प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बुधवार को एक उच्चस्तरीय बातचीत में यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया की जटिल परिस्थितियों पर गहन चर्चा की। दोनों नेताओं ने वैश्विक स्थिरता और शांति की आवश्यकता पर बल दिया और भारत–फ्रांस की रणनीतिक साझेदारी को “शांति और बहुपक्षीय सहयोग” की नई दिशा देने पर सहमति जताई।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में वार्ता
बातचीत का मुख्य फोकस यूक्रेन युद्ध था, जिसने न केवल यूरोप बल्कि पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था और सुरक्षा संतुलन को प्रभावित किया है। राष्ट्रपति मैक्रों ने रूस–यूक्रेन संघर्ष को समाप्त करने के लिए कूटनीतिक दबाव और संवाद की महत्ता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की “संवाद और कूटनीति के रास्ते” की नीति को दोहराया और कहा कि युद्ध किसी समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो सकता।
मोदी ने स्पष्ट किया कि भारत हर वह प्रयास करेगा जो युद्धरत पक्षों को बातचीत की मेज़ पर ला सके। वहीं, फ्रांस ने भी भारत की पहल की सराहना करते हुए संयुक्त राष्ट्र और अन्य बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग बढ़ाने की बात कही।
पश्चिम एशिया की चुनौतियाँ
वार्ता में गाज़ा, ईरान और लेबनान की स्थिति पर भी विचार हुआ। दोनों नेताओं ने माना कि पश्चिम एशिया में चल रहे तनाव का असर वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति और सुरक्षा पर पड़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत का मानना है कि शांति केवल पारस्परिक सम्मान और समावेशी संवाद से ही संभव है।
राष्ट्रपति मैक्रों ने भारत की भूमिका को “महत्वपूर्ण संतुलनकारी शक्ति” बताते हुए कहा कि भारत की मध्यस्थता से पश्चिम एशिया में कई मानवीय पहलों को गति मिल सकती है।
भारत–फ्रांस रणनीतिक साझेदारी
वार्ता के दौरान दोनों देशों ने अपनी 25 साल पुरानी सामरिक साझेदारी को और गहरा करने पर भी जोर दिया। रक्षा, साइबर सुरक्षा, ऊर्जा संक्रमण और हिंद–प्रशांत क्षेत्र में सहयोग जैसे विषयों पर भी चर्चा हुई। मोदी ने फ्रांस को “भारत का विश्वसनीय सहयोगी” बताया और मैक्रों ने कहा कि भारत–फ्रांस मिलकर एक बहुध्रुवीय और संतुलित विश्व व्यवस्था को आकार दे सकते हैं।
रक्षा और तकनीकी सहयोग
सूत्रों के अनुसार, दोनों नेताओं ने रक्षा क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाने पर सहमति जताई। भारत पहले से ही राफेल लड़ाकू विमानों और स्कॉर्पीन पनडुब्बियों जैसे प्रोजेक्ट्स में फ्रांस के साथ जुड़ा हुआ है। अब साइबर सुरक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और स्पेस रिसर्च में सहयोग बढ़ाने पर भी बातचीत हुई।
बहुपक्षीय सहयोग और G20 संदर्भ
मोदी और मैक्रों ने इस बात पर सहमति जताई कि G20 और संयुक्त राष्ट्र जैसे मंचों पर विकसित और विकासशील देशों के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। भारत ने G20 अध्यक्षता के दौरान जिस “वैश्विक दक्षिण” की आवाज उठाई थी, उस पहल को फ्रांस ने समर्थन दिया। दोनों नेताओं ने जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा और वैश्विक आपूर्ति शृंखला जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए साझा रोडमैप बनाने की बात कही।
मानवीय संकट पर चिंता
वार्ता में मानवीय संकट पर विशेष चर्चा हुई। यूक्रेन और गाज़ा में आम नागरिकों की स्थिति पर दोनों नेताओं ने चिंता जताई और मानवीय सहायता को बढ़ाने का संकल्प लिया। मोदी ने कहा कि “मानव जीवन की रक्षा और मानवता के मूल्यों की सुरक्षा” हर देश की जिम्मेदारी है।
निष्कर्ष
मोदी–मैक्रों वार्ता ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत और फ्रांस न केवल द्विपक्षीय सहयोग बल्कि वैश्विक शांति प्रयासों में भी एक साझा दृष्टिकोण रखते हैं। चाहे वह यूक्रेन हो या पश्चिम एशिया, दोनों ही देश संवाद और कूटनीति के माध्यम से शांति बहाली का समर्थन कर रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस वार्ता से भारत की “वैश्विक शांति दूत” की छवि और मज़बूत होगी, वहीं फ्रांस को भी यूरोपीय और पश्चिम एशियाई संकटों के समाधान में एक नया सहयोगी मिल जाएगा।