रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस वर्ष दिसंबर में भारत का आधिकारिक दौरा करेंगे, Kremlin ने शुक्रवार को घोषणा की। यह पुष्टि ऐतिहासिक रूप से द्विपक्षीय संबंधों, ऊर्जा साझेदारी, रक्षा सहयोग और व्यावसायिक हितों के विकेन्द्रीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है।
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में मोदी–पुतिन मुलाकात
Kremlin के विदेश मामलों के सलाहकार यूरी उशाकोव ने बताया कि राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को चीन के तियानजिन में होने वाले SCO सम्मेलन के दौरान मिलेंगे। बैठक का प्रमुख एजेंडा दिसंबर दौरे की तैयारियाँ होंगी। यह इस वर्ष दोनों नेताओं की पहली आमने-सामने मुलाकात होगी, हालाँकि वे नियमित रूप से फोन संपर्क में हैं।
द्विपक्षीय संबंधों का नया अध्याय
आलोचकों का मानना है कि यह दौरा भारत और रूस के संबंधों को और गहराई देने की दिशा में निर्णायक कदम हो सकता है। विशेष रूप से पिछले वर्ष द्विपक्षीय सहयोग के समर्थन में कई पहलें की गई थीं—जिनमें रक्षा, ऊर्जा, और आतंकवाद विरोधी प्रयासों को शामिल किया गया था।
ऊर्जा और अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव
इस घोषणा के समय पर अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारत पर लगाए गए भारी टैरिफ—50% तक, जिसमें 25% अतिरिक्त शुल्क रूस से तेल खरीदने पर लगाया गया है—एक महत्वपूर्ण पृष्ठभूमि बन गए हैं।
भारतीय बाज़ार में रूस से प्राप्त तेल पर दी जा रही छूट और ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि ये खरीद राष्ट्रीय हित और बाजार आधारित निर्णय के आधार पर ही की गई हैं।
रक्षा और रणनीतिक सहयोग में विस्तार
रूस और भारत की रक्षा क्षेत्र में साझेदारी लंबे समय से मजबूत रही है। इस दौरान दोनों देशों ने अपने रक्षा उद्योग सहयोग को और बढ़ाने पर कदम उठाए हैं, और counter-terrorism सहयोग भी चर्चा में रहा। यह संभवतः दिसंबर की यात्रा के दौरान भी एक प्रमुख विचार-विमर्श का विषय होगा।
भारत–रूस संबंधों में निरंतरता
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मोदी का रूस दौरा 2024 में: प्रधानमंत्री मोदी वर्ष 2024 में दो बार रूस का दौरा कर चुके हैं—पहला जुलाई में मॉस्को और दूसरा BRICS शिखर सम्मेलन के लिए कज़ान।
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रूस के लिए भारत एक प्रमुख साझेदार: युद्ध और पश्चिमी प्रतिबंधों के बावजूद, भारत रूस का प्रमुख ऊर्जा और रक्षा साझेदार बना हुआ है।
ICC वारंट का संवैधानिक विवरण
पुतिन पर भारत में ICC द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है, मगर चूंकि भारत ICC का सदस्य नहीं है, इसलिए उसे किसी कानूनी कार्रवाई की बाध्यता नहीं है।
यात्रा का भू-राजनीतिक महत्व
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स्ट्रैटेजिक बैलेंसिंग: बढ़ते अमेरिकी दबाव और टैरिफ के समय में रूस के साथ रिश्तों को और मजबूत करना भारत की रणनीतिक स्वायत्तता को दर्शाता है।
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ऊर्जा विविधीकरण: रूस से तेल खरीदना भारत की ऊर्जा सुरक्षा को और पुख्ता कर रहा है, विशेष रूप से जब पश्चिमी स्रोत सीमित हो गए हैं।
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** बहुपक्षीय संवाद:** SCO, रक्षा सुरक्षा, और व्यापक अंतरराष्ट्रीय मंचों पर दो देशों की साझेदारी में समझ का विस्तार निश्चित रूप से ध्यानाकर्षक है।
निष्कर्ष
इस घोषणा से स्पष्ट रूप से यह संकेत मिलता है कि भारत–रूस रणनीतिक साझेदारी अगले दशक में और भी अधिक गहराई से आकार ले रही है। दिसंबर में होने वाला राष्ट्रपति पुतिन का भारत दौरा इस दिशा में एक अहम् पड़ाव होगा। दोनों देशों के बीच रक्षा, ऊर्जा, आर्थिक सहयोग, और वैश्विक मंचों पर समझ की गहराई इसी यात्रा के माध्यम से स्पष्ट होगी।