Thursday, October 16, 2025
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नेपाल संकट 2025: पीएम ओली का इस्तीफा, नया प्रधानमंत्री या सेना शासन?

नेपाल में जन-ज़ेड आंदोलन और प्रदर्शनकारियों के दबाव में प्रधानमंत्री ओली ने इस्तीफा दे दिया। 19 लोगों की मौत और सैकड़ों घायल होने के बाद अब राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी है। क्या नया प्रधानमंत्री बनेगा या सेना सत्ता संभालेगी, यही सबसे बड़ा सवाल है।

नेपाल संकट: पीएम ओली के इस्तीफे के बाद नया प्रधानमंत्री या सेना शासन?

नेपाल संकट 2025 ने देश की राजनीति को गहरे संकट में डाल दिया है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने हिंसक प्रदर्शनों और जन-ज़ेड आंदोलन के दबाव में इस्तीफा दे दिया है। अब सवाल यह उठ रहा है कि नेपाल में आगे सत्ता किसके हाथों में होगी—नए प्रधानमंत्री के या सेना के?

पीएम ओली का इस्तीफा — क्यों पड़ा दबाव?

प्रधानमंत्री ओली को पिछले कई दिनों से चारों तरफ से घेराबंदी झेलनी पड़ रही थी।

  • युवा पीढ़ी, खासकर जन-ज़ेड वर्ग, बेरोज़गारी, भ्रष्टाचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर पाबंदियों से बेहद नाराज़ था।

  • सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाया, जिसने विरोध को और तेज़ कर दिया।

  • प्रदर्शन इतने हिंसक हो गए कि 19 लोगों की मौत और कई सरकारी दफ़्तरों में आगज़नी हुई।

ऐसे माहौल में, विपक्ष और जनता दोनों के बढ़ते दबाव ने ओली को इस्तीफा देने पर मजबूर कर दिया

नेपाल संकट 2025 के बीच सेना की संभावित भूमिका

विपक्षी दल और आंदोलनकारी अब अंतरिम सरकार के गठन पर ज़ोर दे रहे हैं। उनका तर्क है कि मौजूदा राजनीतिक नेतृत्व ने युवाओं की आकांक्षाओं और जनता की आवाज़ को दबाने की कोशिश की, इसलिए नई शुरुआत की ज़रूरत है।

  • विपक्ष चाहता है कि अंतरिम सरकार पारदर्शी हो और निकट भविष्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराए।

  • प्रदर्शनकारी युवाओं की मुख्य मांगें हैं:

    1. रोज़गार के अवसर

    2. भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई

    3. डिजिटल आज़ादी की बहाली

    4. संवैधानिक सुधार

सेना की भूमिका — क्या होगी अगली चाल?

नेपाल के इतिहास में सेना हमेशा से एक निर्णायक शक्ति रही है।

  • मौजूदा हालात में सेना ने फिलहाल केवल कानून-व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी ली है।

  • सेना प्रमुख ने संकेत दिया है कि यदि राजनीतिक दल आपसी सहमति से समाधान नहीं ढूंढ पाए, तो सेना सीमित हस्तक्षेप कर सकती है।

यह संभावना भी जताई जा रही है कि यदि अस्थिरता बनी रही, तो सेना अस्थायी रूप से प्रशासनिक नियंत्रण संभाल सकती है। हालांकि, इससे नेपाल की लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े हो जाएंगे।

राष्ट्रपति की भूमिका

नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने सभी दलों से संवाद की अपील की है।

  • उनका कहना है कि केवल राजनीतिक सहमति ही नेपाल को इस संकट से बाहर निकाल सकती है।

  • संविधान के मुताबिक राष्ट्रपति ही अंतरिम व्यवस्था और नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति में अहम भूमिका निभाएँगे।

अंतरराष्ट्रीय नजरें नेपाल पर

नेपाल की इस अस्थिरता पर दुनिया की भी नज़र है।

  • भारत ने घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए शांति और स्थिरता की अपील की है।

  • चीन और अमेरिका ने भी राजनीतिक दलों से लोकतांत्रिक रास्ता अपनाने की सलाह दी है।

  • संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अगर हिंसा नहीं रुकी, तो नेपाल की स्थिति और बिगड़ सकती है।

आगे क्या हो सकता है?

  1. नया प्रधानमंत्री चुना जाएगा – अगर संसद में दल सहमति पर पहुँचते हैं तो एक नया प्रधानमंत्री चुना जाएगा और स्थिति सामान्य हो सकती है।

  2. अंतरिम सरकार बनेगी – विपक्ष और प्रदर्शनकारियों के दबाव में राष्ट्रपति एक अंतरिम सरकार गठित कर सकते हैं।

  3. सेना का हस्तक्षेप – यदि राजनीतिक सहमति नहीं बनी और हिंसा बढ़ती गई, तो सेना अस्थायी रूप से सत्ता संभाल सकती है।

निष्कर्ष

नेपाल संकट इस समय सिर्फ एक राजनीतिक घटना नहीं, बल्कि जनता की बदलती मानसिकता का प्रतीक भी है। युवाओं की आवाज़, उनकी नाराज़गी और डिजिटल आज़ादी की मांग अब देश की राजनीति को दिशा दे रही है। प्रधानमंत्री ओली के इस्तीफे के बाद नेपाल के सामने दो रास्ते हैं—

  • या तो एक लोकतांत्रिक समाधान निकालते हुए नया प्रधानमंत्री या अंतरिम सरकार लाए,

  • या फिर अस्थिरता बढ़ने पर सेना को आगे आना पड़े।

जो भी फैसला होगा, वह आने वाले वर्षों में नेपाल के लोकतंत्र और सामाजिक संरचना की तस्वीर तय करेगा।

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