इस्तीफे के 53 दिन बाद जगदीप धनखड़ की सार्वजनिक वापसी: राधाकृष्णन के शपथ समारोह में दिखे पूर्व उपराष्ट्रपति
53 दिन बाद जगदीप धनखड़ सार्वजनिक वापसी ने पूरे देश का ध्यान खींचा है। पूर्व उपराष्ट्रपति, जिन्होंने 21 जुलाई 2025 को स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दिया था, 12 सितंबर को राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में नज़र आये। यह समारोह नए उपराष्ट्रपति सी. पी. राधाकृष्णन के लिए आयोजित हुआ था।
53 दिन बाद जगदीप धनखड़ सार्वजनिक वापसी और शपथ समारोह का महत्व
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21 जुलाई 2025 को जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारण बताते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया।
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इसके बाद से धनखड़ सार्वजनिक रूप से कुछ कार्यक्रमों में नहीं दिखे, उनकी चुप्पी और अनुपस्थिति को लेकर राजनीतिक तथा मीडिया दोनों तरफ चर्चा हुयी।
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9 सितंबर 2025 को सी. पी. राधाकृष्णन इस पद के लिए चुनाव जीते।
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12 सितंबर 2025 को सुबह शपथ ग्रहण समारोह हुआ, जिसमें नरेंद्र मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह, जे. पी. नड्डा सहित कई केंद्रीय और राज्यधिकारियों ने भाग लिया।
53 दिन बाद जगदीप धनखड़ सार्वजनिक वापसी: विपक्ष की प्रतिक्रिया
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शपथ ग्रहण समारोह में धनखड़ अपनी पत्नी के साथ उपस्थित रहे।
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उन्होंने समारोह के दौरान लगातार ताली बजायी, जो कि समारोह-स्थल पर उनके समर्थन और सम्मान की भावना के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
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यह पहली ऐसी सार्वजनिक घटना है जिसमें इस्तीफा देने के बाद धनखड़ नजर आये हों। उनकी अनुपस्थिति ने पहले “गायब” होने की टिप्पणियाँ और सवाल जन्म दिए थे, विशेषकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा।
राजनीतिक और सामाजिक मायने
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इसके पीछे राजनीतिक संतुलन और इमेज मेनेजमेंट का आयाम है। धनखड़ की वापसी एक तरह से यह संकेत है कि उन्होंने पूरी तरह से सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन से दूरी नहीं बनाई है।
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कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने पहले उनकी चुप्पी पर सवाल उठाये थे कि क्या उनका इस्तीफा सिर्फ स्वास्थ्य के कारण था या कुछ और वजहें थीं। इस उपस्थिति से कम-से-कम सार्वजनिक धारणा पर कुछ प्रभाव पड़ेगा। राधाकृष्णन का शपथ ग्रहण समारोह, और उसमें पुरानी उपस्थिति, नए उपराष्ट्रपति के लिए भी एक प्रतीक है: बदलाव के बाद समरसता और गरिमा को बनाए रखने का।
चुनाव परिणाम और अन्य तथ्यों का विवरण
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राधाकृष्णन ने चुनाव में 452 वोट प्राप्त किये, जबकि उनके प्रतिद्वंदी बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट पड़े।
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यह चुनाव धनखड़ के इस्तीफे के तुरंत बाद हुआ था।
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नए उपराष्ट्रपति बनने से पहले, राधाकृष्णन महाराष्ट्र के राज्यपाल थे, और उन्होंने 11-12 सितंबर के बीच राज्यपाल पद से इस्तीफा दिया था ताकि उपराष्ट्रपति पद की शपथ ग्रहण कर सकें।
⚠️ अभी कि अनसुलझी बातें
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धनखड़ के स्वास्थ्य संबंधी विवरण अभी भी सार्वजनिक रूप से स्पष्ट नहीं हैं। उनकी चुप्पी और सार्वजनिक कार्यक्रमों में गैर-मौजूदगी का वास्तविक कारण स्वास्थ्य ही है या कुछ अन्य राजनीतिक कारण भी हैं, यह अभी पूरी तरह पता नहीं।
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भविष्य में वे किन सार्वजनिक ज़िम्मेदारियों को आगे निभाएँगे—क्या राजनीति में सक्रिय भूमिका होगी या नहीं—यह भी अभी देखा जाना बाकी है।
✅ निष्कर्ष
‘53 दिन बाद सार्वजनिक वापसी’ की कहानी सिर्फ एक व्यक्ति की उपस्थिति से ज्यादा है। यह संकेत है कि राजनीति में दूरी और वापसी, सार्वजनिक धारणा, स्वास्थ्य कारण और नेतृत्व परिवर्तन कैसे जुड़े हुए हैं। जगदीप धनखड़ की यह वापसी एक तरह से पिछले दिनों की चर्चा-के-जबाब है कि उनका इस्तीफा सिर्फ स्वास्थ्य पर आधारित था या कुछ और राजनीतिक निर्णय उन्हें ये दूरी लेने पर मजबूर कर गए थे।
राधाकृष्णन के शपथ ग्रहण समारोह ने न केवल नए उपराष्ट्रपति को राज्य की गरिमा के साथ अपना काम शुरू करने का मंच तैयार किया है, बल्कि धनखड़ की वापसी ने सार्वजनिक और राजनीतिक जीवन में यह भी दिखाया कि राजनीति में पूरी तरह ‘गायब’ तैयार होना मुश्किल है। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि उन्होंने इस वापसी के बाद किस तरह की सार्वजनिक भूमिका बनाते हैं, और राजनीति की बिसात पर उनकी छवि किस तरह आकार लेती है।