एनडीए ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है और यह नाम है सीपी राधाकृष्णन का। यह फैसला रविवार को हुई संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद लिया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी इस नाम को मंजूरी दी, जिससे यह तय हो गया कि राधाकृष्णन अब इस प्रतिष्ठित पद की दौड़ में प्रमुख दावेदार होंगे।
लेकिन आखिर कौन हैं सीपी राधाकृष्णन? उनका संघ से क्या रिश्ता है और पार्टी नेतृत्व क्यों उन्हें इतना पसंद करता है? इन सवालों के जवाब उनके लंबे राजनीतिक और सामाजिक जीवन में छिपे हुए हैं।
सीपी राधाकृष्णन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से गहरे जुड़े रहे हैं। वे शुरुआती दौर से ही संगठन के सक्रिय कार्यकर्ता रहे और वर्षों तक भाजपा संगठन में अहम भूमिकाएं निभाईं। राधाकृष्णन का राजनीतिक करियर भी बेहद दिलचस्प रहा है। वह न केवल एक अनुभवी नेता हैं बल्कि उनकी छवि एक साफ-सुथरे और जनसंपर्क में माहिर व्यक्ति की रही है। यही वजह है कि भाजपा नेतृत्व हमेशा से उन पर भरोसा करता आया है।
एनडीए द्वारा उन्हें उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने के पीछे कई रणनीतिक कारण हो सकते हैं। पहला, दक्षिण भारत में भाजपा का प्रभाव बढ़ाने के लिए यह कदम अहम माना जा रहा है क्योंकि राधाकृष्णन तमिलनाडु से आते हैं। दूसरा, उनकी संघ पृष्ठभूमि और पार्टी के प्रति निष्ठा उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाती है।
राधाकृष्णन का सामाजिक जीवन भी प्रेरणादायक रहा है। उन्होंने कई बार आपदा राहत कार्यों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उनके काम करने का तरीका हमेशा से ही जमीन से जुड़ा रहा है। चाहे राजनीतिक मुद्दे हों या सामाजिक सरोकार, वे हमेशा सक्रिय नजर आते हैं।
एनडीए का यह फैसला आने वाले समय में राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। विपक्ष के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि राधाकृष्णन की साफ-सुथरी छवि और संगठन के प्रति वफादारी उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है।
अब सबकी नजरें चुनाव प्रक्रिया पर टिकी होंगी, लेकिन एक बात तो तय है—सीपी राधाकृष्णन का नाम आने के साथ ही इस चुनाव ने नया मोड़ ले लिया है।