Chhattisgarh Naxal Encounter:छत्तीसगढ़ में गुरुवार को सुरक्षाबलों ने नक्सलियों के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। इस एनकाउंटर में 10 नक्सलियों को मार गिराया गया है, जिनमें 1 करोड़ का इनामी और लंबे समय से सुरक्षाबलों के लिए सिरदर्द बना नक्सली नेता बालकृष्ण भी शामिल है। यह मुठभेड़ बस्तर क्षेत्र के जंगलों में हुई, जहां पिछले कई दिनों से सुरक्षाबलों को नक्सलियों की हलचल की खुफिया जानकारी मिल रही थी।
Chhattisgarh Naxal Encounter में मारे गए 10 नक्सली और इनामी बालकृष्ण
मारे गए नक्सलियों में सबसे चर्चित नाम बालकृष्ण का है। बालकृष्ण नक्सल संगठन के टॉप लीडर्स में से एक माना जाता था और उस पर 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों की रिपोर्ट के अनुसार, वह कई बड़ी नक्सली वारदातों का मास्टरमाइंड रहा था। सुरक्षाबलों पर हमले, आईईडी ब्लास्ट और अपहरण जैसी घटनाओं में उसकी सीधी भूमिका रही थी।
बालकृष्ण की मौत से नक्सली संगठन को न सिर्फ रणनीतिक बल्कि मनोवैज्ञानिक स्तर पर भी भारी नुकसान हुआ है। उसे नक्सली संगठन का “मिलिट्री कमांडर” माना जाता था और उसके जिम्मे कई जिलों की पूरी जिम्मेदारी थी।
Chhattisgarh Naxal Encounter में सुरक्षाबलों की बड़ी सफलता
यह एनकाउंटर स्पेशल टास्क फोर्स (STF), डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड (DRG) और सीआरपीएफ (CRPF) के संयुक्त ऑपरेशन का नतीजा है। अधिकारियों ने बताया कि उन्हें लगातार जानकारी मिल रही थी कि बालकृष्ण अपने साथियों के साथ जंगल में छिपा हुआ है और सुरक्षाबलों पर बड़े हमले की योजना बना रहा है।
खुफिया सूचना के आधार पर सुरक्षाबलों ने इलाके को घेर लिया। सुबह करीब चार बजे मुठभेड़ शुरू हुई और कई घंटों तक चली। इसमें 10 नक्सली मारे गए, जबकि बड़ी संख्या में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किए गए।
Chhattisgarh Naxal Encounter में बरामद हथियार और गोला-बारूद
सुरक्षाबलों को मौके से AK-47 राइफल, इंसास राइफल, पिस्टल, आईईडी बनाने का सामान, बम, वायरलेस सेट और नक्सली साहित्य मिला है। यह इस बात का प्रमाण है कि नक्सली किसी बड़ी घटना की योजना बना रहे थे।
मुठभेड़ की रणनीति और सफलता
छत्तीसगढ़ पुलिस और केंद्रीय बलों ने इस ऑपरेशन को बेहद गोपनीय तरीके से अंजाम दिया। इलाके की भौगोलिक स्थिति बेहद कठिन है, घने जंगल और पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण नक्सली आमतौर पर वहां सुरक्षित महसूस करते हैं। लेकिन इस बार सुरक्षाबलों ने पहले से ही एम्बुश लगाकर नक्सलियों को घेर लिया।
यह ऑपरेशन इसलिए भी खास माना जा रहा है क्योंकि इसमें किसी भी सुरक्षाबल के जवान को नुकसान नहीं हुआ। मुठभेड़ पूरी तरह से सुरक्षाबलों के पक्ष में रही।
नक्सल प्रभावित क्षेत्र में नई उम्मीद
छत्तीसगढ़ का बस्तर इलाका लंबे समय से नक्सलवाद से प्रभावित रहा है। स्थानीय आदिवासी आबादी को नक्सलियों की हिंसा और सरकार की विकास योजनाओं की कमी दोनों का सामना करना पड़ा है। पिछले कुछ सालों में सरकार ने सड़क, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं इस इलाके तक पहुंचाने की कोशिशें तेज़ की हैं।
सुरक्षाबलों की इस बड़ी सफलता से इलाके के लोगों में भरोसा बढ़ेगा कि अब नक्सलियों का दबदबा खत्म हो रहा है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस ऑपरेशन पर सुरक्षाबलों को बधाई दी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि “यह सुरक्षाबलों की बहादुरी और रणनीति का नतीजा है। राज्य से नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।”
गृह मंत्रालय ने भी इसे “बड़ा ऑपरेशन” करार देते हुए कहा कि इससे नक्सली संगठन की कमर टूटेगी और बाकी नक्सली आत्मसमर्पण के लिए मजबूर होंगे।
भविष्य की चुनौती
विशेषज्ञ मानते हैं कि बालकृष्ण जैसे बड़े नक्सली नेता का मारा जाना निश्चित तौर पर बड़ी सफलता है, लेकिन नक्सल समस्या अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुई है। छोटे-छोटे गुट अब भी सक्रिय हैं और वे बदले की कार्रवाई कर सकते हैं। इसलिए सुरक्षाबलों को सतर्क रहने की जरूरत है।
सरकार का जोर अब “डिवेलपमेंट और डायलॉग” की रणनीति पर भी है। जिन इलाकों में नक्सली कमजोर पड़ रहे हैं, वहां तेजी से विकास कार्य किए जा रहे हैं ताकि स्थानीय युवाओं को नक्सलवाद की ओर जाने से रोका जा सके।
निष्कर्ष
Chhattisgarh Naxal Encounter में 10 नक्सलियों का मारा जाना और 1 करोड़ के इनामी बालकृष्ण का खात्मा सुरक्षा एजेंसियों की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। यह न केवल नक्सल संगठन को भारी नुकसान है बल्कि छत्तीसगढ़ और पूरे देश के लिए एक सकारात्मक संदेश है कि नक्सलवाद की जड़ें अब कमजोर हो रही हैं।