कुकी समुदाय NH-2 खोलने पर सहमत — मणिपुर में लंबे समय से जारी हिंसा और तनाव के बीच यह खबर शांति की दिशा में बड़ी राहत लेकर आई है। कुकी समूहों ने न केवल राष्ट्रीय राजमार्ग-2 खोलने पर सहमति जताई है, बल्कि हथियार भी CRPF और BSF कैंपों में सौंपने का निर्णय लिया है। यह कदम मणिपुर की सामान्य स्थिति बहाल करने और लोगों के बीच भरोसा कायम करने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
पृष्ठभूमि: हिंसा और बंद NH-2
मणिपुर पिछले दो वर्षों से जातीय हिंसा की आग में झुलस रहा है। मेइतेई और कुकी समुदायों के बीच हुए संघर्ष ने न केवल सैकड़ों जानें लीं, बल्कि हजारों लोगों को विस्थापित कर दिया। इस संघर्ष का सबसे बड़ा असर राज्य की जीवनरेखा माने जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग-2 (NH-2) पर पड़ा।
यह मार्ग इम्फाल को नगालैंड के दीमापुर से जोड़ता है और मणिपुर के लिए खाद्यान्न, दवाइयों, ईंधन और रोज़मर्रा की ज़रूरतों की आपूर्ति का मुख्य रास्ता है। NH-2 के लंबे समय तक बंद रहने से आम लोगों की जिंदगी मुश्किल हो गई थी। अब इसके खुलने से जनता को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
समझौते की शर्तें
गृह मंत्रालय, मणिपुर सरकार और कुकी-जो समूहों के बीच हुई नई वार्ता में कई अहम बिंदुओं पर सहमति बनी है:
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NH-2 खोलना: कुकी समुदाय ने तुरंत प्रभाव से NH-2 खोलने का निर्णय लिया है ताकि आवश्यक वस्तुओं की आवाजाही फिर से सुचारू हो सके।
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हथियार जमा करना: समझौते के तहत कुकी समूह अपने हथियार CRPF और BSF कैंपों में सौंपेंगे। यह कदम शांति बहाली के लिहाज से बेहद अहम माना जा रहा है।
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शिविरों का स्थानांतरण: सात उग्रवादी कैंपों को संवेदनशील इलाकों से हटाकर सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित किया जाएगा।
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विदेशी नागरिकों की पहचान: SoO (Suspension of Operations) समझौते के तहत विदेशी नागरिकों की पहचान कर उन्हें समूहों से बाहर किया जाएगा।
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संयुक्त निगरानी समूह: इस पूरे प्रॉसेस की निगरानी के लिए केंद्र, राज्य और सुरक्षा बलों का एक संयुक्त ग्रुप बनाया जाएगा।
क्यों अहम है यह कदम?
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जनजीवन पर असर: NH-2 के खुलने से रोजमर्रा की आवश्यक चीजों की आपूर्ति बहाल होगी और लोगों को राहत मिलेगी।
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सुरक्षा पर असर: हथियार जमा होने से हिंसा की संभावना कम होगी और आपसी विश्वास का माहौल बनेगा।
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राजनीतिक संदेश: यह समझौता दिखाता है कि केंद्र और राज्य सरकार शांति बहाली को लेकर गंभीर हैं और कुकी नेतृत्व भी समाधान का हिस्सा बनना चाहता है।
स्थानीय जनता की उम्मीदें
मणिपुर के स्थानीय नागरिक इस समझौते को सकारात्मक कदम मान रहे हैं। आम लोगों का कहना है कि NH-2 के खुलने से उनकी सबसे बड़ी समस्या खत्म होगी, क्योंकि लंबे समय से आवश्यक वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे थे।
एक स्थानीय दुकानदार ने कहा, “हमें उम्मीद है कि यह फैसला स्थायी शांति लाएगा। अगर सड़कें खुली रहेंगी और हथियार जमा हो जाएंगे, तो शायद हम फिर से सामान्य जीवन जी सकेंगे।”
चुनौतियाँ अब भी बरकरार
हालांकि यह समझौता बड़ी उपलब्धि है, लेकिन चुनौतियाँ खत्म नहीं हुई हैं।
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दोनों समुदायों के बीच अब भी अविश्वास बना हुआ है।
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छोटे समूहों द्वारा हिंसा फैलाने की आशंका बनी रहती है।
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हथियारों की पूरी तरह से रिकवरी और निगरानी बड़ी चुनौती होगी।
सरकार और सुरक्षा एजेंसियों पर यह जिम्मेदारी होगी कि वे इस समझौते को ज़मीन पर लागू करें और किसी भी उल्लंघन पर तुरंत कार्रवाई करें।
शांति की ओर एक मील का पत्थर
कुकी समुदाय NH-2 खोलने पर सहमत होना मणिपुर के लिए बड़ी खबर है। यह न केवल जनजीवन को सामान्य बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा, बल्कि आपसी संवाद और भरोसे की दिशा में भी नया अध्याय खोलेगा। अब देखने वाली बात यह होगी कि यह समझौता कितने समय तक प्रभावी रहता है और क्या यह मणिपुर की स्थायी शांति का आधार बन पाता है।