Thursday, October 16, 2025
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अखिलेश यादव ने CM योगी आदित्यनाथ को कहा घुसपैठिया, यूपी की सियासत में मचा बवाल

अखिलेश यादव ने CM योगी आदित्यनाथ को कहा घुसपैठिया, बोले कि उन्हें वापस भेज देना चाहिए जहां से आए हैं, यूपी की राजनीति में बढ़ा सियासी तूफान।

अखिलेश यादव ने CM योगी आदित्यनाथ को कहा घुसपैठिया, बोले – “उन्हें भेज देना चाहिए वापस जहां से आए हैं”

उत्तर प्रदेश की राजनीति में इस वक्त सियासी पारा चढ़ा हुआ है। अखिलेश यादव ने CM योगी आदित्यनाथ को कहा घुसपैठिया, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रमुख अखिलेश यादव ने यह बयान उस समय दिया जब उन्होंने भाजपा सरकार पर उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराध, बेरोजगारी और सांप्रदायिक तनाव को लेकर निशाना साधा।

यह बयान न केवल भाजपा को चुभ गया बल्कि राज्य की राजनीति में एक नया विवाद भी खड़ा कर गया है।

🔹 अखिलेश यादव ने CM योगी आदित्यनाथ को कहा घुसपैठिया – क्या कहा सपा प्रमुख ने?

एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने CM योगी आदित्यनाथ को कहा घुसपैठिया और आरोप लगाया कि योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के नहीं हैं, बल्कि गोरखपुर के माध्यम से सत्ता में पहुंचे हैं। उन्होंने कहा —

“जो खुद इस धरती के नहीं हैं, वो क्या उत्तर प्रदेश की जनता का दर्द समझेंगे? ऐसे घुसपैठियों को वापस भेज देना चाहिए, जहां से आए हैं।”

अखिलेश यादव का यह बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। बीजेपी नेताओं ने इसे ‘अभद्र’ और ‘असंवैधानिक’ बताते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है।

🔹 भाजपा का पलटवार – “अखिलेश यादव बौखला गए हैं”

अखिलेश के इस बयान पर भाजपा नेताओं ने जोरदार पलटवार किया। यूपी भाजपा प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा —

“जो व्यक्ति खुद सत्ता से बाहर हो गया है, वही ऐसे भड़काऊ बयान देता है। योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश की मिट्टी में पले-बढ़े हैं और उन्होंने प्रदेश को अपराधमुक्त बनाने के लिए काम किया है।”

भाजपा ने सपा पर “घृणित राजनीति” का आरोप लगाते हुए कहा कि यह बयान सपा के मानसिक दिवालियापन को दिखाता है।

🔹 अखिलेश यादव ने CM योगी आदित्यनाथ को कहा घुसपैठिया – सपा की सफाई

जब विवाद बढ़ा, तो समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने सफाई देते हुए कहा कि अखिलेश यादव का बयान सांकेतिक था।

“अखिलेश जी का मतलब राजनीतिक ‘घुसपैठ’ से था, न कि किसी की नागरिकता या धर्म से।”

हालांकि, भाजपा ने इस सफाई को ‘नुकसान नियंत्रण की कोशिश’ बताते हुए खारिज कर दिया।

🔹 यूपी की राजनीति में बयानबाज़ी का नया दौर

उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह पहली बार नहीं है जब नेताओं के बीच ऐसे तीखे शब्दों का इस्तेमाल हुआ हो। पहले भी सपा और भाजपा के नेताओं के बीच जुबानी जंग देखने को मिलती रही है।
परंतु इस बार मामला ज्यादा गंभीर इसलिए माना जा रहा है क्योंकि बयान मुख्यमंत्री के खिलाफ “घुसपैठिया” जैसे शब्द का इस्तेमाल करता है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा है। अखिलेश यादव इस बयान के ज़रिए अल्पसंख्यक वोट बैंक को साधना चाहते हैं, जबकि भाजपा इसे हिंदू अस्मिता के मुद्दे से जोड़कर भुनाने की कोशिश करेगी।

🔹 अखिलेश यादव ने CM योगी आदित्यनाथ को कहा घुसपैठिया – सोशल मीडिया पर गर्मी

जैसे ही अखिलेश का बयान वायरल हुआ, सोशल मीडिया पर हैशटैग #घुसपैठिया_मुख्यमंत्री और #AkhileshYadav ट्रेंड करने लगे।
भाजपा समर्थक योगी आदित्यनाथ के समर्थन में उतरे, जबकि सपा समर्थकों ने कहा कि अखिलेश ने “सत्य बोलने की हिम्मत” दिखाई है।

ट्विटर पर एक यूजर ने लिखा –

“अखिलेश यादव ने जो कहा, वो जनता की भावना है। यूपी में बाहर से आए लोगों ने राजनीति पर कब्जा कर लिया है।”

वहीं, भाजपा के एक समर्थक ने लिखा –

“योगी जी उत्तर प्रदेश के गौरव हैं। जो उन्हें घुसपैठिया कहता है, वो खुद प्रदेश से मानसिक रूप से बाहर है।”

🔹 चुनावी समीकरण और भविष्य की रणनीति

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अखिलेश यादव का यह बयान NDA बनाम INDIA गठबंधन के मुकाबले को और भी तीखा बना देगा।
सपा प्रमुख लगातार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर हमले तेज कर रहे हैं, ताकि वे 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए विपक्षी एकता का केंद्र बन सकें।

बीजेपी इस बयान को हिंदू अस्मिता के मुद्दे पर वोटरों को लामबंद करने के लिए इस्तेमाल कर सकती है, जबकि सपा इसे “अभिव्यक्ति की आज़ादी” और “राजनीतिक प्रतिरोध” के रूप में पेश करेगी।

🔹 निष्कर्ष – बढ़ती सियासी तल्खी और जनता का रुख

अखिलेश यादव ने CM योगी आदित्यनाथ को कहा घुसपैठिया — इस बयान ने यूपी की सियासत में नया मोड़ ला दिया है।
जहां सपा इसे अपनी वैचारिक स्पष्टता बता रही है, वहीं भाजपा इसे उत्तर प्रदेश की जनता का अपमान मान रही है।

आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह बयान सपा के लिए जनसमर्थन जुटाएगा या भाजपा के पक्ष में सहानुभूति की लहर पैदा करेगा।
फिलहाल, यूपी की सियासत में यह बयान “चुनावी घुसपैठ” से कम नहीं दिखता।

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