Wednesday, August 27, 2025
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फिजी ने भारत से मांगी वैश्विक आतंकवाद विरोधी लड़ाई में अगुवाई, MEA सचिव नीना मल्होत्रा का बड़ा बयान

फिजी ने भारत से आग्रह किया है कि वह आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक प्रयासों में नेतृत्वकारी भूमिका निभाए। विदेश मंत्रालय की सचिव (दक्षिण) नीना मल्होत्रा ने बताया कि भारत-फिजी द्विपक्षीय वार्ता में सुरक्षा, समुद्री सहयोग और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा हुई।

फिजी ने भारत से मांगी वैश्विक आतंकवाद विरोधी लड़ाई में अगुवाई, MEA सचिव नीना मल्होत्रा का बड़ा बयान

भारत और फिजी के बीच रणनीतिक सहयोग लगातार मज़बूत होता जा रहा है। हाल ही में दोनों देशों के बीच हुई उच्चस्तरीय वार्ता में फिजी ने भारत से आग्रह किया कि वह आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में लीडरशिप रोल निभाए। विदेश मंत्रालय (MEA) की सचिव–दक्षिण नीना मल्होत्रा ने इस बात की जानकारी दी और बताया कि भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय साख को देखते हुए फिजी जैसे छोटे द्वीपीय देश को भारत से बड़ी उम्मीदें हैं।

भारत–फिजी संबंधों की पृष्ठभूमि

भारत और फिजी के रिश्ते ऐतिहासिक रूप से मज़बूत रहे हैं। बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग फिजी में बसे हुए हैं, जो दोनों देशों को सामाजिक और सांस्कृतिक स्तर पर जोड़ते हैं। बीते कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिजी के साथ संबंधों को और आगे बढ़ाने की दिशा में कई कदम उठाए हैं। चाहे वह समुद्री सहयोग (Maritime Security) हो, आर्थिक विकास परियोजनाएँ हों या जलवायु परिवर्तन पर साझेदारी, भारत और फिजी के बीच गहरा संवाद जारी है।

आतंकवाद पर फिजी का रुख

फिजी, भले ही एक छोटा द्वीपीय देश है, लेकिन आतंकवाद और साइबर अपराध जैसी वैश्विक चुनौतियाँ उसे भी प्रभावित करती हैं। फिजी के नेताओं का मानना है कि भारत, जो खुद दशकों से आतंकवाद का सामना करता आया है और जिसने हाल ही में कई आतंक विरोधी अभियानों में अहम भूमिका निभाई है, इस वैश्विक संकट के खिलाफ एक सशक्त नेतृत्व कर सकता है।

नीना मल्होत्रा ने कहा कि “फिजी का मानना है कि भारत न सिर्फ अपने क्षेत्र बल्कि पूरे इंडो-पैसिफिक और वैश्विक स्तर पर आतंकवाद विरोधी सहयोग का नेतृत्व कर सकता है।”

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की अहमियत

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र आज भू-राजनीतिक दृष्टि से सबसे संवेदनशील इलाकों में से एक है। चीन की बढ़ती सक्रियता, समुद्री विवाद और आतंकवाद–चरमपंथ की समस्या इसे और जटिल बनाती है। ऐसे में भारत की Act East Policy और Indo-Pacific Vision को लेकर दुनिया भर में उम्मीदें बढ़ रही हैं। फिजी जैसे छोटे लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देशों का भारत पर भरोसा यह दिखाता है कि भारत अब एक वैश्विक नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

सुरक्षा और विकास पर साझा एजेंडा

इस वार्ता में आतंकवाद के अलावा कई अन्य मुद्दों पर भी चर्चा हुई। इनमें प्रमुख हैं:

  • समुद्री सुरक्षा (Maritime Security) – फिजी जैसे द्वीपीय देश के लिए यह अत्यंत आवश्यक है।

  • साइबर सुरक्षा सहयोग – डिजिटल दुनिया में आतंकवाद और अपराध को रोकने के लिए भारत से मदद।

  • जलवायु परिवर्तन और सतत विकास – फिजी बार-बार प्राकृतिक आपदाओं और समुद्री खतरे का सामना करता है। भारत ने यहां सहयोग का भरोसा दिलाया।

  • शिक्षा और स्वास्थ्य सहयोग – भारतीय तकनीकी और चिकित्सा सहयोग को और मज़बूत बनाने पर ज़ोर।

भारत की वैश्विक भूमिका

भारत ने बीते वर्षों में संयुक्त राष्ट्र, G20 और ब्रिक्स जैसे मंचों पर आतंकवाद के मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है। प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में कहा था कि “आतंकवाद मानवता का साझा दुश्मन है और इससे निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर साझा प्रयास जरूरी हैं।”

फिजी का भारत से नेतृत्व की अपेक्षा करना इस बात का प्रमाण है कि भारत अब केवल क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति के रूप में देखा जा रहा है।

निष्कर्ष

भारत–फिजी वार्ता में आया यह संदेश बेहद महत्वपूर्ण है। एक तरफ यह भारत की बढ़ती अंतरराष्ट्रीय साख को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर यह भी दिखाता है कि छोटे द्वीपीय देश अब भारत से बड़ी उम्मीदें लगाए बैठे हैं। यदि भारत आतंकवाद विरोधी सहयोग में अग्रणी भूमिका निभाता है, तो यह न केवल इंडो-पैसिफिक क्षेत्र बल्कि पूरी दुनिया के लिए सकारात्मक कदम होगा।

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