बीजिंग/तियानजिन, 22 अगस्त 2025 (Navchetna News):
चीन इस वर्ष एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय कूटनीति का केंद्र बनने जा रहा है। शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का शिखर सम्मेलन 23-24 अगस्त को चीन के तियानजिन शहर में आयोजित किया जाएगा, जिसमें 20 से अधिक देशों के शीर्ष नेता हिस्सा लेंगे। इस सम्मेलन की मेजबानी चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग करेंगे।
कौन होंगे शामिल?
इस उच्चस्तरीय बैठक में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, ईरान के राष्ट्रपति, मध्य एशियाई देशों के प्रमुख, और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस भी शामिल होंगे। इसके अलावा कई पर्यवेक्षक देशों और साझेदार संगठनों के प्रतिनिधि भी इस मंच पर मौजूद रहेंगे।
सम्मेलन का एजेंडा
इस बार के SCO सम्मेलन का मुख्य एजेंडा होगा:
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यूक्रेन युद्ध और वैश्विक शांति प्रयास
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पश्चिम एशिया की अस्थिरता और संघर्ष समाधान
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आतंकवाद और कट्टरपंथ पर नियंत्रण
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ऊर्जा सुरक्षा और आर्थिक सहयोग
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डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और एआई विकास
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जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण संरक्षण
विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा वैश्विक परिस्थितियों को देखते हुए यह सम्मेलन ऐतिहासिक साबित हो सकता है।
भारत और चीन की भूमिका
भारत और चीन के बीच संबंधों में हाल के वर्षों में कई बार तनाव देखने को मिला है, लेकिन दोनों देश SCO जैसे बहुपक्षीय मंच पर लगातार संवाद बनाए रखते हैं। प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की इस बैठक में सीमा विवाद, व्यापार संबंध और क्षेत्रीय सहयोग जैसे मुद्दों पर भी बातचीत की संभावना है।
रूस का नजरिया
रूस, जो इस समय पश्चिमी देशों के कड़े प्रतिबंधों और यूक्रेन युद्ध के चलते अलग-थलग महसूस कर रहा है, इस सम्मेलन को अपने लिए एक बड़ी कूटनीतिक जीत मान रहा है। राष्ट्रपति पुतिन यहां पर चीन, भारत और अन्य एशियाई देशों से समर्थन जुटाने की कोशिश करेंगे।
संयुक्त राष्ट्र की भागीदारी
यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की मौजूदगी इस सम्मेलन को और भी खास बना रही है। इससे यह संकेत मिलता है कि वैश्विक संगठन भी SCO की बढ़ती अहमियत को मान्यता दे रहा है। गुटेरेस यहां पर वैश्विक शांति और सहयोग के एजेंडे को मजबूत करने का प्रयास करेंगे।
क्या है SCO?
शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की स्थापना वर्ष 2001 में हुई थी। इसमें वर्तमान में 9 सदस्य देश हैं – भारत, चीन, रूस, पाकिस्तान, कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, उज्बेकिस्तान और ईरान। इसके अलावा कई पर्यवेक्षक और संवाद साझेदार देश भी इस मंच से जुड़े हैं।
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SCO दुनिया की लगभग 40% आबादी और वैश्विक GDP के बड़े हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है।
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यह मंच सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है।
क्यों है यह सम्मेलन महत्वपूर्ण?
आज की परिस्थितियों में जब नाटो और पश्चिमी गठबंधन एक ओर हैं और ब्रिक्स और SCO जैसे समूह दूसरी ओर, यह सम्मेलन वैश्विक शक्ति संतुलन को नया आयाम दे सकता है।
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भारत और रूस के बीच ऊर्जा सहयोग,
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चीन और मध्य एशियाई देशों के बीच कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स,
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आतंकवाद विरोधी सहयोग,
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और बहुपक्षीय व्यापार समझौते इस सम्मेलन की प्रमुख उपलब्धियां हो सकती हैं।
निष्कर्ष
तियानजिन में होने वाला यह SCO शिखर सम्मेलन केवल एशिया के लिए ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए अहम है। यह मंच यह साबित कर रहा है कि वैश्विक कूटनीति अब केवल पश्चिमी शक्तियों तक सीमित नहीं है, बल्कि एशिया भी भविष्य की राजनीति और अर्थव्यवस्था में निर्णायक भूमिका निभा रहा है।