ऑस्ट्रेलिया में प्रवासियों के खिलाफ गुस्सा सड़कों पर फूट पड़ा है। रविवार को हजारों लोग देशभर के कई शहरों में रैलियों और प्रदर्शनों में शामिल हुए। खासतौर पर भारतीय समुदाय और अन्य एशियाई मूल के प्रवासियों को लेकर नाराजगी का माहौल देखने को मिला।
इन प्रदर्शनों का आयोजन कई दक्षिणपंथी समूहों और स्थानीय संगठनों ने किया, जिनका आरोप है कि बढ़ती इमिग्रेशन देश की अर्थव्यवस्था, नौकरी और सांस्कृतिक संतुलन पर असर डाल रही है।
किन-किन शहरों में हुए प्रदर्शन?
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सिडनी, मेलबर्न, ब्रिस्बेन और पर्थ जैसे बड़े शहरों में रैलियां आयोजित हुईं।
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कई जगहों पर प्रदर्शनकारी तख्तियां लेकर “Stop Immigration” और “Save Australian Jobs” जैसे नारे लगा रहे थे।
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पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा बल तैनात किए।
भारतीय क्यों बने निशाने पर?
भारतीय समुदाय बीते दशक में ऑस्ट्रेलिया में तेजी से बढ़ा है।
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2024 तक ऑस्ट्रेलिया में करीब 10 लाख भारतीय मूल के लोग बस चुके हैं।
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बड़ी संख्या में छात्र, IT प्रोफेशनल्स और स्किल्ड वर्कर्स ऑस्ट्रेलिया में बस रहे हैं।
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कुछ स्थानीय संगठनों का आरोप है कि “भारतीय और अन्य एशियाई प्रवासी नौकरी बाजार और संसाधनों पर दबाव बढ़ा रहे हैं।”
सरकार का क्या कहना है?
ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने प्रदर्शनकारियों से शांतिपूर्ण तरीके से विरोध दर्ज कराने की अपील की है।
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इमिग्रेशन विभाग ने कहा है कि प्रवासी ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था और विकास में अहम योगदान देते हैं।
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सरकार का मानना है कि skilled migration से हेल्थकेयर, टेक्नोलॉजी और शिक्षा क्षेत्र को मजबूती मिलती है।
भारतीय समुदाय की प्रतिक्रिया
भारतीय प्रवासी संगठनों ने इन प्रदर्शनों की निंदा की है और सरकार से सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है।
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Australian Indian Association ने कहा कि इस तरह के विरोध से समाज में विभाजन की राजनीति को बढ़ावा मिलेगा।
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भारतीय छात्र संगठनों ने भी अपील की है कि वे डरें नहीं, बल्कि एकजुट होकर अपनी आवाज उठाएं।
अंतरराष्ट्रीय असर
भारत सरकार भी इस मामले पर नजर रखे हुए है। नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वे ऑस्ट्रेलियाई सरकार से संपर्क में हैं और भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है।
निष्कर्ष
ऑस्ट्रेलिया में बढ़ते प्रवासियों को लेकर नाराजगी और विरोध नई चुनौती बनते जा रहे हैं। सवाल यह है कि क्या सरकार इन प्रदर्शनों को संतुलित कर पाएगी और भारतीय समुदाय समेत प्रवासियों को भरोसा दिला पाएगी कि वे सुरक्षित हैं और समाज का अहम हिस्सा बने रहेंगे।