कई महीनों से चल रही अमेरिका और चीन के बीच की व्यापार वार्ता आखिरकार एक ऐतिहासिक मोड़ पर पहुँची है। दोनों देशों ने टैरिफ घटाने, नए निर्यात-आयात प्रोत्साहन देने और तकनीकी सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई है। इस समझौते को न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरे वैश्विक व्यापार जगत के लिए राहत की खबर माना जा रहा है।
समझौते की मुख्य बातें
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अमेरिका ने चीन से आयातित कई औद्योगिक और इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर लगे 25% तक के टैरिफ में कटौती करने का ऐलान किया है।
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चीन ने अमेरिकी कृषि उत्पादों, दवाइयों और तकनीकी उपकरणों पर टैरिफ कम करने और आयात कोटा बढ़ाने की घोषणा की है।
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दोनों देशों ने इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स (IPR) सुरक्षा को मज़बूत करने और डिजिटल ट्रेड को बढ़ावा देने पर सहमति जताई है।
दोनों देशों की प्रतिक्रिया
अमेरिकी वाणिज्य मंत्री लिंडा थॉम्पसन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “यह समझौता सिर्फ आर्थिक लाभ नहीं देगा, बल्कि हमारे संबंधों में नई स्थिरता भी लाएगा।”
वहीं, चीनी वाणिज्य मंत्री वांग हाओ ने कहा, “यह दोनों देशों के लिए जीत-जीत की स्थिति है। वैश्विक व्यापार को इससे नई दिशा मिलेगी।”
वैश्विक बाज़ार पर असर
समझौते की खबर के बाद एशियाई और अमेरिकी शेयर बाज़ार में तेज़ी देखी गई। हांगकांग, टोक्यो और शंघाई के सूचकांक में 2-3% की बढ़ोतरी हुई, जबकि अमेरिकी डॉव जोंस और नैस्डैक में भी पॉजिटिव ट्रेंड देखने को मिला।
कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से न केवल व्यापारिक तनाव घटेगा, बल्कि महंगाई और सप्लाई चेन पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।
पृष्ठभूमि
2018 से अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर जारी था, जिसमें दोनों देशों ने अरबों डॉलर के उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाए थे। इस कारण वैश्विक व्यापार में मंदी, महंगाई और सप्लाई चेन में बाधाएं उत्पन्न हुईं।
अब इस समझौते के बाद उम्मीद है कि आने वाले महीनों में ट्रेड वॉल्यूम में भारी बढ़ोतरी होगी।
लोगों की उम्मीदें
कैलिफ़ोर्निया के एक सोया किसान जॉन हेंडरसन ने कहा, “पिछले कुछ सालों में हमने अपना सबसे बड़ा बाज़ार खो दिया था। अब लगता है कि फिर से चीन में हमारे उत्पाद की मांग बढ़ेगी।”
वहीं, चीन के एक टेक उद्यमी ली वेन का कहना है, “यह समझौता स्टार्टअप्स के लिए भी अवसर लाएगा, खासकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में।”
आगे की राह
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस समझौते को लंबे समय तक टिकाऊ बनाए रखने के लिए दोनों देशों को पारदर्शिता, आपसी विश्वास और राजनीतिक स्थिरता बनाए रखनी होगी।