भारत में राजनीतिक उठापटक सोमवार को और तेज हो गई जब चुनाव आयोग (Election Commission of India – ECI) ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को ‘वोट चोरी’ के आरोपों पर सात दिनों के भीतर सच साबित करने के लिए शपथ-पत्र (affidavit) पेश करने या देश से माफी माँगने का ऐलान किया। इस अल्टीमेटम के बाद विपक्षी INDIA ब्लॉक ने एक बड़ा राजनीतिक कदम उठाने का निर्णय लिया है—चुनाव आयोग प्रमुख Gyanesh Kumar के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव (impeachment notice) लाने की संभावनाओं पर विचार शुरू कर दिया गया है।The Times of IndiaThe Federalmint
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद Syed Naseer Hussain ने ANI को बताया कि यदि आवश्यक हुआ तो इस तरह के लोकतांत्रिक हथियारों का उपयोग किया जाएगा, हालाँकि अभी इसका कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया है।mintThe Federal
INDIA ब्लॉक ने इस कदम को कार्रवाई का एक सार्वजनिक संदेश बताया—कि लोकतंत्र और चुनावों की पारदर्शिता के खिलाफ किसी प्रकार की खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी। विपक्ष के नेताओं ने चुनाव आयोग पर पक्षपातपूर्ण रवैये और “वोट चोरी” की कथित साज़िश का आरोप लगाया है।The Times of IndiaThe Economic TimesThe StatesmanThe Financial Express
संसदीय महाभियोग प्रक्रिया के अनुसार, महाभियोग प्रस्ताव को पारित करवाना Supreme Court न्यायाधीश के बहिष्कार जैसी प्रक्रिया से गुज़रता है, जिसमें दोनों सदनों—लोकसभा और राज्यसभा में—में दो-तिहाई बहुमत जरूरी होता है। प्रस्ताव के लिए कम से कम 50 सदस्यों के हस्ताक्षर का होना भी अनिवार्य है। यह राजनीतिक रूप से कठिन लेकिन संभव विकल्प है, और विपक्ष इसे मजबूरन इस्तेमल कर सकता है, विशेष रूप से जब संस्थागत जवाबदेही का सवाल हो।Telegraph IndiamintThe Financial Express
इस पूरे घटनाक्रम की पृष्ठभूमि यह है कि राहुल गांधी ने ‘वोट चोरी’—विशेषकर महाराष्ट्र, हरियाणा, कर्नाटक में वोटर लिस्ट में हेरफेर और पहचान संबंधित विसंगतियों—की कई गंभीर घटनाओं का उदाहरण देकर आपराधिक सम्पर्क में इलेक्शन कमिशन की भूमिका पर सवाल उठाया है। उनके अनुसार, पांच अलग-अलग तरीकों से मतदाता सूची में गड़बड़ी की गई, जैसे डुप्लीकेट वोटर, ग़ैर-वैध पते, एक ही पते पर कई मतदाता, अनुचित फोटो आदि।The Economic TimesIndia TodayThe News Minute
INDIA ब्लॉक ने इस अभियान के हिस्से के रूप में ‘Voter Adhikar Yatra’ की शुरुआत की है, जो बिहार में SIR (Special Intensive Revision) प्रक्रिया के विरुद्ध चल रही है और 1,300 किलोमीटर तक फैली है। यह यात्रा चुनाव की पारदर्शिता और मताधिकार की रक्षा का प्रतीक बनी हुई है।The Times of IndiaIndia TodayReuters
यात्रा और विरोध का यह क्रम—वामदल, RJD, कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों के साथ—हाल ही में एक रणनीतिक ‘रात्रि बैठक’ के रूप में भी रचित हुआ, जिसमें लोकसभा में राहुल गांधी की अध्यक्षता में विपक्ष ने मिलकर इस मिशन के तहत बातचीत की और एकजुटता दिखाई।The News MinuteThe New Indian Express
तो अब INDIA ब्लॉक का अगला कदम चुनाव आयोग की पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को चुनौती देना है—चाहे वह संसद में महाभियोग प्रस्ताव हो, प्रेस कॉन्फ्रेंस हों या CEC के खिलाफ कानूनी कदम। इस पूरे घटनाक्रम से यह स्पष्ट हो गया है कि वोटर सूची में हेरफेर और चुनाव आयोग की भूमिका अब सिर्फ राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रणाली की स्थिरता का सवाल बन चुका है।