भारत का बड़ा दांव: ट्रंप टैरिफ को जवाब, 40 देशों से नए व्यापारिक समझौतों की तैयारी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के 50% आयात शुल्क (टैरिफ) के फैसले ने भारत के निर्यात क्षेत्र को झटका दिया है। अब भारत सरकार ने इस चुनौती को अवसर में बदलने की योजना बनाई है। वाणिज्य मंत्रालय और विदेश मंत्रालय की संयुक्त रणनीति के तहत भारत अब 40 देशों के साथ नए व्यापारिक समझौतों पर काम कर रहा है।
अमेरिकी टैरिफ का असर
अमेरिका भारत का एक बड़ा व्यापारिक साझेदार है। हर साल भारत वहां करीब 48 बिलियन डॉलर का निर्यात करता है। इसमें सबसे ज्यादा हिस्सा टेक्सटाइल, लेदर, ऑटो पार्ट्स और जेम्स-ज्वेलरी का होता है। लेकिन ट्रंप प्रशासन के 50% टैरिफ से इन सेक्टरों में तुरंत असर दिखा।
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टेक्सटाइल उद्योग में ऑर्डर कैंसिल होने लगे हैं।
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लेदर एक्सपोर्ट्स को तगड़ा झटका लगा है।
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जेम्स-ज्वेलरी सेक्टर में डीलर्स ने कहा कि “अमेरिकी खरीदार पीछे हट रहे हैं।”
भारत का प्लान बी – 40 नए देश
भारत सरकार अब अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम करने के लिए अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और एशिया के उभरते देशों पर नजर गड़ाए हुए है। सूत्रों के मुताबिक भारत ब्राज़ील, अर्जेंटीना, वियतनाम, थाईलैंड, UAE, सऊदी अरब, मिस्र, केन्या और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) या विशेष टैरिफ छूट पर बातचीत कर रहा है।
सरकार का मानना है कि भारत के टेक्सटाइल और जेम्स-ज्वेलरी की इन बाजारों में बड़ी डिमांड है और यहां प्रतिस्पर्धा भी अमेरिका की तरह कठोर नहीं है।
भारतीय उद्योग की प्रतिक्रिया
टेक्सटाइल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (TEPC) का कहना है कि भारत को यह संकट एक नए अवसर की तरह देखना चाहिए।
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“अमेरिका में टैरिफ बढ़ने से हमारे लिए कठिनाई जरूर आई है, लेकिन यदि हम 40 देशों में मजबूत एंट्री कर लेते हैं तो आने वाले 5 सालों में भारत का एक्सपोर्ट बेस और बड़ा हो सकता है।”
आंकड़े बताते हैं सच्चाई
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भारत का कुल निर्यात (2024-25): $460 बिलियन
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अमेरिका को निर्यात: $48 बिलियन
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प्रभावित सेक्टर: टेक्सटाइल (28%), लेदर (15%), जेम्स-ज्वेलरी (22%)
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नए बाजारों की संभावित हिस्सेदारी: 40 देश मिलकर $60 बिलियन तक का अवसर दे सकते हैं।
राजनीतिक और रणनीतिक मायने
ट्रंप का टैरिफ भारत-अमेरिका रिश्तों पर नया तनाव लेकर आया है। लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत को एकतरफा अमेरिकी दबाव में झुकने के बजाय ‘विविधीकरण रणनीति’ अपनानी चाहिए। इससे भारत न केवल आर्थिक रूप से मजबूत होगा बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी एक संदेश जाएगा कि भारत किसी एक बाजार पर निर्भर नहीं है।
निर्यातकों के लिए सरकार की मदद
भारत सरकार ने प्रभावित निर्यातकों के लिए कुछ राहत उपाय भी घोषित किए हैं:
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Export Credit Guarantee को बढ़ावा।
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सब्सिडी और टैक्स रिबेट की दरों में सुधार।
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लॉजिस्टिक सपोर्ट – नए बाजारों के लिए शिपिंग रूट्स पर छूट।
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ट्रेड मिशन – भारतीय डेलीगेशन को अफ्रीका और लैटिन अमेरिका भेजा जाएगा।
आगे की राह
विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि भारत अगले दो सालों में 40 देशों के साथ सफल डील कर लेता है, तो अमेरिकी टैरिफ का असर सीमित रह जाएगा। इसके उलट भारत के पास विविधतापूर्ण और स्थिर निर्यात आधार तैयार होगा।