Friday, October 17, 2025
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भारत में 7 सितंबर की रात बहेगी चंद्रमा पर रक्तिम छाया: जानें चंद्रग्रहण और सूतककाल की पूरी जानकारी

भारत में 7 सितम्बर 2025 को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। जानें इस चंद्र ग्रहण की तारीख, समय, सूतक काल की अवधि और कहां-कहां दिखाई देगा। धार्मिक दृष्टि से इस ग्रहण का महत्व और इससे जुड़े नियम।

Chandra Grahan 2025 Sutak Kaal in India को लेकर लोगों में जिज्ञासा बढ़ गई है। 7 सितम्बर 2025 को साल का आखिरी चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है, जो भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में दिखाई देगा। हिंदू पंचांग और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण काल और सूतक काल का विशेष धार्मिक महत्व होता है। आइए जानते हैं इस ग्रहण से जुड़ी पूरी जानकारी।

1. चंद्रग्रहण की तारीख और समय

  • दिनांक: 7 सितंबर 2025

  • प्रारंभ (Penumbra Phase): शाम 9:58 बजे (IST) से ग्रहण प्रारंभ (Drik Panchang एवं ET ने पुष्टि की)

  • पूर्ण ग्रहण प्रारंभ (Totality Begins): लगभग 11:01 बजे (IST) ग्रहण की अधिकतम स्थिति (Maximum): लगभग 11:41–11:42 बजे (IST)

  • पूर्ण ग्रहण समाप्ति (Totality Ends): लगभग 12:22 बजे (IST, 8 सितंबर)

  • पूर्ण ग्रहण की अवधि: लगभग 82 मिनट (1 घंटा 21 मिनट)

  • कुल अवधि: लगभग 3 घंटे 28–30 मिनट (Penumbra और Umbra दोनों मिलाकर)

2. भारत में दृश्यमानता – कहाँ देखें?

यह चंद्रग्रहण पूरे भारत में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा:

  • उत्तर भारत: दिल्ली, जयपुर, लखनऊ

  • पश्चिम क्षेत्र: मुंबई, अहमदाबाद, पुणे

  • दक्षिण भारत: चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु, कोच्चि

  • पूर्व भारत: कोलकाता, भुवनेश्वर, गुवाहाटी

  • मध्य क्षेत्र: भोपाल, नागपुर, रायपुर

यहां तक कि दुनिया के कई हिस्सों—एशिया, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अमेरिका भी—इस ग्रहण को देख सकते हैं।

3. सूतककाल (Sutak Kaal) — कब से शुरू, क्या करें?

  • सुतककाल प्रारंभ: 7 सितंबर दोपहर लगभग 12:57 PM IST

  • स्थानीय स्रोत अनुसार: कुछ रिपोर्टों में समय 12:19 PM (दिल्ली) या 1:57 PM बताया गया हैसमाप्ति: ग्रहण के खत्म होने के बाद, कई स्रोतों के अनुसार, सुतक काल 1:26 AM, 8 सितंबर तक रहेगा नियम एवं सावधानियाँ:

    • किसी भी शुभ कार्य, रसोई, पूजा पाठ से बचें

    • मंदिर बंद रहेंगे; गर्भवती महिलाओं को विशेष सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है

    • खाद्य पदार्थों को तुलसी, दुर्वा या कुश जैसे पत्तों से ढककर रखें

    • मंत्र-पाठ, ध्यान और दान पुण्य को शुभ माना जाता है

  • विशेष टिप: डॉक्टर शैफाली ने बताया कि आपात स्थितियों में ग्रहण के दौरान इलाज या डिलीवरी में देरी नहीं करनी चाहिए।

4. धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण

  • पितृ पक्ष और श्राद्ध का महत्व: यह ग्रहण पितृ पक्ष की शुरुआत के साथ हो रहा है, इसलिए यह समय पितृमोक्ष और श्रद्धांजलि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

  • ग्रहण के दौरान भावनात्मक और मानसिक प्रभाव: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहण से मानसिक अस्थिरता, भावनात्मक अशांति हो सकती है; इसलिए मंत्र जप और ध्यान लाभदायक माने जाते हैं।

  • राशिफल प्रभाव: विशेषकर मेष, कन्या, वृश्चिक और धनु राशि के लिए यह ग्रहण शुभ फलदायी माना जा रहा है; आर्थिक लाभ, करियर में उन्नति, पारिवारिक सुख के संकेत मिल रहे हैं।

  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण: खगोलविदों के लिए यह एक दुर्लभ दृश्य अनुभव है। ‘ब्लड मून’ रंग में चंद्रमा दिखना और लंबे कुल ग्रहण अवधि से अध्ययनी और फोटोग्राफ़ी की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं

5. सावधानियाँ और व्यावहारिक सुझाव

  • ग्रहण को नंगी आँखों से देखना सुरक्षित है, इसलिए विशेष चश्मा की आवश्यकता नहीं

  • सुरक्षा और तैयारी:

    • प्रकाश प्रदूषण से दूर खुला स्थान चुनें

    • दूरबीन या टेलिस्कोप उपयोगी होंगे

    • गर्म कपड़े एवं आरामदायक व्यवस्था रखें—क्योंकि रात देर तक ग्रहण चलेगा

    • यदि आसमान में बादल हो तो लाइव स्ट्रीम या खगोल क्लब के आयोजन देख सकते हैं।

  • धार्मिक क्रियाएँ ग्रहण के पश्चात:

    • गंगा जल से स्नान और घर-मंदिर की अभिषेक पूजन करें

    • घर के चारों ओर पवित्र जल छिड़कें

    • पितरों को स्मरण करते हुए दान या श्राद्ध कार्य करें—यह अत्यंत फलदायी माना जाता है।

निष्कर्ष

7 सितंबर 2025 की रात ग्रहण और उससे पहले का सूतककाल न केवल खगोलीय घटना है, बल्कि सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। चाहे आप धार्मिक नियमों का पालन करते हों या दार्शनिक रूप से इस घटना को देखते हों—यह समय स्वयं से जुड़ने, भावनात्मक संतुलन पाने और प्रकृति की सुंदरता को सराहने का एक अद्वितीय अवसर है।

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