स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के स्पेस और एविएशन सेक्टर में दो बड़े मील के पत्थरों की घोषणा की — गगनयान मानव अंतरिक्ष मिशन और पूरी तरह स्वदेशी जेट इंजन विकास परियोजना। दोनों ही पहलें भारत को वैश्विक तकनीकी महाशक्ति की श्रेणी में पहुंचाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होंगी।
गगनयान – भारत का मानव अंतरिक्ष मिशन
पीएम मोदी ने बताया कि गगनयान मिशन की तैयारियां अब अंतिम चरण में हैं। इस मिशन के तहत भारत अपने पहले अंतरिक्ष यात्रियों को स्वदेशी रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में भेजेगा।
उन्होंने कहा,
“भारत के अंतरिक्ष यात्री अब किसी विदेशी रॉकेट पर नहीं, बल्कि हमारे अपने लॉन्च व्हीकल से अंतरिक्ष में जाएंगे। गगनयान हमारे वैज्ञानिकों की प्रतिभा और आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक है।”
गगनयान मिशन के मुख्य बिंदु:
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लॉन्च विंडो: 2026 की शुरुआत
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रॉकेट: GSLV Mk III का उन्नत संस्करण
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क्रू: 3 अंतरिक्ष यात्री
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अवधि: 5 से 7 दिन का अंतरिक्ष प्रवास
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लक्ष्य: अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक में स्वदेशी क्षमता का प्रदर्शन
स्वदेशी जेट इंजन – ‘भारत शक्ति’ प्रोजेक्ट
भारत ने लंबे समय से अपने लड़ाकू विमानों और ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के लिए विदेशी जेट इंजनों पर निर्भरता रखी है। अब प्रधानमंत्री मोदी ने ‘भारत शक्ति जेट इंजन प्रोजेक्ट’ की घोषणा की, जिसके तहत पूरी तरह भारत में डिजाइन, विकसित और निर्मित जेट इंजन तैयार होगा।
जेट इंजन प्रोजेक्ट की प्रमुख बातें:
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थ्रस्ट क्षमता: 110-120 किलो न्यूटन
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उपयोग: लड़ाकू विमान, ड्रोन, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट
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तकनीकी साझेदारी: DRDO, HAL और निजी कंपनियां
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टाइमलाइन: 2030 तक उत्पादन में आने का लक्ष्य
पीएम मोदी ने कहा,
“आज हम केवल विमान नहीं बनाएंगे, बल्कि उनका दिल – जेट इंजन – भी खुद बनाएंगे। यह आत्मनिर्भर भारत का असली उड़ान होगा।”
क्यों है यह मील का पत्थर
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विदेशी निर्भरता खत्म: जेट इंजन निर्माण में महारथ हासिल करने वाले देशों की संख्या उंगलियों पर गिनी जा सकती है। भारत इसमें शामिल होकर वैश्विक रक्षा बाजार में मजबूत खिलाड़ी बनेगा।
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आर्थिक बचत: विदेशी इंजनों की खरीद और मेंटेनेंस पर लगने वाला अरबों डॉलर का खर्च बचेगा।
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रोजगार और कौशल विकास: इंजीनियरिंग, मटेरियल साइंस, एयरोडायनामिक्स और इलेक्ट्रॉनिक्स में लाखों नए रोजगार सृजित होंगे।
स्पेस और डिफेंस में आत्मनिर्भरता का नया युग
गगनयान और स्वदेशी जेट इंजन, दोनों प्रोजेक्ट भारत को सिर्फ टेक्नोलॉजी के उपभोक्ता से निर्माता में बदल देंगे। ISRO और DRDO के वैज्ञानिकों के साथ-साथ निजी कंपनियों की भागीदारी इस मिशन को और मजबूत बनाएगी।
पीएम मोदी ने जोर देकर कहा कि भारत आने वाले वर्षों में गहरे अंतरिक्ष मिशन, सुपरसोनिक ट्रांसपोर्ट, और अंतरिक्ष आधारित रक्षा प्रणाली में भी आत्मनिर्भरता हासिल करेगा।
वैश्विक संदेश
इन घोषणाओं से भारत ने दुनिया को यह संदेश दिया है कि वह न सिर्फ आर्थिक और सैन्य मोर्चे पर, बल्कि तकनीकी नवाचार में भी अग्रणी बनने की राह पर है। गगनयान से भारत अंतरिक्ष में मानव उड़ान के क्षेत्र में अमेरिका, रूस और चीन जैसे देशों की श्रेणी में आएगा, जबकि स्वदेशी जेट इंजन से भारत रक्षा क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छुएगा।