सोमवार, 18 अगस्त 2025 को एक मुखर और रणनीतिक महत्व की घटना में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर वार्ता की। यह कॉल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से अलास्का में हाल ही में संपन्न उच्च-स्तरीय बैठक की जानकारी साझा करने के लिए था।
बैठक की पृष्ठभूमि:
अलास्का में हुई बैठक 15 अगस्त को आयोजित की गई थी, जहाँ पुतिन और ट्रंप ने रूस-युक्रेन में जारी संघर्ष पर बातचीत की। हालांकि इस बैठक में कोई औपचारिक समझौता नहीं हुआ, फिर भी इसमें कई रणनीतिक मुद्दों पर विचार-विमर्श हुआ।
मोदी की प्रतिक्रिया:
वार्ता के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा:
“Thank my friend, President Putin, for his phone call and for sharing insights on his recent meeting with President Trump in Alaska. India has consistently called for a peaceful resolution of the Ukraine conflict and supports all efforts in this regard. I look forward to our continued exchanges in the days to come.”
मोदी ने अपने संदेश में शांति पर जोर देते हुए स्पष्ट किया कि भारत हमेशा से ही युक्रेन विवाद का शांतिपूर्ण समाधान चाहता आया है एवं भविष्य में इस दिशा में सभी पहलुओं का समर्थन जारी रखेगा।
द्विपक्षीय साझेदारी पर चर्चा:
पीएमओ के अनुसार, इस कॉल के दौरान दोनों ही नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर भी विचार-विमर्श किया। दोनों नेताओं ने Special and Privileged Strategic Partnership को और मजबूत करने पर सहमति जताई।
व्यापक कूटनीतिक संदर्भ:
यह वार्ता ऐसे समय हुई जब अलास्का सम्मेलन ने वैश्विक स्तर पर ध्यान खींचा—जिसमें युक्रेन को शामिल न किया जाना नीतिगत आलोचना का विषय बना हुआ है। यूरोपीय देश और युक्रेन ने जोर दिया कि किसी भी समाधान में युक्रेन की भागीदारी अनिवार्य है।
अमेरिकी विशेष दूत स्टीव विटकोफ ने संवादों में उल्लेख किया कि यदि शांति समझौता होता है, तो रूस ने सिद्धांत रूप में युक्रेन के लिए NATO-शैली की सुरक्षा गारंटी देने पर सहमति जताई है, हालांकि कोई पुष्ट समझौता नहीं हुआ। भारत की संतुलित विदेश नीति:
भारत पारंपरिक रूप से सभी पक्षों से संतुलित संबंध बनाए रखने और युद्ध के हल में शांतिपूर्ण सहयोग की वकालत करता रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की यह प्रतिक्रिया इस नीति की पुष्टि करता है।
भविष्य की संभावनाएँ:
यह ओपन और नियमित संवाद संकेत करता है कि भारत रूस और अमेरिका दोनों के साथ संवाद हेतु तत्पर है। आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच और कूटनीतिक विमर्श संभव है, जो दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय स्थिरता में निहित हितों को रेखांकित करेगा।