भाजपा-नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) ने महाराष्ट्र के वर्तमान गवर्नर सी. पी. राधाकृष्णन को 9 सितंबर को होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है। यह घोषणा रविवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा द्वारा की गई। यह पद जगदीप धनखड़ के स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफ़ा देने के बाद रिक्त हुआ था।
राधाकृष्णन तमिलनाडु के तिरुपुर मूल के हैं, जहां से उन्होंने अपना राजनीतिक सफर शुरू किया। उन्होंने लोकसभा में कोयम्बटूर से दो बार जीत दर्ज की—1998 और 1999 में। इसके बाद उन्होंने महोत्तरी भूमिका निभाई और मुख्यमंत्री स्तर से संवैधानिक भूमिका तक का सफर तय किया। वर्तमान में वे महाराष्ट्र के साथ-साथ तेलंगाना के गवर्नर और पुदुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त दायित्व भी निभा रहे हैं।
राजनीतिक छवि की बात करें तो राधाकृष्णन को विवादरहित और मूल-आधारित नीति-निर्माण में भरोसेमंद नेता माना जाता है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट में उन्हें “लंबी दूरी के धावक” और “नॉन-फ्लॉन्ट गवर्नर” बताया गया है। उन्होंने झारखंड और महाराष्ट्र में भी संवैधानिक पदासीन रहते हुए राजनीति से दूरी बनाए रखी और अधिक प्रशासनिक फोकस दिखाया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में राधाकृष्णन से मुलाकात की और उन्हें शुभकामनाएँ दीं। मोदी ने उनके लंबे समय के सार्वजनिक सेवा और समर्पण की प्रशंसा की और कहा कि उनकी विविध अनुभव भूमिका में महत्वपूर्ण योगदान देंगे।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, NDA की यह रणनीति क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व, जातिगत समीकरण, और विरोधी एकता भंग करने की कोशिश का हिस्सा है। तमिलनाडु जैसे दक्षिण भारतीय राज्य में भाजपा के लिए यह एक राजनीतिक चाल है।
जश्न लगातार आगे बढ़ रहा है क्योंकि YSR कांग्रेस पार्टी (YSRCP) ने भी राधाकृष्णन को समर्थन देने की घोषणा की, जिससे NDA की संभावनाएँ और मजबूत हुई हैं।
वहीं विपक्षी INDIA ब्लॉक ने बैठक की घोषणा की है, जिसमें वे अपना उम्मीदवार तय करेंगे। कई पार्टियां जैसे DMK ने दक्षिण भारतीय चेहरे की मांग की है—उनमें DMK सांसद त्रिची शिवा, ISRO वैज्ञानिक मयिलस्वामी अन्नादुरै, और कांग्रेस के मणिकम टैगोर शामिल हैं।
संख्यात्मक स्थिति देखें तो विधानपरिषद चुनाव में NDA के पास लगभग 422 सांसदों का समर्थन मौजूद है, जब्कि INDIA ब्लॉक का आंकड़ा करीब 354 है, जबकि प्राप्तकर्ता संख्या 394 है। NDA की यह स्थिति राधाकृष्णन के निर्विरोध चुनाव की संभावना को बढ़ाती है, यदि विपक्ष संयुक्त रूप से उम्मीदवार नहीं खड़ा करता है।
निष्कर्षतः, सी. पी. राधाकृष्णन की उम्मीदवारी NDA के लिए भविष्य की राजनीति में रणनीतिक पोजीशनिंग के साथ-साथ इलाके और सामाजिक ताने-बाने का संयोजन प्रतीत होती है। यदि विपक्ष विजेता उम्मीदवार नहीं उतारता, तो उनका निर्विरोध चुनाव भी संभव है, लेकिन यदि चुनाव हो तो उनका अनुभव और विवादरहित छवि भारी भूमिका निभा सकती है।