Wednesday, August 27, 2025
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उत्तराखंड में बादल फटने से तबाही: 12 की मौत, सैकड़ों बेघर, सेना और NDRF ने संभाला मोर्चा

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में बादल फटने से भारी तबाही मची, 12 लोगों की मौत और सैकड़ों लोग बेघर। सेना और NDRF टीमें राहत व बचाव में जुटीं।

उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में सोमवार सुबह तड़के बादल फटने की घटना ने तबाही मचा दी। तेज बारिश के साथ आए मलबे ने घर, सड़कें और खेत तबाह कर दिए। जिला प्रशासन ने अब तक 12 लोगों की मौत और 18 से अधिक लोगों के लापता होने की पुष्टि की है। इस आपदा के बाद सैकड़ों लोग बेघर हो गए हैं और कई परिवारों ने अपनी पूरी आजीविका खो दी है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि अचानक आई इस आफत ने उन्हें संभलने का मौका ही नहीं दिया। 52 वर्षीय गोविंद सिंह, जो पास के गाँव के निवासी हैं, ने कहा — “हम सो रहे थे, तभी तेज गड़गड़ाहट और पानी की आवाज़ से आँख खुली। बाहर निकले तो देखा कि पानी और मलबा चारों तरफ़ फैल चुका था।”

राहत और बचाव अभियान तेज़

घटना के तुरंत बाद NDRF, SDRF, ITBP और भारतीय सेना की टीमें मौके पर पहुँचीं। हेलीकॉप्टर के ज़रिए फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाया जा रहा है। बचाव दलों को रास्तों में गिरे पेड़, टूटी सड़कें और तेज़ बहाव जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी ने बताया कि प्रभावित इलाकों में अस्थायी राहत शिविर बनाए गए हैं, जहाँ लोगों को खाने-पीने का सामान, कपड़े और चिकित्सा सुविधा दी जा रही है।

मौसम विभाग की चेतावनी

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगले 48 घंटों के लिए भारी बारिश और भूस्खलन की संभावना जताई है। पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की गई है।

सरकार की प्रतिक्रिया

मुख्यमंत्री ने स्थिति का जायजा लेने के लिए आपात बैठक बुलाई है और प्रभावित परिवारों के लिए 4 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है। उन्होंने कहा, “राज्य सरकार हर प्रभावित परिवार के साथ खड़ी है, और राहत एवं पुनर्वास में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी।”

बार-बार की आपदा पर सवाल

पिछले एक दशक में उत्तराखंड कई बार बादल फटने और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाओं का सामना कर चुका है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और अनियंत्रित निर्माण कार्यों के कारण आपदाओं की तीव्रता बढ़ रही है।

पर्यावरण विशेषज्ञ डॉ. संजीव राणा का कहना है, “पहाड़ी क्षेत्रों में नदी-नालों के किनारे और ढलानों पर निर्माण कार्य से मिट्टी की पकड़ कमजोर हो रही है, जिससे भारी बारिश के दौरान मलबा और पानी तेज़ी से नीचे आता है।”

स्थानीय लोगों की उम्मीद

हालांकि इस संकट के बीच, राहतकर्मियों की मेहनत और देशभर से मिल रही मदद ने लोगों में उम्मीद जगा दी है। कई स्वयंसेवी संगठन भी मौके पर पहुँचकर राहत सामग्री बाँट रहे हैं।

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