दिल्ली कनॉट प्लेस हंगामा भारत पाकिस्तान मैच स्क्रीनिंग पर प्रदर्शन
दिल्ली का दिल कहे जाने वाला कनॉट प्लेस (Connaught Place) रविवार को अचानक राजनीतिक और भावनात्मक माहौल से गरमा गया। यहाँ कई जगहों पर एशिया कप के बहुप्रतीक्षित भारत-पाकिस्तान मैच की स्क्रीनिंग रोकने के लिए लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध ने राजधानी की सियासत से लेकर व्यापार तक हलचल मचा दी।
दिल्ली कनॉट प्लेस हंगामा भारत पाकिस्तान मैच क्यों हुआ?
एशिया कप 2025 में भारत-पाकिस्तान मुकाबले को लेकर पहले से ही तनाव था। कई संगठनों और राजनीतिक दलों का मानना है कि हाल के पाहलगाम आतंकी हमले और अन्य घटनाओं के बाद पाकिस्तान के साथ मैच खेलना देश के शहीदों का अपमान है।
इसी सोच के चलते कनॉट प्लेस में प्रदर्शनकारियों ने कई रेस्टोरेंट, बार और पब के बाहर नारेबाजी की। उन्होंने बैनर उठाकर कहा कि देश की मौजूदा स्थिति में भारत-पाकिस्तान मैच का जश्न नहीं मनाया जाना चाहिए।
प्रदर्शनकारियों की मांगें और दिल्ली कनॉट प्लेस हंगामा भारत पाकिस्तान मैच विवाद
प्रदर्शन में शामिल लोगों ने स्पष्ट कहा कि:
-
भारत-पाकिस्तान मैच की स्क्रीनिंग बंद की जाए।
-
रेस्टोरेंट और पब शहीदों का सम्मान करते हुए मैच दिखाने से परहेज़ करें।
-
सरकार और BCCI पाकिस्तान के खिलाफ क्रिकेट खेलने पर पुनर्विचार करें।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि यह सिर्फ खेल नहीं है, बल्कि देश की अस्मिता और सुरक्षा से जुड़ा मामला है।
राजनीतिक प्रतिक्रिया: दिल्ली कनॉट प्लेस हंगामा भारत पाकिस्तान मैच पर नेताओं के बयान
AAP का रुख और दिल्ली कनॉट प्लेस हंगामा भारत पाकिस्तान मैच
आम आदमी पार्टी ने इस प्रदर्शन का समर्थन किया। दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि भारत-पाकिस्तान मैच पीड़ित परिवारों और शहीदों के प्रति “गहरी असंवेदनशीलता” है। उन्होंने चेतावनी दी कि जो भी बार या क्लब इस मैच को स्क्रीन करेगा, उसका जनता द्वारा बहिष्कार किया जा सकता है।
विपक्षी दलों की आलोचना और दिल्ली कनॉट प्लेस हंगामा भारत पाकिस्तान मैच
विपक्षी दलों ने भी कहा कि यह केवल खेल नहीं, बल्कि संवेदनशीलता का मुद्दा है। उन्होंने केंद्र सरकार और बीसीसीआई से मांग की कि पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैचों को रोक दिया जाए।
पीड़ित परिवारों का दर्द
सबसे भावुक बयान उन परिवारों से आया जिन्होंने हालिया हमलों में अपनों को खोया।
-
शुभम द्विवेदी की पत्नी ने कहा, “भारत-पाकिस्तान मैच हमारे लिए जश्न नहीं, अपमान है। हम अपने पति और अन्य शहीदों को खो चुके हैं, और ऐसे समय में क्रिकेट का तमाशा हमें और दुखी करता है।”
-
अन्य परिवारों ने भी यही मांग की कि जब तक आतंकवादी घटनाओं पर ठोस कार्रवाई नहीं होती, तब तक पाकिस्तान से किसी भी प्रकार का खेल या सांस्कृतिक संबंध नहीं होना चाहिए।
व्यापारियों की मुश्किल
कनॉट प्लेस में कई रेस्टोरेंट और पब हर बड़े मैच की स्क्रीनिंग से अच्छी कमाई करते हैं। भारत-पाकिस्तान मैच तो उनके लिए सबसे बड़ा आकर्षण होता है। लेकिन इस बार प्रदर्शन के कारण कई दुकानदारों ने या तो स्क्रीनिंग रद्द कर दी या सुरक्षा कारणों से कार्यक्रम स्थगित कर दिए।
कई व्यापारियों ने कहा कि विरोध से उनका आर्थिक नुकसान होगा। वहीं कुछ ने कहा कि शहीदों का सम्मान करना ज्यादा जरूरी है।
पुलिस और प्रशासन की भूमिका
दिल्ली पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया। अधिकारियों का कहना है कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा और किसी तरह की बड़ी झड़प नहीं हुई। हालांकि एहतियात के तौर पर कई जगह पुलिस बल तैनात किया गया।
प्रशासन की ओर से अपील की गई कि लोग अपनी भावनाएँ शांतिपूर्ण तरीके से व्यक्त करें और कानून व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश न करें।
केंद्र और बीसीसीआई का रुख
केंद्र सरकार और बीसीसीआई का कहना है कि भारत-पाकिस्तान मैच अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट का हिस्सा है। इसे खेल के नजरिये से देखा जाना चाहिए, न कि राजनीति से जोड़ा जाना चाहिए।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि देश की भावनाओं का सम्मान करना जरूरी है और इस पर सभी पक्षों को संतुलन बनाना होगा।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
सोशल मीडिया पर इस मुद्दे ने जबरदस्त बहस छेड़ दी।
-
एक वर्ग ने कहा कि खेल और राजनीति अलग होने चाहिए।
-
दूसरे वर्ग ने प्रदर्शनकारियों का समर्थन किया और कहा कि यह समय पाकिस्तान से संबंध रखने का नहीं है।
-
ट्विटर/X पर #BoycottPakMatch और #RespectMartyrs जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे।
आगे का रास्ता
इस विरोध ने एक सवाल खड़ा कर दिया है – क्या खेल और राजनीति को हमेशा अलग रखा जा सकता है?
-
प्रदर्शन ने दिखाया कि जनता की भावनाएँ राष्ट्रीय घटनाओं से सीधे जुड़ी होती हैं।
-
सरकार और बीसीसीआई को अब इस संतुलन को संभालने के लिए कोई ठोस नीति बनानी होगी।
निष्कर्ष
दिल्ली कनॉट प्लेस हंगामा भारत पाकिस्तान मैच को लेकर हुआ विरोध सिर्फ एक स्थानीय घटना नहीं है, बल्कि यह पूरे देश के मूड और भावनाओं का प्रतीक है। शहीदों के बलिदान और राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर लोगों का गुस्सा और संवेदनशीलता जाहिर करती है कि खेल भी कभी-कभी राजनीति और राष्ट्रहित से अलग नहीं हो सकता।
आगे आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि सरकार और बीसीसीआई जनता की इन भावनाओं का सम्मान करते हुए किस तरह संतुलन कायम करते हैं।