पाल Gen-Z Protest 2025: संसद घेराव से लेकर मंत्रियों के इस्तीफे तक की पूरी कहानी
नेपाल इन दिनों ऐसे राजनीतिक संकट से गुजर रहा है, जिसने देश की सियासत और जनता दोनों को हिला दिया है। नेपाल Gen-Z Protest 2025 ने सोशल मीडिया प्रतिबंध और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों से जन्म लिया, लेकिन अब यह पूर्ण राजनीतिक उथल-पुथल का रूप ले चुका है। राजधानी काठमांडू संसद भवन के चारों ओर युवा प्रदर्शनकारियों का सैलाब उमड़ पड़ा है, जहां हिंसा, आगजनी और सरकार विरोधी नारेबाजी ने माहौल को और तनावपूर्ण बना दिया है।
विरोध की चिंगारी: सोशल मीडिया बैन से शुरू हुआ आंदोलन
नेपाल सरकार ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अस्थायी प्रतिबंध लगाया था। सरकार का दावा था कि यह कदम अफवाहें रोकने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ज़रूरी है, लेकिन देश की Gen-Z पीढ़ी इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला मानकर सड़कों पर उतर आई। फेसबुक, X (ट्विटर), इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर बैन ने युवाओं के गुस्से को और भड़का दिया।
19 मौतें और 300 से अधिक घायल
प्रदर्शनों ने जल्दी ही हिंसक रूप ले लिया। पुलिस और सुरक्षाबलों की गोलीबारी में अब तक 19 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और 300 से अधिक घायल बताए जा रहे हैं। काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर जैसे शहरों में कर्फ्यू लगाया गया है। सड़कों पर धुआं और खून दोनों फैल गए हैं।
सद घेराव और आगजनी
प्रदर्शनकारियों ने नेपाल संसद का घेराव किया और कई इलाकों में आगजनी की। गुस्साए युवाओं ने संचार मंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री प्रचण्ड के आवास पर भी हमला किया। सरकारी वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। यह आंदोलन अब महज सोशल मीडिया बैन तक सीमित नहीं रहा बल्कि यह भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और राजनीतिक अस्थिरता के खिलाफ एक बड़ा युवा विद्रोह बन चुका है।
मंत्रियों के इस्तीफे और सरकार पर दबाव
लगातार बढ़ते दबाव के बीच अब तक तीन मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है — गृह मंत्री रमेश लेखक, कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी और स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल। यह इस्तीफे दर्शाते हैं कि सरकार अंदर से भी कमजोर होती जा रही है। विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री ओली से तत्काल इस्तीफे और जल्द चुनाव की मांग की है।
पीएम ओली का दुबई जाने की तैयारी
नेपाल की सियासत में हलचल तब और बढ़ गई जब खबर आई कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली दुबई जाने की तैयारी में हैं। आधिकारिक तौर पर इसका कारण “चिकित्सा उपचार” बताया गया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह कदम अस्थायी शरण लेने की कोशिश भी हो सकता है। प्रदर्शनकारियों और विपक्ष का आरोप है कि प्रधानमंत्री संकट से भाग रहे हैं।
सोशल मीडिया बैन हटाने पर मजबूर सरकार
जनता के दबाव के आगे सरकार को झुकना पड़ा और उसने सोशल मीडिया पर लगाया गया बैन वापस ले लिया। हालांकि, यह फैसला हिंसक प्रदर्शनों और बढ़ती मौतों के बाद आया, जब सरकार की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठने लगे।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
नेपाल के हालात पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी नजर बनाए हुए है। संयुक्त राष्ट्र और मानवाधिकार संगठनों ने हिंसा की निंदा करते हुए शांतिपूर्ण समाधान की अपील की है। भारत, चीन और अन्य पड़ोसी देशों ने नेपाल में स्थिरता बनाए रखने की जरूरत पर जोर दिया है।
Gen-Z आंदोलन का असली चेहरा
यह आंदोलन केवल सोशल मीडिया बैन के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह युवा पीढ़ी की आवाज़ बन गया है। नेपाल की नई पीढ़ी भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और राजनीतिक अस्थिरता से परेशान है। “लोकतंत्र बचाओ” के नारे अब पूरे नेपाल में गूंज रहे हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि यह आंदोलन देश में नई राजनीति की नींव भी रख सकता है।
आगे क्या?
अब बड़ा सवाल यह है कि नेपाल का भविष्य किस दिशा में जाएगा।
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क्या प्रधानमंत्री ओली इस्तीफा देंगे?
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क्या नेपाल में जल्द चुनाव होंगे?
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क्या यह आंदोलन स्थायी राजनीतिक बदलाव की ओर ले जाएगा?
सियासी हलचल, जनता का गुस्सा और युवाओं की ताकत मिलकर नेपाल में एक नया अध्याय लिख सकते हैं।
निष्कर्ष
नेपाल Gen-Z Protest 2025 नेपाल के इतिहास का वह मोड़ बन सकता है, जहां जनता ने लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी। संसद घेराव, आगजनी, मंत्रियों के इस्तीफे और प्रधानमंत्री ओली के दुबई जाने की चर्चा—ये सब संकेत देते हैं कि नेपाल अब एक नए राजनीतिक भूचाल की तरफ बढ़ रहा है।