अफगानिस्तान एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गया है। रविवार सुबह आए भीषण भूकंप ने देश के कई प्रांतों को हिला कर रख दिया। ताज़ा रिपोर्ट्स के अनुसार इस विनाशकारी भूकंप में अब तक 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 1500 से अधिक लोग घायल हुए हैं। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 6.8 मापी गई।
प्रभावित इलाके
भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान के पख्तिका और खोस्त प्रांत के पास बताया जा रहा है। झटके राजधानी काबुल, कंधार, और यहां तक कि पड़ोसी देशों पाकिस्तान और ईरान तक महसूस किए गए। सबसे ज्यादा नुकसान ग्रामीण इलाकों में हुआ है जहां मिट्टी और ईंटों से बने घर पूरी तरह ढह गए।
तबाही का मंजर
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, भूकंप के तेज झटकों के बाद लोग अपने घरों से चीखते-चिल्लाते बाहर भागे। कई जगहों पर मकान और मस्जिदें जमींदोज़ हो गईं। दर्जनों गांव पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। बचाव दलों ने मलबे से शव और घायल निकालने का काम शुरू कर दिया है।
एक स्थानीय निवासी ने बताया, “हम अचानक नींद से जागे तो घर की दीवारें हिल रही थीं। कुछ ही सेकंड में छत गिर पड़ी। हमारे कई रिश्तेदार मलबे में दब गए।”
राहत और बचाव अभियान
अफगानिस्तान सरकार ने सेना और आपदा प्रबंधन दल को राहत कार्यों में लगाया है। तालिबान प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मदद की अपील की है। घायलों को नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है लेकिन चिकित्सा सुविधाओं की कमी के कारण मुश्किलें बढ़ गई हैं।
रेड क्रॉस और WHO ने भी मौके पर मेडिकल सहायता भेजी है। हेलीकॉप्टर और जेसीबी मशीनों की मदद से मलबा हटाने का काम जारी है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
इस भूकंप ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है।
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भारत ने तत्काल मानवीय सहायता और मेडिकल टीम भेजने का ऐलान किया है।
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संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने गहरी संवेदना जताते हुए अंतरराष्ट्रीय मदद के लिए अपील की है।
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पाकिस्तान और ईरान ने भी अपनी ओर से मदद का हाथ बढ़ाया है।
पिछली आपदाओं की याद
यह कोई पहला मौका नहीं है जब अफगानिस्तान इतनी बड़ी प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। साल 2022 और 2023 में भी देश में बड़े पैमाने पर भूकंप आए थे जिनमें हजारों लोगों की मौत हुई थी। अफगानिस्तान की भौगोलिक स्थिति इसे भूकंप-प्रवण क्षेत्र बनाती है, जहां इस तरह की त्रासदी बार-बार देखने को मिलती है।
आर्थिक और सामाजिक असर
पहले से ही युद्ध, गरीबी और राजनीतिक अस्थिरता से जूझ रहे अफगानिस्तान के लिए यह आपदा एक और बड़ा झटका है। हजारों लोग बेघर हो गए हैं और भोजन-पानी की भारी किल्लत हो गई है। कई सड़कें और पुल टूट जाने के कारण राहत सामग्री प्रभावित इलाकों तक पहुंचाने में दिक्कत आ रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस आपदा से अफगानिस्तान की नाजुक अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ेगा और देश को पुनर्वास में लंबा समय लग सकता है।
💬 प्रधानमंत्री मोदी की संवेदना
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, “अफगानिस्तान में आए भूकंप से हुई भारी तबाही और जान-माल के नुकसान से गहरा दुख हुआ है। भारत इस कठिन समय में अफगानिस्तान के साथ खड़ा है।”
नतीजा
अफगानिस्तान का यह भूकंप न केवल प्राकृतिक आपदा की भयावहता को दिखाता है बल्कि इस बात की भी याद दिलाता है कि इस देश को हर मोर्चे पर स्थिरता और सहयोग की जरूरत है। 500 से ज्यादा लोगों की मौत और 1500 से अधिक घायल इस त्रासदी की गंभीरता को बयान करते हैं। राहत कार्य अभी जारी हैं और आने वाले दिनों में मृतकों और घायलों का आंकड़ा और बढ़ सकता है।