जापान पीएम इस्तीफा की खबर ने पूरे एशिया और दुनिया की राजनीति में भूचाल ला दिया है। प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने हाल ही में हुए चुनावों में LDP (लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी) की करारी हार और पार्टी में गहराते आंतरिक संकट के बीच पद छोड़ने का बड़ा फैसला किया है। उन्होंने कहा कि यह कदम जापान की स्थिरता और पार्टी की एकता को बनाए रखने के लिए जरूरी था।
चुनावी हार ने बदली परिस्थितियाँ
जुलाई 2025 में हुए चुनावों में सत्तारूढ़ LDP को ऐतिहासिक पराजय का सामना करना पड़ा। ऊपरी सदन में बहुमत खोने के साथ ही उपचुनावों में भी हार ने पार्टी की राजनीतिक पकड़ कमजोर कर दी। महंगाई, जीवन-यापन की बढ़ती लागत और बेरोजगारी जैसे मुद्दों ने जनता का गुस्सा भड़का दिया। नतीजतन, इशिबा के नेतृत्व पर सवाल खड़े होने लगे और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद छोड़ने का दबाव डाला।
इशिबा का संदेश
इस्तीफे का ऐलान करते समय शिगेरु इशिबा ने कहा,
“मेरे लिए देशहित और पार्टी की एकता सर्वोपरि है। यदि मेरे पद पर बने रहने से विभाजन गहराता है तो यह राष्ट्र के लिए नुकसानदेह होगा।”
इशिबा का यह बयान न केवल उनके राजनीतिक परिपक्वता का उदाहरण है बल्कि यह भी दर्शाता है कि जापान की राजनीति में नैतिक जवाबदेही अभी भी जीवित है।
LDP में नई जंग की शुरुआत
इशिबा के पद छोड़ने के साथ ही LDP में नए नेतृत्व की जंग तेज हो गई है। पार्टी संविधान के तहत जल्द ही अध्यक्ष और प्रधानमंत्री का चयन होगा। राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि नया नेतृत्व न केवल पार्टी की दिशा तय करेगा बल्कि जापान की घरेलू और विदेशी नीतियों पर भी गहरा असर डालेगा।
संभावित उम्मीदवार
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सनेए ताकाइची – आर्थिक सुधारों और सामाजिक कल्याण योजनाओं की समर्थक।
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शिंजिरो कोइज़ुमी – युवा और लोकप्रिय चेहरा, पर्यावरण नीतियों पर जोर।
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योशिमासा हयाशी – अनुभवी राजनयिक, अंतरराष्ट्रीय संबंधों में गहरी पकड़।
इन तीनों में से कोई भी नेता पार्टी को नई दिशा दे सकता है। ताकाइची संगठनात्मक मजबूती लाती हैं, कोइज़ुमी युवा वोटरों को आकर्षित कर सकते हैं, जबकि हयाशी विदेश नीति में निरंतरता सुनिश्चित कर सकते हैं।
आर्थिक असर
जापान पीएम इस्तीफा का सीधा असर वित्तीय बाजारों पर देखने को मिला। इस्तीफे की घोषणा के तुरंत बाद येन में उतार-चढ़ाव दर्ज किया गया और निवेशकों ने सतर्क रुख अपनाया। आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि नेतृत्व की अनिश्चितता अल्पकालिक अस्थिरता पैदा करेगी, लेकिन नया नेतृत्व जल्द सामने आने से बाजार स्थिर हो सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय राजनीति पर असर
जापान एशिया-प्रशांत क्षेत्र का प्रमुख देश है और अमेरिका के साथ उसकी साझेदारी वैश्विक सुरक्षा के लिहाज से अहम है। इशिबा सरकार ने अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौतों में प्रगति दर्ज की थी। अब सवाल यह है कि नया नेता इस नीति को जारी रखेगा या कोई बदलाव लाएगा। चीन और कोरिया के साथ जापान के संबंध भी इस बदलाव से प्रभावित हो सकते हैं।
विपक्ष का रुख
विपक्षी दलों ने जापान पीएम इस्तीफा का स्वागत करते हुए कहा कि यह जनता की नाराजगी का नतीजा है। विपक्ष का मानना है कि अब समय आ गया है कि जापान में वास्तविक सुधार किए जाएं और आम जनता की परेशानियों का समाधान निकाला जाए। विपक्षी पार्टियाँ उम्मीद कर रही हैं कि यह राजनीतिक अस्थिरता उन्हें आगामी चुनावों में बढ़त दिला सकती है।
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इशिबा का इस्तीफा पार्टी को टूटने से बचाने की रणनीति का हिस्सा है। उनका मानना है कि नया नेतृत्व LDP को पुनर्गठित करने का मौका देगा और पार्टी को दोबारा जनता का भरोसा जीतने में मदद करेगा।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, जापान पीएम इस्तीफा जापानी राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ है। शिगेरु इशिबा ने पद छोड़कर यह स्पष्ट कर दिया है कि लोकतंत्र में जवाबदेही सर्वोपरि है। आने वाले दिनों में नया नेतृत्व न केवल जापान की आंतरिक राजनीति बल्कि अंतरराष्ट्रीय रिश्तों की दिशा भी तय करेगा।