भारत की सबसे बड़ी सरकारी बैंक—स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI)—ने 15 अगस्त से अपने रिटेल IMPS (Immediate Payment Service) लेन-देन शुल्क में महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की है। यह कदम बैंक द्वारा अपने ऑपरेशनल खर्च को संतुलित करने और डिजिटल बैंकिंग की बदलती दुनिया में सेवाओं को स्थायी बनाने की दिशा में उठाया गया एक कदम है। The Times of IndiaThe Economic TimesBusiness Today
नई शुल्क संरचना क्या है?
ऑनलाइन IMPS लेन-देन (मोबाइल/इंटरनेट बैंकिंग):
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₹25,000 तक — फ्री
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₹25,001–₹1,00,000 — ₹2 + GST
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₹1,00,001–₹2,00,000 — ₹6 + GST
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₹2,00,001–₹5,00,000 — ₹10 + GST
यह तकलीफ उन ग्राहकों को होगी जो उच्च मूल्य ट्रांजेक्शन ऑनलाइन करते हैं। यह राशि पहले फ्री रहती थी। Business TodayRediffFree Press Journal
शाखा आधारित IMPS लेन-देन:
इस चैनल में कोई बदलाव नहीं — ₹2+GST से लेकर ₹20+GST तक पहले जैसा ही शुल्क रहेगा। Business TodayFree Press Journal
कौन-कौन रहेगा छूट में?
SBI ने स्पष्ट किया है कि कुछ खाता प्रकार के धारणकर्ताओं को ऑनलाइन IMPS शुल्क में पूरी छूट मिलेगी। इनमें शामिल हैं:
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रक्षा, अर्धसैनिक, रेल, पुलिस, कोस्ट गार्ड, केंद्रीय व राज्य सरकारों के वेतन खाते
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कॉर्पोरेट और स्टार्टअप पैकेज, साथ ही परिवार बचत खाता (SBI Rishtey) Business TodayFree Press Journal
कॉर्पोरेट धारकों के लिए बदलाव कब?
कॉर्पोरेट ग्राहकों के लिए यह revised IMPS शुल्क 8 सितंबर 2025 से लागू होंगे। Business TodayFree Press Journal
ग्राहकों पर कब तक असर पड़ेगा?
सोमवार से यह नया चार्ज लागू हो जाएगा, जिसका असर तुरंत हो सकता है—विशेषकर उन ग्राहकों पर जो बड़ी राशि ऑनलाइन ट्रांसफर करते हैं। हालांकि, शाखा ट्रांजेक्शन्स को कोई मामूली राहत मिलेगी कि वे पहले जैसा ही शुल्क पर चालू रहेंगे।
उपभोक्ता पर प्रभाव और फैसले क्यों?
रिटेल ग्राहकों को छोटे लेन-देन में राहत मिल रही है, लेकिन उच्च-राशि ट्रांजेक्शन पर बढ़ा शुल्क उन्हें इस सेवा का चयन सोच-समझकर करने की ओर प्रेरित कर सकता है। बैंक के इस निर्णय का उद्देश्य संचालन लागत को कवर कर सेवाओं को ज्यादा टिकाऊ बनाना बताया गया है।
ग्राहक क्या कह रहे हैं?
एक निजी नौकरी में काम करने वाले अतिन ने कहा, “₹25,000 तक ट्रांसफर फ्री होने से हर रोज़ की जरूरी जरूरतें जैसे घर का किराया या बच्चों की फीस में राहत मिलेगी।” वहीं एक कारोबारी ने चिंता जताई कि “जो ₹2,00,000 से ऊपर की राशि ट्रांसफर करते हैं, उनके लिए अतिरिक्त शुल्क सोचने वाला मुद्दा बन सकता है।”
निष्कर्ष:
SBI का यह कदम डिजिटल बैंकिंग को स्थायी बनाना और ग्राहकों की संतुष्टि बनाए रखते हुए खर्चों को कवरेट करना है। दरअसल, यह सिर्फ एक शुल्क बदलना नहीं—यह सोच का बदलाव है कि कैसे बैंकिंग सेवाएं दी जाएँ ताकि डिजिटल रूप से आदत बनाने में असुविधा कम हो और सेवाओं की पकड़ मजबूत बने।