज को एकजुट करने में सफल रहा है। जरांगे के नेतृत्व ने यह दिखा दिया कि शांतिपूर्ण और संगठित आंदोलन भी सत्ता को झुका सकता है।