अमेरिका की पूर्व राजनयिक और संयुक्त राष्ट्र में पूर्व स्थायी प्रतिनिधि निक्की हेली ने अमेरिका की विदेश नीति को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यदि अमेरिका ने भारत के साथ रणनीतिक गठजोड़ को मजबूत नहीं किया, तो आने वाले समय में चीन की बढ़ती ताकत रणनीतिक आपदा (Strategic Disaster) साबित हो सकती है।
निक्की हेली ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अमेरिका को एशिया की भू-राजनीतिक हकीकतों को समझते हुए भारत जैसे लोकतांत्रिक और उभरती शक्ति वाले देश के साथ साझेदारी को प्राथमिकता देनी होगी।
चीन को बताया ‘सबसे बड़ा खतरा’
अपने भाषण में हेली ने चीन की आक्रामक नीतियों और विस्तारवादी रवैये पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि चीन केवल एशिया ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में अमेरिका के प्रभाव को चुनौती दे रहा है। व्यापार, तकनीक, रक्षा और समुद्री सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में चीन की आक्रामकता बढ़ती जा रही है। ऐसे में अमेरिका के लिए यह जरूरी है कि वह भारत के साथ मिलकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में संतुलन बनाए।
भारत-अमेरिका संबंधों पर जोर
निक्की हेली का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और अमेरिका के बीच रक्षा, तकनीकी और व्यापारिक सहयोग लगातार बढ़ रहा है। हाल ही में दोनों देशों ने इंडो-पैसिफिक रणनीति को लेकर साझा बयान जारी किया था। हेली ने कहा कि अमेरिका को केवल ‘लेन-देन वाले रिश्तों’ से आगे बढ़कर भारत के साथ दीर्घकालिक रणनीतिक साझेदारी पर ध्यान देना चाहिए।
अमेरिकी राजनीति में भारत पर सहमति
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी राजनीति में चाहे डेमोक्रेट्स हों या रिपब्लिकन, भारत को लेकर एक आम सहमति बन चुकी है। चीन की चुनौती का सामना करने के लिए भारत सबसे अहम साझेदार माना जा रहा है। निक्की हेली का बयान इसी दिशा में एक मजबूत राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जा रहा है।
भारत की भूमिका अहम
हेली ने कहा कि भारत न केवल दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि तकनीक, नवाचार और युवा शक्ति के मामले में भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई ताकत है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका को भारत के साथ रक्षा समझौतों और आर्थिक साझेदारी को और गहरा करना चाहिए, ताकि दोनों देश मिलकर चीन की किसी भी रणनीतिक चुनौती का सामना कर सकें।
निष्कर्ष
निक्की हेली का यह आह्वान अमेरिका की विदेश नीति पर गहरा असर डाल सकता है। आने वाले दिनों में वॉशिंगटन में भारत के साथ साझेदारी पर और गंभीर चर्चाएं होने की संभावना है। भारत के लिए भी यह बयान कूटनीतिक स्तर पर एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है, क्योंकि यह स्पष्ट करता है कि अमेरिका भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में ‘मुख्य रणनीतिक भागीदार’ मानता है।