Wednesday, August 27, 2025
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सेमीकंडक्टर मिशन से भारत में बनेगी ‘Made in India’ चिप्स, तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम

भारत का सेमीकंडक्टर मिशन देश में पहली बार ‘Made in India’ चिप्स के उत्पादन का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। इससे न केवल तकनीकी आत्मनिर्भरता बढ़ेगी, बल्कि भारत वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ेगा।

नई दिल्ली। भारत सरकार का महत्वाकांक्षी सेमीकंडक्टर मिशन (Semiconductor Mission) अब अपने निर्णायक चरण में प्रवेश कर चुका है। इस मिशन के तहत देश में पहली बार ‘Made in India’ चिप्स का उत्पादन शुरू होने जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत और डिजिटल इंडिया की दृष्टि को साकार करने के लिए यह कदम ऐतिहासिक माना जा रहा है।

क्यों है सेमीकंडक्टर मिशन महत्वपूर्ण?

सेमीकंडक्टर चिप्स आज की दुनिया का सबसे अहम हिस्सा हैं। मोबाइल फोन से लेकर कार, लैपटॉप से लेकर रक्षा उपकरण, और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लेकर स्पेस मिशन तक — हर जगह इनकी जरूरत पड़ती है। अब तक भारत अपनी जरूरत का लगभग पूरा सेमीकंडक्टर आयात करता रहा है, जिससे न केवल भारी विदेशी मुद्रा का व्यय होता है, बल्कि वैश्विक सप्लाई चेन संकट के समय देश को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

सेमीकंडक्टर मिशन भारत को इस निर्भरता से मुक्त करेगा और भारत की पहचान ‘चिप मैन्युफैक्चरिंग हब’ के रूप में स्थापित करेगा।

निवेश और उद्योग साझेदारी

सरकार ने सेमीकंडक्टर मिशन के लिए लगभग 76,000 करोड़ रुपये का विशेष पैकेज घोषित किया है। इसके तहत ताइवान, अमेरिका और जापान की अग्रणी कंपनियां भारत में निवेश करने के लिए आगे आई हैं।

  • गुजरात, कर्नाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में चिप निर्माण इकाइयों की स्थापना की जा रही है।

  • प्रमुख इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनियां भारत के साथ टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और रिसर्च सहयोग पर सहमत हुई हैं।

रोज़गार और आर्थिक विकास

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सेमीकंडक्टर मिशन से लाखों युवाओं को रोजगार मिलेगा।

  • प्रत्यक्ष रोजगार: चिप मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स, टेस्टिंग लैब्स, डिजाइन सेंटर और रिसर्च हब में इंजीनियरों और तकनीशियनों को काम मिलेगा।

  • अप्रत्यक्ष रोजगार: लॉजिस्टिक्स, कंस्ट्रक्शन, रॉ मैटेरियल सप्लाई और आईटी सेवाओं में बड़े पैमाने पर अवसर पैदा होंगे।

यह भारत की जीडीपी वृद्धि दर को भी मजबूती देगा और देश को वैश्विक निवेशकों के लिए और आकर्षक बनाएगा।

आत्मनिर्भरता और सुरक्षा

विशेषज्ञों का कहना है कि सेमीकंडक्टर मिशन केवल आर्थिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज़ से भी महत्वपूर्ण है।

  • रक्षा उपकरणों, संचार तकनीकों और स्पेस प्रोग्राम्स में इस्तेमाल होने वाले चिप्स अब भारत में ही तैयार होंगे।

  • इससे डेटा सिक्योरिटी और स्ट्रैटेजिक इंडिपेंडेंस भी सुनिश्चित होगी।

वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति

अभी तक सेमीकंडक्टर निर्माण के क्षेत्र में ताइवान, दक्षिण कोरिया और अमेरिका का दबदबा रहा है। भारत की एंट्री इस उद्योग में एक नए शक्ति संतुलन की शुरुआत होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले 5 से 7 वर्षों में भारत एशिया-प्रशांत क्षेत्र का एक मजबूत सेमीकंडक्टर हब बन सकता है।

प्रधानमंत्री का विज़न

प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में कहा था:
भारत केवल उपभोक्ता नहीं रहेगा, बल्कि चिप निर्माण में भी अग्रणी भूमिका निभाएगा। यह आत्मनिर्भर भारत के निर्माण की दिशा में बड़ा कदम है।

निष्कर्ष

भारत का सेमीकंडक्टर मिशन न सिर्फ तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर कदम है, बल्कि यह भारत को भविष्य की डिजिटल अर्थव्यवस्था का नेतृत्व करने की दिशा में भी अग्रसर कर रहा है। ‘Made in India’ चिप्स आने वाले समय में न केवल भारत की जरूरतें पूरी करेंगे, बल्कि दुनिया के कई देशों में भी निर्यात किए जाएंगे।

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