भारत आज 79वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है, और इस बार उत्सव का केंद्र केवल ऐतिहासिक विजय नहीं, बल्कि उन अनदेखे नायकों का सम्मान भी रहा है, जो रोजमर्रा की जिंदगी को स्वच्छ और स्वस्थ बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं—सफाई कर्मी।
देशभर के विभिन्न राज्यों में आयोजित कार्यक्रमों में सफाई कर्मियों को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया। उन्हें तिरंगा भेंट किया गया, सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह दिए गए। कई जगहों पर मंच से उनकी कहानियाँ सुनाई गईं, जिससे यह संदेश गया कि स्वच्छता केवल सरकार का काम नहीं, बल्कि यह हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
कार्यक्रमों की झलक
-
दिल्ली: लाल किले के समारोह में प्रधानमंत्री ने सफाई कर्मियों को विशेष रूप से धन्यवाद देते हुए कहा, “हमारे शहरों और गांवों को स्वच्छ रखने वाले कर्मियों के बिना राष्ट्र का स्वास्थ्य और गौरव अधूरा है।”
-
मध्य प्रदेश: भोपाल में निकाली गई स्वतंत्रता दिवस परेड में सफाई कर्मियों का एक विशेष दस्ता शामिल हुआ, जिसने ‘स्वच्छ भारत’ का संदेश दिया।
-
केरल और तमिलनाडु: यहां पंचायत स्तर पर सम्मान समारोह हुए, जिनमें सफाई कर्मियों को नये उपकरण और वर्दी प्रदान की गई।
स्वच्छ भारत से जुड़ाव
2014 में शुरू हुए स्वच्छ भारत अभियान ने सफाई कर्मियों की भूमिका को नए स्तर पर लाकर खड़ा किया। उनके अथक परिश्रम ने महामारी के कठिन दौर में भी शहरों को कचरा मुक्त और सुरक्षित बनाए रखा। इस साल स्वतंत्रता दिवस पर उन्हें केंद्र में रखना, इस योगदान को औपचारिक मान्यता देना है।
मानवीय कहानियां
पटना की सफाईकर्मी सीमा देवी ने कहा—
“पहली बार हमें इतने सम्मान के साथ बुलाया गया। हमें गर्व है कि हम देश के लिए कुछ कर पा रहे हैं।”
इसी तरह, जयपुर के रामलाल मीणा ने भावुक होकर बताया कि यह दिन उनके जीवन का सबसे खास दिन है, क्योंकि समाज ने उनके काम को खुलकर सराहा।
युवा पीढ़ी के लिए संदेश
यह सम्मान केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को यह सिखाने का अवसर है कि देश का विकास केवल बड़े उद्योगों, तकनीक और नीतियों से नहीं, बल्कि सफाई, स्वास्थ्य और सामाजिक जिम्मेदारी से भी जुड़ा है।
मानवीय दृष्टिकोण (Human Touch)
जब हम तिरंगे के नीचे खड़े होकर आज़ादी का जश्न मनाते हैं, तो यह याद रखना जरूरी है कि स्वच्छ और स्वस्थ भारत के लिए सफाई कर्मियों की मेहनत भी एक स्वतंत्रता संग्राम ही है—एक ऐसा संग्राम, जो हर दिन लड़ा जाता है, बिना किसी शोर और बिना किसी मंच के।