नई दिल्ली। भारत-चीन संबंधों में नया मोड़ आने वाला है। चीन के विदेश मंत्री वांग यी सोमवार से भारत के तीन दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं। यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब दोनों देशों के बीच सीमा विवाद और व्यापारिक मुद्दे एक बार फिर चर्चा के केंद्र में हैं।
सूत्रों के अनुसार, वांग यी की यह यात्रा कई दृष्टिकोण से अहम मानी जा रही है। भारत और चीन के बीच लंबे समय से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर तनाव बना हुआ है। हालांकि दोनों पक्षों ने कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक बातचीत की है, लेकिन अभी तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है। इस दौरे में सीमा विवाद पर गहन चर्चा की संभावना जताई जा रही है।
इसके अलावा, दोनों देशों के बीच व्यापार और निवेश को लेकर भी बातचीत होगी। भारत, चीन के साथ व्यापार घाटे को कम करने और निवेश बढ़ाने पर जोर दे सकता है। वहीं चीन भी भारत के साथ सहयोग बढ़ाने और क्षेत्रीय स्तर पर आपसी रिश्तों को मजबूती देने की दिशा में कदम बढ़ा सकता है।
चीन के विदेश मंत्री का यह दौरा आगामी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन की तैयारियों के लिहाज से भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। भारत और चीन दोनों संगठन के प्रमुख सदस्य हैं और क्षेत्रीय सुरक्षा, आतंकवाद निरोध और आर्थिक सहयोग पर चर्चा करने की संभावना है।
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों का मानना है कि यह यात्रा दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली का एक अहम प्रयास है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह दौरा सकारात्मक माहौल में संपन्न होता है तो भारत-चीन संबंधों में नई ऊर्जा आ सकती है।
भारत सरकार ने भी इस यात्रा को लेकर अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं। उम्मीद की जा रही है कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ वार्ता करेंगे और विभिन्न द्विपक्षीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे।