Wednesday, August 27, 2025
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समुद्र मंथन’ से खोजेंगे नए तेल-गैस भंडार – पीएम मोदी का नया मिशन

पीएम मोदी ने लालकिले से ‘समुद्र मंथन मिशन’ का ऐलान किया, जिसके तहत भारत समुद्री क्षेत्रों में नए तेल और गैस भंडार खोजेगा, जिससे ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम बढ़ेगा।

स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक महत्वाकांक्षी पहल — ‘समुद्र मंथन मिशन’ — की घोषणा की। इस मिशन के तहत भारत अपने समुद्री क्षेत्रों में नए तेल और प्राकृतिक गैस के भंडार खोजने के लिए बड़े पैमाने पर तकनीकी अभियान शुरू करेगा।

पीएम मोदी ने कहा,

“जैसे हमारे पुराणों में समुद्र मंथन से अमृत निकला था, वैसे ही आधुनिक ‘समुद्र मंथन’ से देश के लिए ऊर्जा का अमृत निकलेगा।”


ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम

भारत दुनिया के सबसे बड़े ऊर्जा आयातकों में से एक है। वर्तमान में देश अपनी कच्चे तेल की 85% और प्राकृतिक गैस की 50% से ज्यादा जरूरत विदेशों से पूरी करता है। इससे न केवल विदेशी मुद्रा भंडार पर दबाव बढ़ता है, बल्कि वैश्विक बाजार में कीमतों के उतार-चढ़ाव का सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।

पीएम मोदी ने स्पष्ट किया कि आने वाले 10 सालों में भारत का लक्ष्य ऊर्जा आत्मनिर्भर बनना है, और ‘समुद्र मंथन मिशन’ इसी दिशा में निर्णायक भूमिका निभाएगा।


कैसे होगा ‘समुद्र मंथन’

इस मिशन के तहत देश के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में, जो समुद्री सीमा से 200 नॉटिकल मील तक फैला है, अत्याधुनिक डीप-सी ड्रिलिंग तकनीक, सीस्मिक सर्वे, और रिमोट अंडरवॉटर व्हीकल्स का इस्तेमाल किया जाएगा।

इसके लिए ONGC, ऑयल इंडिया लिमिटेड, और कुछ निजी कंपनियों को मिलाकर एक राष्ट्रीय ऊर्जा खोज कंसोर्टियम बनाया जाएगा। साथ ही, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तकनीकी साझेदारी के लिए नॉर्वे, जापान और अमेरिका की कंपनियों से बातचीत चल रही है।


आर्थिक और रणनीतिक लाभ

  • विदेशी निर्भरता कम होगी: अगर मिशन सफल रहा, तो भारत के ऊर्जा आयात बिल में भारी कमी आएगी।

  • रोजगार सृजन: डीप-सी ड्रिलिंग, सर्वे और मरीन इंजीनियरिंग से जुड़े लाखों रोजगार के अवसर बनेंगे।

  • भू-राजनीतिक मजबूती: ऊर्जा भंडार का स्वदेशी उत्पादन भारत को वैश्विक राजनीति में ज्यादा ताकत देगा।

  • सस्ती ऊर्जा: घरेलू तेल और गैस से उद्योगों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए कीमतें स्थिर रह सकती हैं।


चुनौतियां भी कम नहीं

समुद्री तेल-गैस खोज तकनीकी रूप से जटिल और महंगी है। इसमें पर्यावरणीय जोखिम भी जुड़े होते हैं, जैसे समुद्री पारिस्थितिकी पर असर और संभावित तेल रिसाव (oil spill)। सरकार ने वादा किया है कि मिशन में पर्यावरण सुरक्षा मानकों का पूरा पालन होगा और मरीन लाइफ को नुकसान न पहुंचे, इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा।


भारत की पुरानी खोजों से नया विश्वास

भारत ने पहले भी मुंबई हाई, कृष्णा-गोदावरी बेसिन और कावेरी बेसिन में तेल-गैस खोज कर वैश्विक स्तर पर अपनी क्षमता साबित की है। अब ‘समुद्र मंथन मिशन’ के जरिए देश गहरे समुद्र में भी अपनी ऊर्जा खोज क्षमता का विस्तार करेगा।


2030 तक लक्ष्य

प्रधानमंत्री मोदी ने ऐलान किया कि 2030 तक इस मिशन के जरिए भारत अपनी प्राकृतिक गैस उत्पादन क्षमता को दोगुना और कच्चे तेल उत्पादन को 50% बढ़ाने का लक्ष्य रखता है।

उन्होंने कहा,

“यह मिशन हमारे युवाओं के लिए रोजगार, उद्योगों के लिए ईंधन और देश के लिए आत्मनिर्भरता का नया अध्याय लेकर आएगा।”

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