पाकिस्तान की सियासत और सेना में एक बार फिर ड्रामा देखने को मिल रहा है। इस बार मामला जुड़ा है पाकिस्तान आर्मी चीफ जनरल आसिम मुनीर से। खबरों के मुताबिक, जनरल मुनीर को हाल ही में पाकिस्तान का दूसरा सबसे बड़ा नागरिक अवॉर्ड निशान-ए-इम्तियाज (मिलिट्री) दिया गया है। लेकिन यह अवॉर्ड मिलने के बाद सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों में विवाद छिड़ गया है। सवाल उठ रहा है कि आखिर एक ऐसे समय में जब पाकिस्तान में सुरक्षा हालात खराब हैं, अर्थव्यवस्था संकट में है और हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर को नाकामी माना जा रहा है, तो यह सम्मान क्यों और कैसे दिया गया?
ऑपरेशन सिंदूर में मिली करारी हार
रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाकिस्तान ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जरिए बलूच विद्रोहियों पर कड़ा एक्शन लेने की कोशिश की थी। लेकिन यह ऑपरेशन नाकाम साबित हुआ। न सिर्फ पाकिस्तान सेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा, बल्कि कई जवानों की जान भी गई। वहीं, बलूचिस्तान में हालात और बिगड़ गए। ऐसे में जनरल आसिम मुनीर को अवॉर्ड देने के फैसले ने लोगों के गुस्से को और भड़का दिया है। आलोचकों का कहना है कि जब एक ऑपरेशन असफल रहा, तब सेना प्रमुख को अवॉर्ड देने का औचित्य क्या है?
सोशल मीडिया पर बवाल
पाकिस्तान में ट्विटर और फेसबुक पर #NishanEImtiaz ट्रेंड कर रहा है। लोग तंज कस रहे हैं कि “नाकामी का इनाम” मिल रहा है। कुछ यूजर्स ने लिखा – “जब मुल्क कर्ज में डूबा है, लोग भूख से मर रहे हैं, तब ये अवॉर्ड्स किसलिए?” वहीं, कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि क्या यह अवॉर्ड सेना में मनोबल बनाए रखने की एक कोशिश है?
राजनीतिक हलचल भी तेज
यह विवाद सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं है। पाकिस्तान की विपक्षी पार्टियों ने भी सरकार और सेना पर निशाना साधा है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पार्टी ने बयान जारी कर कहा कि यह अवॉर्ड “सिर्फ सत्ता का दिखावा” है और इसका जनता की तकलीफों से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं, पीटीआई के कुछ नेताओं ने दावा किया कि यह कदम सेना की “अंदरूनी राजनीति” का हिस्सा है।
पाकिस्तान की गिरती साख
विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय छवि को भी नुकसान पहुंचा रहा है। पहले से ही IMF के कर्ज, बढ़ती महंगाई और आतंकी हमलों से जूझ रहे पाकिस्तान में ऐसे फैसले जनता के भरोसे को और कमजोर करते हैं। सवाल यह भी है कि क्या यह सम्मान वाकई उपलब्धियों के लिए था या महज एक रस्मी औपचारिकता?
निष्कर्ष
जनरल आसिम मुनीर को मिला यह अवॉर्ड अब पाकिस्तान में नई बहस और विवाद का केंद्र बन गया है। जहां एक तरफ सरकार और सेना इसे सम्मान की परंपरा बता रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ लोग इसे नाकामी पर इनाम कह रहे हैं। आगे यह विवाद किस दिशा में जाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा।