Saturday, October 18, 2025
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हिपोक्रेसी डबल स्टैंडर्ड भारत तेल विवाद: नवारो की टिप्पणी पर मस्क के X का करारा जवाब

हिपोक्रेसी डबल स्टैंडर्ड भारत तेल विवाद पर पीटर नवारो ने भारत पर आरोप लगाया, मगर Elon Musk के X fact-check ने उनका दावा झूठा साबित कर दिया।

हिपोक्रेसी डबल स्टैंडर्ड भारत तेल की बहस ने तब जोर पकड़ा जब डोनाल्ड ट्रम्प के खास सलाहकार पीटर नवारो ने भारत पर “मुनाफाखोरी” के आरोप लगाए। नवारो का कहना था कि भारत ने रूस से तेल मात्र लाभ के लिए खरीदा, जिससे रूस के युद्ध प्रयत्नों को सहायता मिली। हालांकि, Elon Musk के X प्लेटफॉर्म ने उनकी पोस्ट को “हिपोक्रेसी” और “डबल स्टैंडर्ड” बताते हुए fact-check किया, जिसने इस विवाद को और हवा दे दी।

हिपोक्रेसी डबल स्टैंडर्ड भारत तेल: नवारो की टिप्पणी और भारत की प्रतिक्रिया

पीटर नवारो, जो ट्रम्प प्रशासन में Trade & Manufacturing सलाहकार रह चुके हैं, ने Financial Times और अन्य माध्यमों में खुलकर कहा कि भारत की रूसी तेल खरीद “opportunistic” है और यह अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों को कमजोर करती है। उन्होंने सीधे कहा कि यदि भारत वास्तव में अमेरिका का रणनीतिक साझेदार बनना चाहता है तो उसे रूसी तेल खरीद बंद करनी चाहिए। साथ ही भारत ने मोदी को दोषी ठहराते हुए यूक्रेन विवाद को “Modi’s war” बताया, जिसे भारत सरकार ने “misleading” और “unacceptable” करार देते हुए खारिज कर दिया।

हिपोक्रेसी डबल स्टैंडर्ड भारत तेल और अमेरिका-भारत संबंधों पर असर

नवारो की पोस्ट पर Musk का X प्लेटफॉर्म इंटरवेंशन करते हुए एक community note जारी किया, जिसमें स्पष्ट किया गया कि भारत की रूसी तेल खरीद “energy security” के लिए कानूनी और वैध है, और यह अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन नहीं करती। इसी में जोड़ा गया—जब अमेरिका भारत से तेल नहीं खरीदने की बात पर दबाव बनाए रखता है, वैसे ही अमेरिका खुद भी रूस से कई कमोडिटीज (जैसे uranium) खरीदता रहा है—यह एक स्पष्ट double standard है।

Navarro का आक्रामक पलटवार:

इस fact-check के जवाब में नवारो ने मस्क और X को आते ही “propaganda” फैलाने वाला बताया। उन्होंने इसे “that crap note” कहकर खारिज किया और जोर देकर दोहराया कि भारत तेल सिर्फ “profit” के लिए ले रहा है, और “भारत सरकार की spin machine” इसे छुपाने की कोशिश कर रही है।

अमेरिका-भारत संबंधों पर प्रभाव व अंतर्राष्ट्रीय राजनीति:

यही नहीं, इस पूरे मामले ने अमेरिका-भारत संबंधों में पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ा दिया है। ट्रम्प प्रशासन ने भारत पर टैरिफ युद्ध छेड़ रखा है—भारतीय वस्तुओं पर अब तक का सबसे अधिक 50% टैक्स लगाया गया है—जिसका एक कारण नवारो का इसी तेल खरीद मुद्दे को बताया जा रहा है। वहीं, MEA ने इस पूरे मसले को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि भारत अपनी ऊर्जा नीति अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बना रहा है, और किसी भी तरह की एकतरफा निंदा स्वीकार नहीं की जाएगी।

हिपोक्रेसी डबल स्टैंडर्ड भारत तेल पर सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया

सोशल मीडिया पर नवारो के बयान का व्यापक विरोध हुआ। कई यूज़र उनकी सोच को पुराने औपनिवेशिक नजरिए से जोड़कर देख रहे हैं, जबकि अन्य यह बताते हुए कि अमेरिका भी रूस से व्यापार करता रहा है, “double standard hypocrisy” की तीखी आलोचना कर रहे हैं।

निष्कर्ष और विश्लेषण:

  1. यह प्रसंग केवल तेल या व्यापार का नहीं, बल्कि वैश्विक नैतिकता, बयानबाज़ी और एक राष्ट्र की संप्रभुता पर सवाल खड़ा करता है।

  2. अमेरिकी यूक्रेन-रूस प्रष्ठभूमि में भारत को बेइमार्ट साबित करने का प्रयास, जब वही राष्ट्र खुद उसी से व्यापार जारी रखता है—यह हिपोक्रेसी की मूर्ति है।

  3. ट्रम्प प्रशासन के भीतर अंतर विभागीय दृष्टिकोण में विद्यमान विरोध, जैसे Marco Rubio का शांत संवाद की ओर झुकाव बनाम Navarro का आक्रामक रुख, यह दर्शाता है कि नीति समाधानों में विश्वसनीयता कैसे प्रभावित होती है

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