अजरबैजान भारत बदला लेने की बात कहकर एक बड़े अंतरराष्ट्रीय विवाद में उलझ गया है। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समिट 2025 में अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में दावा किया कि “भारत हमसे बदला लेना चाहता है।”
यह बयान न केवल हैरान करने वाला था, बल्कि इसने भारत और अजरबैजान के बीच पहले से मौजूद तनाव को और गहरा कर दिया।
SCO में अजरबैजान का विवादित बयान
SCO समिट के दौरान अजरबैजान राष्ट्रपति अलीयेव ने कहा कि भारत काकेशस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहता है और इसके लिए वह अजरबैजान को निशाना बना रहा है। अलीयेव के मुताबिक, भारत की रणनीति आर्थिक और ऊर्जा सहयोग तक सीमित नहीं है, बल्कि “बदला लेने की मानसिकता” से प्रेरित है।
पाकिस्तान और चीन का रुख
इस बयान के तुरंत बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत को आक्रामक बताते हुए अजरबैजान का समर्थन किया। चीन ने सीधे बयान का समर्थन तो नहीं किया, लेकिन क्षेत्रीय स्थिरता की बात कहकर परोक्ष रूप से पाकिस्तान-अजरबैजान की लाइन को बल दिया।
भारत की प्रतिक्रिया
हालांकि भारत सरकार की आधिकारिक प्रतिक्रिया अब तक सामने नहीं आई है, लेकिन विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने इस बयान को “बिना आधार और राजनीति से प्रेरित” बताया है। भारत मानता है कि अजरबैजान अपनी घरेलू असफलताओं को छुपाने और पाकिस्तान-चीन का समर्थन पाने के लिए ऐसा कर रहा है।
रणनीतिक पृष्ठभूमि
भारत और अजरबैजान के रिश्ते हमेशा तनावपूर्ण रहे हैं। अजरबैजान पाकिस्तान का करीबी सहयोगी है और कई मौकों पर कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है। दूसरी ओर, भारत ने आर्मेनिया को रक्षा तकनीक और हथियार उपलब्ध कराए हैं, जिसे अजरबैजान अपनी सुरक्षा के लिए खतरा मानता है। यही वजह है कि “अजरबैजान भारत बदला” जैसी बयानबाजी को विशेषज्ञ भारत-आर्मेनिया रिश्तों से जोड़कर देख रहे हैं।
SCO और भारत की भूमिका
भारत ने हमेशा SCO को आतंकवाद और क्षेत्रीय सहयोग के मंच के रूप में इस्तेमाल किया है। लेकिन अजरबैजान का भारत के खिलाफ इस तरह का बयान SCO की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाता है।
विशेषज्ञों की राय
विशेषज्ञ मानते हैं कि अजरबैजान का यह बयान भारत-आर्मेनिया करीबी से उपजा डर है। अलीयेव ने पाकिस्तान और चीन के सामने यह बयान देकर भारत पर दबाव बनाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को कमजोर करने की कोशिश की है।
निष्कर्ष
अजरबैजान भारत बदला लेने की धमकी ने एशिया की राजनीति में नया विवाद खड़ा कर दिया है। पाकिस्तान और चीन पहले से ही भारत के लिए चुनौती बने हुए हैं और अब अजरबैजान का खुलकर इस खेमे में शामिल होना भारत की विदेश नीति के लिए नई कूटनीतिक चुनौती है।