अमेरिका के पूर्व वित्त सचिव ने डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व सलाहकार पीटर नवारो को भारत पर टिप्पणी करने के लिए कड़ी फटकार लगाई है। उन्होंने नवारो को “Loose Cannon” यानी बेलगाम तोप करार दिया और कहा कि उनकी बयानबाजी न केवल गैर-जिम्मेदाराना है, बल्कि इससे भारत-अमेरिका संबंधों पर भी नकारात्मक असर पड़ सकता है।
पीटर नवारो की विवादित टिप्पणी
ट्रंप प्रशासन में व्यापार और विनिर्माण नीति मामलों के शीर्ष सलाहकार रहे पीटर नवारो ने हाल ही में भारत की विदेश और आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि भारत वैश्विक व्यापार समझौतों में “स्वार्थी रुख” अपनाता है और अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी में भी “एकतरफा लाभ” लेने की कोशिश करता है। नवारो के इस बयान ने राजनीतिक और कूटनीतिक हलकों में हलचल मचा दी।
अमेरिकी पूर्व वित्त सचिव की प्रतिक्रिया
अमेरिकी पूर्व वित्त सचिव (नाम का स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है) ने नवारो पर तीखा हमला करते हुए कहा कि उनका नजरिया न केवल पक्षपाती है बल्कि तथ्यों पर आधारित भी नहीं है। उन्होंने कहा:
“पीटर नवारो एक Loose Cannon की तरह हैं। उनके विचार अमेरिकी विदेश नीति को कमजोर करते हैं और मित्र देशों के साथ रिश्तों में दरार डाल सकते हैं। भारत जैसे लोकतांत्रिक और रणनीतिक साझेदार पर ऐसे गैर-जिम्मेदार बयान से अमेरिका का ही नुकसान होगा।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी भी है। ऐसे में नवारो की टिप्पणियां अमेरिकी हितों के खिलाफ हैं।
भारत-अमेरिका रिश्तों की अहमियत
विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले एक दशक में भारत और अमेरिका के बीच रिश्ते और भी प्रगाढ़ हुए हैं। दोनों देश रक्षा, व्यापार, तकनीक, और इंडो-पैसिफिक रणनीति में साझेदारी को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं।
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रक्षा क्षेत्र में अमेरिका भारत को हाई-टेक डिफेंस इक्विपमेंट मुहैया करा रहा है।
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व्यापारिक मोर्चे पर दोनों देशों के बीच सालाना 200 बिलियन डॉलर से अधिक का कारोबार हो रहा है।
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टेक्नोलॉजी सेक्टर में अमेरिका की दिग्गज कंपनियां भारत में निवेश बढ़ा रही हैं।
ऐसे में नवारो की बयानबाजी को एक तरह से दोनों देशों के रिश्तों को “कमजोर करने की कोशिश” माना जा रहा है।
अमेरिकी राजनीति और नवारो की भूमिका
पीटर नवारो को ट्रंप प्रशासन में उनके “ट्रेड वार” (व्यापार युद्ध) के लिए जाना जाता था। उन्होंने चीन पर आर्थिक दबाव बनाने और आयात पर भारी टैरिफ लगाने की वकालत की थी। हालांकि, उनकी नीतियों को अक्सर अतिवादी और एकतरफा करार दिया जाता रहा है।
पूर्व वित्त सचिव ने कहा कि नवारो की सोच शॉर्ट-टर्म पॉलिटिकल गेन पर आधारित रहती है, जबकि दीर्घकालिक कूटनीतिक रिश्तों को वह नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
भारत की प्रतिक्रिया
भारत सरकार की ओर से नवारो की ताजा टिप्पणी पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन विदेश नीति विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे बयान भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका को कमतर नहीं कर सकते।
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भारत आज G20 की अध्यक्षता कर चुका है।
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BRICS और SCO जैसे समूहों में उसकी सक्रिय भूमिका है।
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साथ ही, अमेरिका के साथ रक्षा और तकनीकी सहयोग तेजी से बढ़ रहा है।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका-भारत संबंधों को लेकर पीटर नवारो जैसी कट्टरपंथी सोच का हावी होना खतरनाक संकेत है।
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यह चीन और रूस जैसे देशों को भारत के और करीब ला सकता है।
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इंडो-पैसिफिक में अमेरिका की रणनीतिक बढ़त कमजोर हो सकती है।
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साथ ही, लोकतांत्रिक देशों के बीच एकता की छवि भी प्रभावित होगी।
निष्कर्ष
पीटर नवारो की आलोचना पर अमेरिकी पूर्व वित्त सचिव की तीखी प्रतिक्रिया से साफ है कि अमेरिका में भी कई बड़े नेता भारत के महत्व को समझते हैं और नवारो जैसी बयानबाजी को “नुकसानदेह” मानते हैं।
भारत और अमेरिका दोनों ही देशों के लिए साझेदारी केवल रणनीतिक ही नहीं, बल्कि आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बेहद जरूरी है। ऐसे में किसी भी तरह की गैर-जिम्मेदार टिप्पणी न केवल द्विपक्षीय रिश्तों को प्रभावित करती है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी गलत संदेश देती है।